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क्या है निपाह वायरस और केरल में ही क्यों फैल रहा? ,जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

नई दिल्लीः निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाला गंभीर इंफेक्शन है. ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ की मानें तो इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी यह गंभीर बीमारी अपना शिकार बना लेती है. इस बीमारी में चमगादड़ों और सूअरों में सबसे ज्यादा संक्रामक बढ़ते हैं. केरल में एक बार फिर से वायरस तेजी में बढ़ने लगा है.इससे बचने के लिए सरकार के तरफ से सख्त कदम उठाने की कोशिश की जा रही है. आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानें निपाह के वायरस के लक्षण.

क्या है निपाह वायरस?

निपाह वायरस एक संक्रामक रोग है, जो पहली बार साल 1998-1999 मलेशिया और सिंगापुर में पालतू सूअरों में देखा गया. उस वक्त इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए करीबन 10 लाख सूअरों को मार दिया गया था. पर बीमारी रुकी नहीं. सूअरों के जरिए यह बीमारी इंसानों में फैली. साल 2001 में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर लोग निपाह वायरस की चपेट में आए. इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाला ताड़ी पी थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक खजूर के पेड़ तक वायरस चमगादड़ों के जरिए पहुंचा, जिसे ‘फ्रूट बैट’ भी कहा जाता है.

निपाह वायरस क्या है और कितना खतरनाक

निपाह वायरस (NIV) एक तरह का जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में आ जाता है, फिर बाकी लोगों में फैलता है. मुख्य तौर पर निपाह वायरस चमगादड़ और सुअर से इंसानों में फैलता है. इस वायरस का खतरा जानवरों या उनके शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से बढ़ता है. इसकी वजह से बुखार, उल्टी, सांस की बीमारी और दिमाग में सूजन हो सकता है. यह वायरस जानलेवा है. इसके लक्षण आमतौर पर 4 से 14 दिनों के अंदर दिखाई देते हैं.

निपाह वायरस के क्या-क्या लक्षण हैं

बुखार आना
उल्टी
सिरदर्द
खांसी
गला खराब होना
सांस लेने में दिक्कत

निपाह वायरस से बचने के लिए क्या करें

  1. बीमार जानवरों के संपर्क में आने से बचें.
  2. हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहें.
  3. खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं और छीलें.
  4. दूषित चीजों को खाने से बचें.
  5. साफ पानी ही पिएं.
  6. संक्रमित के संपर्क में सीधे आने से बचें.

निपाह वायरस संक्रमण के कारण

आमतौर पर निपाह वायरस फलाहारी चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है. संक्रमित चमगादड़ों के कॉन्टैक्ट आने से यह बीमारी फैलती है. लार और गंदा खाना खाने से वायरस फैलने लगते हैं.

निपाह संक्रमण का इलाज

निपाह वायरस से संक्रमण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी अच्छा माना जाता है. भारत सरकार ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मंगवाई गई थी. फिलहाल इस वायरस के खिलाफ अब तक कोई टीका नहीं है. यह संक्रमित जानवर और लोगों के संपर्क आने से फैलता है.

केरल में ही क्यों फैल रहा ये वायरस?

प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि केरल में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती होती, जो चमगादड़ों का पसंदीदा. चमगादड़ खजूर का फल खाते हैं, उसमें दांत लगाते हैं, सलाइवा या यूरिन करते हैं तो ये संक्रमित हो सकता है. यह फल कोई दूसरा जानवर या इंसान खा ले तो उसका निपाह संक्रमित होना तय है.

क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण?

निपाह वायरस शुरू में असिम्प्टोटिक होता है. यानी इसके कोई लक्षण नहीं दिखते. 3-4 दिन के अंदर बुखार, उल्टी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. शुरुआती लक्षण वायरल बुखार जैसे नजर आते हैं, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इंसेफेलाइटिस तक हो सकता है. अगर समय पर इलाज ना मिले तो मरीज कोमा में भी जा सकता है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक निपाह वायरस से मौत का अनुपात 40 से 75 फ़ीसदी के आसपास है.

क्यों नहीं बन सकी वैक्सीन?

निपाह वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है. WHO के मुताबिक अभी तक न तो जानवरों और न ही इंसानों के लिए निपाह वायरस की कोई वैक्सीन डेवलप की जा सकी है. निपाह से संक्रमित मरीजों को सपोर्टिव मेडिसिन दी जाती है, जो लक्षणों का असर काम करता है. प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि निपाह वायरस ज्यादातर डेवलपिंग कंट्रीज तक सीमित है. विकसित देशों में इसके बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं, जैसे- अमेरिका या यूरोप. इसलिये इसकी वैक्सीन में किसी बड़ी कंपनी की दिलचस्पी नहीं है. हां, सेंटर फॉर वैक्सीन अलायंस ऐसे नेग्लेक्टेड वायरस की वैक्सीन के लिए फंडिंग कर रहा है. पर अभी तक कोई ठोस नहीं नहीं निकल सका है.

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