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जानें पद्मासन करने की विधि ,फायदे और सावधानियां


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नई दिल्लीः पद्मासन को “कमलासन’ के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जाप के लिए इस आसन का मुख्य स्थान होता है। यह आसन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए ही अनुकूल माना गया है। पद्मासन करने के सेहत पर कई लाभ होते हैं।कमल या पद्म का उपयोग भारत में आदिकाल से ही धर्म और काल के महत्वपूर्ण प्रतीक चिह्न के रूप में होता रहा है। सदियां बीतने के बाद भी कमल को वैराग्य, पुनर्जन्म, सुंदरता, शुद्धता, आध्यात्मिकता, निर्वाण, धन-संपदा और लौकिक नवीनीकरण का प्रतीक माना जाता है।

कैसे करें पद्मासन

सबसे पहले जमीन पर दोनों पैर फैला कर सीधे बैठ जाएं। फिर दायां पैर बाएं पैर की जांघ पर और बायां पैर दाएं पैर की जांघ पर रखें। आपको जिस भी पैर को पहले रखने में आसानी महसूस हो, उसे पहले रख सकते हैं। अब दोनों हाथों के अंगूठे को तर्जनियों के साथ मिलाकर बायां हाथ बाएं पैर के घुटने पर और दायां हाथ दाएं पैर के घुटने पर रखें। याद रहे की हथेलियां ऊपर की ओर हों। मेरुदंड और मस्तक सीधी रेखा में रखें। आंखों को बंद या खुली रखें। शुरूआत में यह आसन एक से दो मिनट तक करें। फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं।

पद्मासन बहुत ही शक्तिशाली आसन

पद्मासन बहुत ही शक्तिशाली आसन है, इस आसन का अभ्यास भगवान शिव को भी करते दिखाया गया है। ये कमर और हृदय रोगों के लिए बेहतरीन आसन है। इसके तमाम भौतिक और आपद्मासन करने से शरीर को बहुत जबरदस्त फायदे मिलते हैं। अगर आप कभी अशांत और बेचैन महसूस कर रहे हों तो पद्मासन का अभ्यास करें। ये आपके मन को शांत करने में मदद करेगा। योगी इस आसन को अलौकिक ऊर्जा प्राप्त करने, मेडिटेशन या ध्यान करने, चक्र या कुंडलिनी को जाग्रत करने के लिए करते हैं।ध्यात्मिक लाभ योगशास्त्र में बताए गए हैं। ये मेडिटेशन के लिए बताए गए बेहतरीन आसनों में से एक है।

पद्मासन के लाभ

इसके नियमित अभ्यास से अंत: स्रावी ग्रंथियां (endocrine glands) की कार्यक्षमता बढ़ती है।दमा, अनिद्रा तथा हिस्टीरिया जैसे रोग दूर करने में सहायक होता है।अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन बहुत प्रभावकारी होता है।शरीर की स्थूलता और मोटापा कम करने में भी सहायक होता है।इस आसन के अभ्यास से जठराग्नि (पाचन तन्त्र) तीव्र बनती है और भूख भी बढ़ती है।इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शरीर को लंबे समय तक स्थिर रखा जा सकता है।शरीर और मस्तिष्क नियंत्रित में रहते हैं।इसके अभ्यास से दिमाग तेज होता है और एकाग्रता बढ़ती है।जिन लड़कियों को पीरियड्स के दौरान दर्द अधिक होता है, उन्हें इस आसन को करने से पीरियड्स से संबंधित समस्याएं नहीं रहती हैं।नियमित रूप से जो लोग इसे करते हैं, वह तनाव से छुटकारा पा सकते हैं।यह न केवल मेडिटेशन का कारगर तरीका है, बल्कि इससे उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।

ऊर्जा शक्ति को बढ़ाए

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा अगस्त 2017 में की गई एक अध्ययन के अनुसार पद्मासन शरीर में ऊर्जा शक्ति को बनाए रखता है। वहीं इस स्टडी में 20 से 23 साल की उम्र के 50 लोगों को पद्मासन की स्थिति में 30 मिनट तक बैठने को कहा गया। परिणामस्वरूप सामान्य लोगों की तुलना इन सभी के एनर्जी लेवल को ज्यादा पाया गया।

