लाल सागर में हूतियों के भीषण हमलों के बीच, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान पहुंचे
नई दिल्ली – हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है और वे पश्चिमी देशों के खिलाफ काम कर रहे हैं। भारत सीधे तौर पर हूतियों के रडार पर नहीं है।यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक, ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और हिजबुल्लाह मिलकर हूतियों को ट्रेनिंग देते हैं।साथ ही ये जहाजों के जरिए हूती विद्रोहियों को ड्रोन्स, बैलिस्टिक मिसाइलें और दूसरे हथियार भी पहुंचाते हैं। चीन इन्हें फैक्ट्री बनाने, हथियारों के पार्ट्स की तस्करी करने और कई मामलों में सलाह देने का काम करते हैं। दूसरी तरफ, ईरान पश्चिमी देशों के खिलाफ भारत को एक सहयोगी के तौर पर देखता है।
एस जयशंकर ने भारत के आसपास हमलों पर की बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के आसपास के जहाजों पर हाल के हमलों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए “गंभीर चिंता” का विषय बताया और कहा कि ऐसे खतरे सीधे देश की ऊर्जा और आर्थिक हित को प्रभावित करते हैं।तेहरान में अपने ईरानी समकक्ष होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि ‘भयानक स्थिति’ से किसी भी ग्रुप को फायदा नहीं होगा।ईरान दौरे पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की।इस दौरान जिस जगह पर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी बैठे थे तो उनके पीछे वाली दीवार पर दो फोटो लगे हैं।तो आज हम इन फोटो के बारे में ही बात कर रहे हैं कि आखिर वो दोनों फोटो किसकी हैं।
हिंद महासागर में व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा को लेकर खतरा
जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सभी जानते हैं कि हिंद महासागर में व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो गया है। ईरानी विदेश मंत्री ने भी इसका जिक्र किया है। भारत के पास भी कई हमले हुए हैं। यह पूरे वैश्विक समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इसका भारत के ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ रहा है। जयशंकर ने ईरान को साफ-साफ कहा कि इस तरह की स्थिति किसी भी पक्ष के लिए फायदेमंद नहीं है और इसे स्पष्ट रूप से मान्यता दी जानी चाहिए। यह दुनिया को पता है कि यमन के हूती विद्रोही ईरान के इशारे पर काम करते हैं।
ईरानी विदेश मंत्री के सामने जयशंकर ने खुलकर यह मुद्दा उठाया
इसी वजह से ईरानी विदेश मंत्री के सामने जयशंकर ने खुलकर यह मुद्दा उठाया है। इससे पहले साल 2015 में ईरान ने ही ऑपरेशन राहत के दौरान भारत की अपने नागरिकों को निकालने में मदद की थी। साल 2015 में सऊदी अरब और यमन के हूतियों के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद भारत के करीब 5 हजार नागरिक यमन में फंस गए थे। इन नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत ने ऑपरेशन राहत शुरू किया था। इसके लिए भारत ने जहां सऊदी अरब से संपर्क साधा वहीं हूतियों को कुछ समय के लिए हमले रोकने के लिए मना लिया था। हूतियों को मनाने में भारत ने ईरान की मदद ली थी जो भारत का करीबी दोस्त है।
समुद्र में हमलों को लेकर भारत-चीन परेशान
दरअसल, ईरान मुस्लिम देशों का लीडर बनना चाहता है। हालांकि, ईरान शिया समुदाय वाला देश है, जबकि भारत में ज्यादातर सुन्नी समुदाय के लोग रहते हैं। लाल सागर और हिंद महासागर में लगातार हो रहे हूतियों के हमलों को लेकर भारत और चीन ने चिंताएं जताई हैं।ऐसे में ईरान को डर है कि कहीं इस मुद्दे पर दोनों देश अमेरिका के साथ न चले जाएं। ईरान भारत को यह संकेत देना चाहता है कि वो भारत के साथ है। इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी सोमवार को 2 दिन के दौरे पर ईरान पहुंचे।