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लाइफस्टाइल

एक शख्स ने 217 बार लगवा ली कोरोना वैक्सीन,वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

नई दिल्लीः कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत के लोगों में वैक्‍सीन लगाने की होड़ लगी हुई थी. सभी कोविड सेंटर पर लंबी-लंबी लाइनें भी साफ देखी गई. अब इस महामारी का खतरा लगभग टल गया है. इसी बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई है, जिसे जानकार हर कोई सन्‍न रह गया. दरअसल, एक 62 वर्षीय जर्मन व्यक्ति ने एक दो नहीं बल्कि कोविड की 217 डोज ले डाली. उसपर कोविड का खौंफ इस कदर चढ़ा कि उसने कुल 29 महीनों के दौरान यह कारनामा किया. उसने औसतन हर चार दिन में एक कोविड वैक्‍सीन की डोज ली.

एक शख्स ने 217 बार लगवा ली कोरोना वैक्सीन

मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि इतनी अधिक वैक्‍सीन की डोज लेने के बाद इस बुजुर्ग के साथ आखिर हुआ क्‍या? क्‍या यह शख्‍स जीवित बच सका या इतनी डोज लेने से उसकी मौत हो गई? अगर वो जीवित बचा तो उसके शरीर पर इन डोज के चलते क्‍या साइड इफेक्ट हुए. आइये हम आपको इसके बारे में विस्‍तार में जानकारी उपलब्‍ध कराते हैं. लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में उनके मामले को रेखांकित किया गया और निष्कर्ष निकाला गया. जिसमें पता चला कि हाइपरवैक्सीनेशन के परिणामस्वरूप इस बुजुर्ग के स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा.

बार-बार वैक्सीन लेने वाले शख्स को बुलाया

लोकल न्यूज में खबर सुनने के बाद म्यूनिख और वियना के अस्पतालों, फ्रेडरिक-अलेक्जेंडर-यूनिवर्सिटेट एरलांगेन-नूर्नबर्ग के डॉक्टर इस मामले में जानकारी लेने की कोशिश की. उन्होंने उस व्यक्ति से संपर्क किया और जांच के लिए उन्हें बुलाया, जिसके लिए वह एग्री हो गए. प्रोफेसर किलियन शोबर ने कहा, “अखबारों में पढ़कर हमें इस व्यक्ति के बारे में पता चला. फिर हमने उससे संपर्क किया और उसे एरलैंगेन में कई तरह के टेस्ट के लिए बुलाया. वह इसमें बहुत दिलचस्पी रखते थे.” डॉक्टर शोबर और उनके सहयोगी यह जानना चाहते थे कि इस तरह के बार-बार टीका लेने के क्या परिणाम होंगे. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बदलती है?

क्‍या मजबूत हो गया इम्‍यूनिटी सिस्‍टम?

इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि इससे बुजुर्ग की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कोई उल्लेखनीय सुधार या गिरावट नहीं हुई. रिपोर्ट में इस शख्‍स का नाम गोपनीय रखा गया है. जून 2021 और नवंबर 2023 के बीच उसने 29 महीनों के दौरा कुल 217 कोविड शॉट्स प्राप्त किए. इन 217 वैक्‍सीन में से 134 की पुष्टि एक अभियोजक द्वारा और टीकाकरण केंद्र दस्तावेज़ीकरण के माध्यम से की है. अध्ययन के अनुसार, बाकी 83 शॉट बुजुर्ग ने खुद रिपोर्ट कराए हैं.

एक्‍सपर्ट ने क्‍या कहा?

अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन और माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. एमिली हैप्पी मिलर इस रिसर्च का हिस्‍सा नहीं थे. उन्‍होंने कहा, “यह वास्तव में एक असामान्य मामला है कि किसी को इतने सारे कोविड टीके मिल रहे हैं, लेकिन वह स्पष्ट रूप से किसी भी प्रकार के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहा है.” मिलर ने कहा, “शायद उन्हें कोविड नहीं हुआ क्योंकि टीके की पहली तीन खुराकों में वह अच्छी तरह से सुरक्षित थे. हम उसके व्यवहार के बारे में भी कुछ नहीं जानते.”