पीरियड क्रैम्प से राहत पाने में मदद करे

पद्मासन की मुद्रा पेट के निचले हिस्से के मसल्स को रिलैक्स रहने में मदद करती है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान पद्मासन का अभ्यास आपके दर्द में फायदेमंद हो सकता है। यह योगा पोज पेल्विक रीजन को मजबूती देती है और साथ ही इसकी इलास्टिसिटी को भी बढ़ाती है। जिस वजह से मेंस्ट्रुएशन के दौरान होने वाले क्रैमप्स की संभावना कम हो जाती है।

डिलीवरी को आसान बनाए

प्रेगनेंसी के दौरान पद्मासन का अभ्यास आपके डिलीवरी को आसान बनाता है। यह पेल्विक मसल्स को मजबूती देता है और साथ ही हिप के आसपास के एरिया को स्ट्रेच करता है। जिसकी वजह से डिलीवरी के दौरान होने वाला लेबर पेन कहीं हद तक कम हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान लेबर फ्री डिलीवरी के लिए इस अभ्यास को जरूर करें।

पाचन क्रिया को संतुलित रखे

जो पेट के मसल्स को रिलेक्स करता है और साथ ही डाइजेशन को बूस्ट करने में भी मदद कर सकता है। यदि आप कॉन्स्टिपेशन, अपच, इत्यादि जैसी पेट की अन्य समस्याओं से परेशान रहती हैं, तो पद्मासन को अपनी नियमित दिनचर्या में जरूर शामिल करें।

कंसंट्रेशन बढ़ाने में मदद करे

पद्मासन की मुद्रा में हम अपनी आंखों को बंद करके अपने सांस पर फोकस करते हैं। वहीं इस दौरान यह हमारे दिमाग को शांत रखता है और फोकस बढ़ाने में मदद करता है। इस पोजीशन में गहरी सांस लेना और फिर इसे छोड़ना शरीर और दिमाग दोनों को ही रिलैक्स करता है और शरीर और मन को एक दूसरे के साथ बैलेंस बनाए रखने में भी मदद करता है।

पद्मासन करने का सही तरीका

इस आसन में, दोनों पैरों को कमल की पंखुड़ियों की तरह मोड़कर कमर के पास रखा जाता है। ये प्रतीकात्मक आसन है जैसे कमल कीचड़ से ऊपर रहकर खिलता है। वैसे ही पद्मासन आपको संसार की समस्याओं से ऊपर उठने में मदद करता है।पद्मासन शरीर के कई चक्रों पर बेहतरीन तरीके से काम करता है। ये योगी को संतुलित बनाता है और उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करने में मदद करता है।

पद्मासन करने की विधि

  1. योग मैट पर सीधे बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और टांगों को फैलाकर रखें।
  2. धीरे से दाएं घुटने को मोड़कर बायीं जांघ पर रखें। एड़ी पेट के निचले हिस्से को छूनी चाहिए।
  3. ऐसा ही दूसरी पैर के साथ भी करते हुए पेट तक लेकर आएं।
  4. दोनों पैरों के क्रॉस होने के बाद अपने हाथों को मनपसंद मुद्रा में रखें।
  5. सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  6. लंबी और गहरी सांसें लेते रहें।
  7. सिर को धीरे से नीचे की तरफ ले जाएं। ठोड़ी को गले से छूने की कोशिश करें।
  8. बाद में इसी आसन को दूसरे पैर को ऊपर रखकर अभ्यास करें।

बरतें सावधानी

साइटिका या फिर रीढ़ के नीचले भाग के आसपास किसी प्रकार की गड़बड़ी से पीड़ित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग घुटनों के दर्द व सूजन से परेशान हों, उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

बिगिनर कर सकते हैं अर्ध पद्मासन का अभ्यास

यदि आप बिगिनर हैं तो इस अभ्यास को करना आपके लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। क्योंकि दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की ओर चढ़ाकर पद्मासन पोज में ज्यादा देर तक बैठने के लिए नियमित अभ्यास की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आप अर्ध पद्मासन की स्थिति में बैठ सकती हैं। इसमें आपको केवल एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर चढ़ाना है। फिर धीरे-धीरे पहले एक पैर से बैठने की आदत बनाएं उसके बाद पद्मासन की स्थिति में बैठने का अभ्यास करें। कुछ समय बाद आपका पैर लचीला हो जाएगा और आपको इस तरह बैठने में कोई समस्या नहीं होगी।

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