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तनाव से राहत पाने में मददगार हैं माइंडफुलनेस मेडिटेशन थेरेपी ,जानें फ़ायदे


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नई दिल्लीः इन दिनों भागदौड़ और व्यस्त जीवनशैली में भौतिक सुख-सुविधाएं तो मिल जाती है, लेकिन जीवन में आनंद कहीं पीछे छूट जाता है। यूं कहें कि आंतरिक खुशी की जगह मानसिक उलझन और पीड़ा अपनी जड़ जमा लेती है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन इन्हीं पीड़ा को दूर करने में मदद करता है। न्यूरोसाइंटिस्ट हाल में ही एक अध्ययन में यह पता लगाने में सक्षम हुए हैं कि दशकों से पीड़ा में जी रहे लोग माइंडफुलनेस मेडिटेशन कर स्वयं को मानसिक तनाव और दर्द से दूर कर सकते हैं।

खुश रहने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है

हमेशा खुश रहने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है और वह है माइंडफुलनेस। अब आप सोच रहे होंगे कि भला यह क्या है और कैसे होता है? दरअसल माइंडफुलनेस ऐसी थेरपी है, जिसके जरिए हम अपने अंदर, अपने आसपास हो रहीं घटनाओं या स्थितियों के प्रति जागरुकता पैदा करते हैं। यह एक तरह से ध्यान ही है। बस फर्क यह है कि ध्यान लगाने के लिए एक तय वक्त पर अलग-से कोशिश करने के बजाय माइंडफुलनेस में हमें जिस लम्हा, जहां होते हैं, अपना पूरा ध्यान वहीं लगाना होता है और उस लम्हे को पूरी तरह महसूस करना और जीना होता है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन से कम दर्द और पीड़ा का अनुभव

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन के विज्ञानियों ने जांच की कि किस प्रकार माइंडफुलनेस मेडिटेशन ने मस्तिष्क की गतिविधि और दर्द की धारणा को प्रभावित किया। इस शोध के निष्कर्ष को पेन नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसी वर्ष सात जुलाई को प्रकाशित लेख में बताया गया कि नियमित रूप से माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने से दर्द की धारणा के लिए जिम्मेवार मस्तिष्क के क्षेत्रों और स्वयं की भावना को जन्म देने वालो क्षेत्रों के बीच सूचना के प्रवाह को काट दिया। इस प्रक्रिया में दर्द के संकेत अभी भी दिमाग तक पहुंचते हैं, लेकिन व्यक्ति को इस मेडिटेशन से दर्दनाक भावनाओं पर नियंत्रण पाने आता है तो कम दर्द और पीड़ा का अनुभव करते हैं।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन के प्रशिक्षण सत्र में शामिल

यूसी सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन के एनेस्थिसियोलाजी के एसोसिएट प्रोफेसर फादेल जिदान ने कहा कि अत्यधिक दर्द की अवस्था में हम किस प्रकार व्यवहार करते हैं। आप अपने अहंकार और स्वयं की भावना को जोड़े बिना विचारों और संवेदनाओं को समझने के लिए खुद को प्रशिक्षित करते हैं।अध्ययन के लिए 40 प्रतिभागियों ने प्रयोग के पहले दिन दिमाग को स्कैन करते हुए कष्टदायी पैर को गर्म किया। पूरे प्रयोग को दर्द के स्तर को मापने की आवश्यकता थी। इसके बाद प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया। इन प्रतिभागियों को माइंडफुलनेस मेडिटेशन के प्रशिक्षण सत्र में शामिल कराया गया। तकरीबन 20 मिनट के सत्र में प्रतिभागियों को अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया। वहीं दूसरे समूह को अत्यधिक गर्मी के बीच ध्यान केंद्रित करने को कहा गया। दोनों समूह के प्रतिभागियों के मस्तिष्क गतिविधि की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सक्रिय रूप से ध्यान कर रहे थे उन्होंने दर्द का अनुभव 32 प्रतिशत कम तीव्र और 33 प्रतिशत कम अप्रिय किया।

इससे बढ़ती है खुशी

माना जाता है कि माइंडफुलनेस तकनीक की रेग्युलर प्रैक्टिस करने से हम खुश रहना सीख जाते हैं। दरअसल, इसके जरिए हम मौजूद लम्हे से जुड़ जाते हैं और उसे स्वीकार कर लेते हैं। इससे यह डर खत्म हो जाता है कि इस लम्हे ऐसा होता तो क्या होता? या फिर हम ऐसा चाहते थे, वैसा नहीं हुआ आदि। जब हम सचाई को स्वीकार कर लेते हैं तो खराब स्थितियां भी हमें परेशान नहीं करतीं। हम मान लेते हैं कि हम इस स्थिति को बदल नहीं सकते। हां, अपने रिऐक्शन या प्रतिक्रिया को जरूर बदल सकते हैं। इससे धीरे-धीरे हम हर स्थिति को स्वीकार करना और उसमें खुश रहना सीख जाते हैं.

