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Ahoi Ashtami 2023 : आज रखा जा रहा है अहोई अष्टमी का व्रत,शाम के इतने बजे से शुरू होगा शुभ मुहूर्त


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नई दिल्लीः हिंदू त्योहारों में अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है. खासकर हिंदू महिलाओं के लिए इसका विशेष महत्व है. जिस तरह से तीज (teej) पति की लंबी उम्र के लिए की जाती है उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत (ahoi ashtami vrat 2023) महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती है. महिलाएं अपने बच्चों के लिए अहोई माता से आशीर्वाद लेती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. लेकिन इस त्योहार को लेकर महिलाओं में काफी कंफ्यूजन देखने को मिलता है. अगर आप भी दुविधा में है तो यहां अहोई अष्टमी व्रत से जुड़ी आपकी सारी कन्फ्यूजन दूर हो जाएगी. तो आईए जानते हैं इस साल कार्तिक माह की अहोई अष्टमी व्रत की मुहूर्त और तारों को देखने का समय

अहोई अष्टमी 2023

5 नवंबर 2023

अष्टमी तिथि का प्रारंभ-समाप्ति समय
05 नवंबर, दोपहर 1:00 बजे से शुरू
06 नवंबर, सुबह 3:18 बजे तक
तारों को देखने का समय
रविवार-5 नवंबर- शाम 05:58

अहोई अष्टमी महत्व

अहोई अष्टमी का त्योहार हिंदू महिलाओं के लिए काफी महत्व रखता है. अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की सेहत और लंबी उम्र के लिए करती हैं. इस व्रत को करने से मां अहोई खुश होती हैं और बच्चों के स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. शाम को तारों को देखने के बाद माएं व्रत खोलती हैं.

अहोई अष्टमी पूजा विधि

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें. पुत्र की लंबी आयु की कामना करें और अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लें. मां पार्वती की आराधना करें. गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं और उनके साथ पुत्रों की तस्वीर बनाएं. फिर माता के सामने मौली, सिंघाड़ा, कटोरी रखकर अहोई अष्टमी के व्रत की कथा सुनें. पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखें. करवा वही होना चाहिए जिसे आपने करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो. शाम के समय इन सभी चित्रों की पूजा करें. उसके बाद लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें.

अहोई माता व्रत की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, किसी नगर में चंपा नाम की एक महिला रहती थी. उसकी कोई औलाद नहीं थी. वह हमेशा दुखी रहती थी. महिला की इस अवस्था को देखकर एक वृद्ध महिला ने उसे अहोई अष्टमी व्रत करने के लिए कहा. चंपा ने अहोई अष्टमी का व्रत करना शुरू किया. उसने व्रत पूरे भक्ति-भाव से किया. व्रत से प्रसन्न होकर देवी ने चंपा और चमेली को दर्शन दिए.

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