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ड्रग रेसिसटेंट मलेरिया के मामले बढ़ते रहे, मरीजों पर मलेरिया की दवा बेअसर साबित हुई

युगांडा – युगांडा में मलेरिया के जिन मरीजों का इलाज सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवा आर्टिमीसिनिन से किया जा रहा था, उनके ब्लड सैम्पल लिए गए। रिपोर्ट में 20 फीसदी तक सैम्पल में जेनेटिक म्यूटेशन की बात सामने आई। यानी मलेरिया के वायरस ने अपनी संरचना में इतना बदलाव कर लिया है कि दवा असर ही नहीं कर रही।

मलेरिया मच्छरों के काटने से फैलता है। मलेरिया के कारण हर साल 4 लाख से अधिक लोग दम तोड़ देते हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को रहता है।वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, मलेरिया से होने वाली 90 फीसदी मौतें अफ्रीका में हुई हैं, इसमें 2,65,000 से अधिक बच्चे थे। 2000 में मलेरिया के 7,36,000 मामले थे जो 2018 तक घटकर 4,11,000 हो गए। 2019 में मलेरिया के 4,09,000 मामले सामने आए।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में बुधवार को पब्लिश रिसर्च कहती है, मलेरिया का यह स्ट्रेन अफ्रीका के आसपास वाले बॉर्डर में फैल सकता है। शोधकर्ताओं ने मलेरिया के इस ड्रग रेसिस्टेंट स्ट्रेन के युगांडा में ही विकसित होने की आशंका जताई है। उनका मानना है कि मलेरिया का यह स्ट्रेन बाहर से नहीं आया, बल्कि यहीं पनपा है।

सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. फिलिप रोजेनथल का कहना है, रवांडा के बाद युगांडा में मलेरिया का ऐसा मामला मिलना साबित करता है कि यह अफ्रीका में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। मलेरिया का ड्रग रेसिस्टेंट स्ट्रेन कुछ सालों पहले कम्बोडिया में मिला था जो फैलकर एशिया तक पहुंच चुका है। इसी तरह ये भी अफ्रीका में भी फैला है और मलेरिया के मामलों को भविष्य में और बढ़ा सकता है।

70 साल की लगातार कोशिश के बाद चीन हाल में ही मलेरियामुक्त हुआ। मलेरिया से निपटने के लिए चीन ने 2012 में 1-3-7 की रणनीति लागू की। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टार्गेट तय किए किए। रणनीति के मुताबिक, 1 दिन के अंदर मलेरिया के मामले को रिपोर्ट करना अनिवार्य किया गया। 3 दिन के अंदर इस मामले की पड़ताल करना और इससे होने वाले खतरे का पता लगाना जरूरी किया गया। वहीं, 7 दिन के अंदर इस मामले को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही गई थी।

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