कैसे करें

माइंडफुलनेस थेरपी को करना बहुत आसान है। आप जिस वक्त जहां हैं, पूरी तरह वहीं ध्यान लगाना होता है। इसके लिए कमर सीधी रखकर कुर्सी पर बैठें या फिर चौकड़ी मारकर जमीन पर बैठें

  1. सांस पर ध्यान देना (Mindful Breathing)
  2. ध्यान देकर सुनना (Mindful Listening)
  3. ध्यान देकर देखना (Mindful Seeing)
  4. विचारों पर ध्यान देना (Mindful Drawing)
  5. शरीर के खिंचाव पर ध्यान देना (Mindful Body Stretching)

माइंडफुलनेस के फायदे

  1. तनाव से मुक्ति
  2. याद करने के शक्ति में इजाफा
  3. एकाग्रता का बढ़ना
  4. भावनात्मक स्टैबिलिटी होना
  5. शांति और खुशी का अहसास बढ़ना
  6. हाइपर-ऐक्टिविटी कम होना
  7. गुस्सा कम आना
  8. एक-दूसरे को समझने की क्षमता बढ़ना
  9. फैसले लेने की क्षमता में इजाफा
  10. नींद का बेहतर होना

स्पिरिचुअल मेडिटेशन (Spiritual meditation)

स्पिरिचुअल मेडिटेशन उन लोगों के लिए बेहतर है जिन्हें अपनी स्पिरिचुअल ग्रोथ पर ध्यान देना है। यह तरीका आपको गहन शांति का बोध कराकर खुद को समझने में मदद कर सकता है। स्पिरिचुअल मेडिटेशन के लिए आपको किसी आरामदायक स्थान का चुनाव करना है। इसके बाद खुद को रिलैक्स करते हुए धीरे-धीरे गहन ध्यान में जाना है। मेडिटेशन का यह तरीका आपको चिंता और तनाव से राहत देकर शांति का आभास करने में मदद कर सकता है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन ( Mindfulness Meditation)

अपने विचारों पर काबू पाने के लिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन सबसे बेहतर तरीका है। इसे सीखने के लिए किसी ट्रेनर की आवश्यकता भी नहीं होती। माइंडफुलनेस मेडिटेशन के लिए आपको केवल अपने विचारों पर गौर करना होता है। यह तरीका जागरूक होने और फोकस बढ़ाने के लिए असरदार साबित हो सकता है। इसमें बस आपको खुद को शांत करके फ्लो के साथ जाना होता है।

मंत्रा मेडिटेशन (Mantra Meditation)

मंत्रा मेडिटेशन सबसे आसान तरीकों में से एक माना जाता है। इसमें आपको किसी शब्द या मंत्र को दोहराते हुए ध्यान करना होता है। इसका प्रयास किसी शांत जगह बैठकर तेजी से मंत्रों के उच्चारण करके किया जा सकता है। यह गहन शांति का आभास कराने के साथ इंद्रियों को वश में रखने में फायदेमंद हो सकता है।

मूवमेंट मेडिटेशन (Movement Meditation)

मूवमेंट मेडिटेशन न सिर्फ आपको सुकून और शांति का आभास कराता है, बल्कि इसके जरिए आपको शारीरिक रूप से भी शांति महसूस होती है। मेडिटेशन के इस तरीके में हल्के-फुल्के मूवमेंट जैसे कि वॉक करना, गार्डनिंग करना आदि शामिल है। जिन लोगों को बैठने या काम में ध्यान लगाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह मेडिटेशन का असरदार तरीका हो सकता है।

विजुअलाइजेशन मेडिटेशन (Visualisation Meditation)

तनाव कम करने के साथ मूड बेहतर बनाने के लिए विजुअलाइजेशन मेडिटेशन एक बेहतर तरीका है। इसमें आपको उन चीजों को विजुअलाइज करना होता है, जिनके बारे में सोचने पर आपको खुशी होती है। मेडिटेशन के इस तरीके से आपको तुरंत रिलैक्स होने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही, यह आपको गहन शांति महसूस करने में भी मदद कर सकता है।

फोकस मेडिटेशन (Focus Meditation)

फोकस मेडिटेशन को फोकस्ड अटेंशन मेडिटेशन के नाम से भी जाना जाता है। इसमें आपको अपनी इंद्रियों के जरिए किसी चीज पर ध्यान लगाना होता है। इस टेक्निक में आपको ध्यान लगाने के लिए किसी सहायक वस्तु जैसे कि माला जपना या वस्तु पर ध्यान लगाने की जरूरत होती है। इससे फोकस बढ़ाने के साथ खुद को रिलैक्स रखने में मदद मिल सकती है।

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