नतीजा देखकर हैरान

वैज्ञान‍िकों ने कहा, नतीजा देखकर हम हैरान रह गए. उस शख्‍स पर इन वैक्‍सीन का कोई दुष्‍प्रभाव नहीं था. टीकों में आमतौर पर मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड या एमआरएनए होता है, जो शरीर की कोशिकाओं को वायरस से आनुवंशिक कोड को पहचानने में मदद करता है. लेकिन बार-बार शरीर की कोश‍िकाओं को एक ही तरह की चीज दी जाए तो वे थक जाती हैं. क्‍योंक‍ि डोज की वजह से वे बार-बार रिएक्‍शन करने के ल‍िए उत्‍तेज‍ित होती हैं. इसीलिए कहा जाता है कि शरीर को बार-बार वैक्‍सीन नहीं देनी चाहिए.

अध्‍ययन से जुड़े शोधकर्ता का बयान

नए अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और फ्रेडरिक-अलेक्जेंडर विश्वविद्यालय एर्लांगेन-नूर्नबर्ग के शोधकर्ता डॉ. किलियन शॉबर ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक व्यक्तिगत केस अध्ययन है और परिणाम सामान्यीकरण योग्य नहीं हैं.

पुलिस कर रही थी जांच

स्कोबर और उनके सहयोगियों को न्यूज के जरिए उस व्यक्ति के बारे में पता चला। अधिकारियों ने उस व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच शुरू की थी। जांच में नौ महीनों में 130 वैक्सीन लगवाने की पुष्टि की गई थी। लेकिन कभी भी कोई आपराधिक आरोप दर्ज नहीं किया गया था। स्कोबर ने कहा, ‘तब हमने उनसे संपर्क किया और उन्हें कई टेस्ट कराने के लिए आमंत्रित किया। उन्हें ऐसा करने में बहुत दिलचस्पी थी।’ शोधकर्ताओं के मुताबिक उस शख्स ने अतिरिक्त 87 वैक्सीन लगावाने की सूचना दी। इसमें भी आठ अलग वैक्सीन और अपडेट फॉर्मूला के साथ थे।

क्यों लगवाई जाती है वैक्सीन

वैक्सीनेशन में आम तौर पर रोग पैदा करने वाले जीव के कुछ हिस्से या ऐसा ढांचा होता है, जिसे व्यक्ति की कोशिकाएं खुद बना सकें. इन एंटीजन की वजह से शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र असली बीमारी पैदा करने वाले जीव को पहचानना सीख लेता है. फिर ये बीमारी से तेजी से और मजबूती से लड़ सकता है. लेकिन क्या होता है जब शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र बार-बार एक ही तरह के एंटीजन के संपर्क में आता है?

वैक्सीन लगवाने के बाद क्या हुआ?

शोधकर्ताओं ने 214वीं से 217वीं वैक्सीन डोज के दौरान रक्त और लार के नमूने इकट्ठा किए। उन्होंने उसकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की तुलना उन 29 लोगों से की, जिन्हें स्टैंडर्ड तीन डोज सीरीज दिए गए थे। टीकों की बढ़ती संख्या के दौरान उसने कभी भी वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव को महसूस नहीं किया। क्लिनिकल टेस्टिंग में भी किसी तरह के हाइपरवैक्सीनेशन से जुड़ी कोई असमान्यताएं सामने नहीं आईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस शख्स का इम्युन सिस्टम उन्ही लोगों की तरह था, जिन्होंने लिमिटेड डोज लिए थे। नई खुराक के बाद उनके खून में वैक्सीन की एंटीबॉडी का स्तर बढ़ गया। लेकिन फिर घटने लगा।

बार-बार वैक्‍सीन देने से दिक्‍कत

ब्रिटिश स्‍वास्‍थ्‍य एजेंसी एनएचएस का कहना है कि कोविड के टीके आमतौर पर मौसम के अनुसार दिए जाते हैं, लेकिन गंभीर रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले कुछ लोगों को क‍िसी भी समय नहीं दिए जा सकते. लेकिन बार-बार वैक्‍सीन देने से बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं के लगातार संपर्क में रहने से टी-सेल्स नाम की कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएं कमजोर हो सकती हैं. इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होगा.

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