अंतरिक्ष यान के बिना हो सकती है तारों के बीच यात्रा?
मुंबई – सौरमंडल (Solar System) जैसे तंत्र पर बहुत निर्भर है. लेकिन एक समय आएगा जब सूर्य लाल तारा हो जाएगा और वह पृथ्वी तक को निगल सकता है ऐसे में हमें एक दूसरे तारे यानि सौरमंडल के तंत्र की जरूरत होगी. ऐसे में क्या हमें किसी दूसरे तारे के पास जाकर उसके सौरमंडलीय तंत्र का हिस्सा बन कर मानव जाति को नहीं बचा सकते?
हमारे सबसे पास का तारा एल्फा सेंचुरी ही हमसे चार प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. यानि वहां तक केवल प्रकाश को ही पहुंचने में चार साल लग जाते हें जबकि हमें गुरू ग्रह तक ही पहुंचने में पांच साल लग जाते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि पृथ्वी से बाहर कहीं सभ्यता (Extra-terrestrial Civilizations, ETC) है तो उसे भी इस तरह की अस्तित्व की चुनौती का सामना करना पड़ रहा होगा.
माइग्रेटिंग एक्स्ट्राटेस्ट्रियल सिविलाइजेसन एंड इंटरस्टेलर कॉलोनाइजेशन: इम्प्लिकशन्स फॉर SETI एंड SETA नाम के इस लेख में इसका समाधान खुले तैरते हे ग्रह, जिन्हें निष्कासित या दुष्ट (Rouge) ग्रह का जाता है, हो सकते हैं. इस शोधलेख की लेखक इरीना रोमनव्स्काइया होस्टन कम्यूनिटी कॉलेज में भौतिकी और खगोलविज्ञान की प्रोफेसर हैं.
मिल्की वे गैलेक्सी या अरबों गैलेक्सी में से किसी अन्य गैलेकसी में लावारिस ग्रहों की सतह के नीचे ग्रह के अंदर की गर्मी से महासागरों में अपने तरह का जीवन स्वरूप हो सकता है और जब ये किसी तारे के आने पर उससे गुरुत्व के जरिए जुड़ सकते हैं. इस तरह से ये ग्रह खुद को किसी ज्यादा आवासीय माहौल में स्थानांतरित कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ कोई सभ्यता भी कर सकती है.
निष्कासित या लावारिस ग्रह मुक्त तैरते हुए ग्रह होते हैं जो अंधेरे में , ठंडे और अनावासीय माने जाते हैं. वे ऐसे ही होते हैं यदि उनें सतह के नीचे गर्म महासागर नहीं हों तो. लेकिन इन ग्रहों में नियमित गुरुत्व होता है और बहुत सारी जगह और संसाधन हो सकते हैं. इनमें सतह के नीचे तरल पानी हो सकता है और अंतरिक्ष विकिरण से सुरक्षा भी. विकसित सभ्यता यहां के संसाधनों का उपयोग कर ऊर्जा स्रोत तक विकसित कर सकती है.
ऊर्ट बादलों से भी बहुत से लावारिस ग्रह निकल सकते हैं. बड़े तारों के तंत्र में यह ज्यादा संभव है. 2015 में एक अध्ययन में बताया गया था कि एक द्विज तारा (W0720) हमारे सौरमंडल के ऊर्ट बादलों के पास से करीब 70 हजार साल पहले गुजरा था. ऐसा ग्रह के साथ भी हो सकता है. विकसित सभ्यता इतनी दूरी पर भी खुद को स्थानांतरित करने के उपाय खोज सकती है.