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लाइफस्टाइल

डिप्रेशन से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं मैजिक मशरूम

नई दिल्लीः जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइकाइट्री में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि मशरूम की कम खुराक संभावित रूप से मानसिक विकारों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अध्ययन से पता चला कि कुछ मशरूम में पाए जाने वाले पदार्थ साइलोसाइबिन की थोड़ी मात्रा अवसाद, चिंता और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के लक्षणों में सुधार कर सकती है। इस शोध से पता चलता है कि साइलोसाइबिन का उपयोग संभावित रूप से मानसिक विकारों के इलाज के रूप में किया जा सकता है, जो इन स्थितियों से जूझ रहे लोगों के लिए आशा प्रदान करेगा।

माइक्रोडोज़िंग

साइलोसाइबिन को लंबे समय से एक क्लासिक साइकेडेलिक पदार्थ के रूप में मान्यता दी गई है और हाल ही में साइलोसाइबिन की उच्च खुराक के साथ पूरक चिकित्सा के माध्यम से विभिन्न मानसिक विकारों, मुख्य रूप से अवसाद और लत के उपचार में सहायता करने की इसकी क्षमता की जांच की गई है।हालाँकि, नया अध्ययन साइलोसाइबिन की बार-बार कम खुराक पर केंद्रित है, जो आमतौर पर चिकित्सीय सेटिंग्स में उपयोग की जाने वाली खुराक से काफी कम है और आमतौर पर इसे ‘माइक्रोडोज़िंग’ कहा जाता है।

परीक्षण में क्या शामिल था?

इस परीक्षण में शामिल होने वालों को इलाज के तौर पर या तो साइलोसाइबिन की खुराक दी गई या एस्किटालोप्राम की. साथ ही, या तो प्लेसीबो दिया गया था या बहुत कम मात्रा में साइलोसाइबिन. इसके बाद, नींद, उर्जा, भूख, मनोदशा और आत्मघाती विचारों जैसे कई विषयों पर सवाल-जवाब किए गए.यह ऐसा पहला अध्ययन है जिसमें डिप्रेशन के पारंपरिक इलाज की तुलना साइकेडेलिक परीक्षण साथ छह हफ्तों से ज्यादा समय तक की गई. अध्ययन के दौरान, जब काम और सामाजिक क्रियाकलापों, मानसिक स्थिति बेहतर होने, और खुद को खुश महसूस करने की बात आई, तो साइकेडेलिक दवा का असर बेहतर देखा गया.

इलाज के नतीजों को इस तरह से परिभाषित किया गया कि साइलोसाइबिन वाले समूह में 70 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन के स्तर में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी देखी गई. वहीं, एस्किटालोप्राम समूह में यह 48 प्रतिशत रहा.यूनिवर्सिटी के मिकेल पालनर बताते हैं, “माइक्रोडोज़िंग प्रदर्शन संस्कृति में लोकप्रिय हुई है, विशेष रूप से सिलिकॉन वैली, कैलिफ़ोर्निया जैसे क्षेत्रों में, और बाद में विभिन्न चुनौतियों के लिए स्व-दवा के रूप में इंटरनेट पर कहानियों और उपाख्यानों के माध्यम से फैल गई है।” नीदरलैंड में दक्षिणी डेनमार्क.

मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए

कारहार्ट-हैरिस कहते हैं कि यह शुरुआती खोज के नतीजे हैं. ऐसे में डिप्रेशन के रोगियों को मैजिक मशरूम के इस्तेमाल से खुद अपना इलाज करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वह कहते हैं, “यह एक गलत फैसला होगा.”न्यूरोपैसाइकोफार्माकोलॉजी के प्रोफेसर डेविड नट भी इंपीरियल कॉलेज की टीम में शामिल हैं. यह टीम पिछले कई सालों से साइलोसाइबिन की क्षमताओं का पता लगा रही है. यह नया अध्ययन दो चिकित्सकों और प्रयोगशाला में तैयार खुराक की मदद से पूरी तरह से नियंत्रित परिस्थितियों में किया गया था.मैजिक मशरूम से डिप्रेशन का इलाज भी किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है, इसमें मौजूद साइलोसायबिन नाम का कम्पाउंड एंटीडिप्रेसेंट दवा की तरह काम करता है। यह ब्रेन और न्यूरॉन के बीच के कनेक्शन को बेहतर बनाता है। यही कनेक्शन डिप्रेशन को घटाने का काम करता है। यह दावा येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है।

चूहे पर हुई रिसर्च

2016 में इस टीम ने एक छोटा अध्ययन प्रकाशित किया था. उस अध्ययन में भी बताया गया था कि साइलोसाइबिन की मदद से डिप्रेशन के लक्षणों को कम किया जा सकता है.सबसे विशेष रूप से, साइलोसाइबिन की बार-बार कम खुराक से चूहों की तनाव के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई, और उन्होंने कम बाध्यकारी व्यवहार प्रदर्शित किए।जर्नल न्यूरॉन में पब्लिश रिसर्च कहती है कि चूहे को साइलोसायबिन देने के बाद सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। उनके बिहेवियर में सुधार देखा गया है चूहे में दवा का असर एक महीने बाद तक बरकरार रहा। वैज्ञानिकों का कहना है, ड्रग की एक डोज का असर लम्बे समय तक रहता है।इसके अतिरिक्त, मस्तिष्क के थैलेमस क्षेत्र, जो हमारे निर्णयों और चिंताओं के लिए एक प्रकार के फिल्टर के रूप में कार्य करता है, से कनेक्शन की संख्या में वृद्धि देखी गई।चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि जानवरों ने साइलोसाइबिन की बार-बार कम खुराक को अच्छी तरह से सहन किया और कम आनंद (एनहेडोनिया), चिंता, या परिवर्तित लोकोमोटर गतिविधि के लक्षण प्रदर्शित नहीं किए।

