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विज्ञान

जानिये नया स्वदेशी GSAT-7-C सैटेलाइट की खासियत

नई दिल्ली – सैन्य ताकत के मामले में भारत दुनिया के अन्य देशो से पीछे नहीं है। भारत की सैन्य ताकत पहले की अपेक्षा काफी मजबूत हो चुकी है और दिन-ब-दिन इसमें बढ़ोतरी होती जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए 2,236 करोड़ रुपये के GSAT-7C उपग्रह और ग्राउंड हब की खरीद को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय की इस पहल से भारतीय वायुसेना की रियल-टाइम कनेक्टिविटी में ताकत और बढ़ जाएगी।

हालही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की मीटिंग में यह अहम् फैसला लिया गया। ‘मेक इन इंडिया’  के तहत आधुनिकीकरण और परिचालन जरूरतों के लिए भारतीय वायु सेना के 2,236 करोड़ रुपये की राशि वाले एक पूंजी अधिग्रहण प्रस्ताव को ‘एक्सेप्टेन्स ऑफ नेसेसिटी’ (AON) प्रदान की गई। सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) के लिए GSAT-7C सैटेलाइट और ग्राउंड हब को शामिल करने से सशस्त्र बल सभी परिस्थितियों में सुरक्षित मोड में एक दूसरे से बातचीत कर पाएंगे। SAT-7A भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा डिजाइन किए और बनाए गए जीसैट श्रृंखला के भू-समकालिक संचार उपग्रहों में सबसे नया एडिशन है। यह वायु सेना के ग्लोबल ऑपरेशंस और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा। सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो के लिए उपग्रह GSAT-7C सैटेलाइट की डिजाइनिंग, विकास और प्रक्षेपण देश में ही किया जायेगा।

GSAT-7A अंतरिक्ष यान इसरो के मानक I-2000 किग्रा (I-2K) बस पर बनाया गया है। इस उपग्रह को भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इसरो ने 19 दिसंबर 2018 को पहला GSAT-7A लॉन्च किया था। उपग्रह को 35,800 किमी की पेरिजी (पृथ्वी से निकटतम बिंदु) और 36,092 किमी के अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) के साथ 0.2 डिग्री झुकाव के साथ रखा गया है, जो इसके फाइनल ऑर्बिट के बहुत करीब है।

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