पालनर ने कहा, “थैलेमस से कनेक्टिविटी में बदलाव तनाव कारकों के प्रति हमारी बढ़ी हुई लचीलापन में योगदान दे सकता है और यह बता सकता है कि क्यों इतने सारे लोग साइकेडेलिक मशरूम की छोटी खुराक से अपनी भलाई पर सकारात्मक प्रभाव की रिपोर्ट करते हैं।”नए अध्ययन के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने एक वैध विधि स्थापित की है जिसका उपयोग साइलोसाइबिन की बार-बार कम खुराक के प्रभावों पर आगे के शोध के लिए किया जा सकता है।अध्ययन चिकित्सीय हस्तक्षेप के रूप में माइक्रोडोज़िंग के लाभों की कई वास्तविक रिपोर्टों का भी समर्थन करता है।यह विभिन्न मानसिक विकारों के इलाज के लिए अतिरिक्त शोध और संभावित रूप से पूरी तरह से नए दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त करता है।”समाज में बढ़ती चिंता और तनाव ने वर्तमान में माइक्रोडोज़िंग पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित किया है, जिससे मशरूम के व्यापार में वृद्धि हुई है। नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों ने इसे या तो वैध कर दिया है या वैध करने की प्रक्रिया में हैं। उपचार के लिए साइलोसाइबिन,” पालनर ने कहा।”इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम इन पदार्थों के प्रभावों और दुष्प्रभावों को समझें, जो पहले से ही दुनिया भर के लोगों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं।

“ऐसे बनती है डिप्रेशन की स्थिति

शोधकर्ता क्वान का कहना है, ऐसा माना जाता है कि डिप्रेशन की स्थिति तब बनती है, जब न्यूरल कनेक्शन कमजोर हो जाता है। नई दवा इस कनेक्शन को 10 फीसदी तक मजबूत बनाता है। अगर कोई शख्स डिप्रेशन के साइडइफेक्ट से जूझ रहा है तो भी मैजिक मशरूम से इलाज किया जा सकता है।

हर मशरूम खाने लायक नहीं

एक्सपर्ट्स कहते हैं, मशरूम की हर प्रजाति खाने लायक नहीं होती है। मशरूम खाने से पहले उसके बारे में पता कर लें क्योंकि इसकी कुछ खास प्रजातियां जहरीली भी होती हैं। हालांकि इन्हें खाने से अब तक मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ऐसे मशरूम खाने से बचना चाहिए।

33-37 की उम्र के लोगों पर किया गया अध्‍ययन 

टीम ने 33-37 आयु वर्ग के 89 स्वस्थ प्रतिभागियों पर यह परीक्षण किया, जिसमें किसी को भी मानसिक बीमारी का या उनकी कोई मेडिकल हिस्‍ट्री नहीं थी। उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागियों को 10-25mg psilocybin दिया और पाया कि इस दवा ने उन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाया। इसने उस व्यक्ति के भावनात्मक और संज्ञानात्मक कार्यों में बाधा नहीं डाली, जो यह दर्शाता है कि मैजिक मशरूम में पाया जाने वाला यह यौगिक डिप्रेशन और अन्य मानसिक विकारों के लिए एक अच्‍छा घटक हो सकता है।

6 घंटे के इस अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों को आराम करने और आत्मनिरीक्षण करने के लिए कहा गया। इनकह जांच रिसर्च टीम द्वारा की गई। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक प्रतिभागी के महत्वपूर्ण संकेतों को यह देखने के लिए दर्ज किया कि क्या उनके मानसिक स्वास्थ्य में कोई बदलाव है। इस जांच में टीम ने प्रतिभागियों में आत्‍महत्‍या के खतरे के लिए भी परीक्षण किया। इस जांच के बाद प्रतिभागियों ने इन छह घंटों में जो भी कुछ अनुभव किया, वह एक डॉक्‍टर से बताने को कहा गया। इन सबके आधार पर शोधकर्ताओं ने परिणाम निकाले और इस कंपाउंड के सभी तीव्र प्रभावों के बाद, प्रतिभागियों को घर जाने की अनुमति दी गई।

क्‍या कहती है रिसर्च?

इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री, साइकोलॉजी एंड न्यूरोसाइंस किंग्स कॉलेज, लंदन, यूके के वैज्ञानिकों ने मशरूम पर एक नैदानिक परीक्षण किया, ताकि जिससे यह पता लगाया जा सके कि मशरूम का यह रूप वास्तव में मानसिक तनाव को कम करने और डिप्रेशन के इलाज में सहायक है। इस मशरूम के भिन्‍न प्रकार पर अपने पहले परीक्षण में वह आश्चर्यचकित रह गए। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मैजिक मशरूम मे मौजद एक सक्रिय यौगिक ‘psilocybin’ डिप्रेशन से निपटने का प्रभावी उपचार हो सकता है।

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