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अफगानिस्तान का दूतावास भारत में नहीं होगा बंद, विदेश मंत्रालय ने कही ये बात


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नई दिल्लीः दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास और मुंबई तथा हैदराबाद में उसके वाणिज्य दूतावास बंद नहीं होंगे. देश के वरिष्ठ दूतों ने भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह स्पष्ट किया है. राजनयिक समर्थन की कमी और काबुल में एक मान्यता प्राप्त सरकार की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए भारत में अफगान दूतावास को 1 अक्टूबर से बंद करने का ऐलान किया गया था। इसके बाद आज, 5 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में बड़ा अपडेट देते हुए कहा है कि नई दिल्ली में अफगान दूतावास अभी तक काम कर रहा है।

अफगानिस्तान की महावाणिज्यदूत ने कहा

एक्स पर किये गये एक पोस्ट में, मुंबई में अफगानिस्तान की महावाणिज्यदूत जकिया वारदाक ने शुक्रवार को बताया कि उन्होंने कार्यवाहक महावाणिज्यदूत सैयद मोहम्मद इब्राहिमखिल के साथ 4 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। जिस समय, यह साफ़ किया गया था कि, दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास और मुंबई तथा हैदराबाद में दोनों वाणिज्य दूतावास खुले रहेंगे तथा अपने नागरिकों के हित के लिए अपना कार्य चालू रखेंगे।

दरअसल, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात के बाद अफगान दूतों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि भारत सरकार दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास को बंद नहीं करेगी और दोनों वाणिज्य दूतावास काम करते रहेंगे. दूतों ने विदेश मंत्रालय से दूतावास और वाणिज्य दूतावासों को कथित रूप से बंद करने के संबंध में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई के दावों को नजरअंदाज करने का भी आग्रह किया है. बयान में कहा गया है कि हम इस बात पर जोर देते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयां अफगान कानूनों और वियना कन्वेंशन के प्रावधानों के अनुसार राजदूत के दायरे से बाहर हैं.इसके अलावा, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राजदूत लंबे समय से दूतावास से अनुपस्थित हैं और मुंबई तथा हैदराबाद दोनों के महावाणिज्य दूतावासों के साथ परामर्श या आम सहमति के बिना ये निर्णय लिए गए हैं. ये निर्णय दूतावास के भीतर व्यक्तिगत और आंतरिक मामलों से प्रेरित प्रतीत होते हैं जो स्थापित राजनयिक प्रोटोकॉल और प्रथाओं का उल्लंघन करते हैं.

सभी ऑपरेशन सस्पेंड करने वाला था अफगान दूतावास

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि मंत्रालय को पिछले हफ्ते सूचना मिली थी कि अफगान दूतावास 1 अक्टूबर से संचालन सस्पेंड करने वाला है। बेशक, ऐसा निर्णय किसी विदेशी मिशन का आंतरिक मामला है। हालांकि, हमने नोट किया है कि मुंबई और हैदराबाद में अफगान वाणिज्य दूतावासों ने उस निर्णय या ऐसे निर्णय पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। उन्होंने कहा- ‘नई दिल्ली में दूतावास लगातार काम कर रहा है। हम दूतावास में मौजूद अफगान राजनयिकों और मुंबई और हैदराबाद में वाणिज्य दूतावासों में मौजूद राजनयिकों के संपर्क में हैं।’ हालांकि, हमें पिछले सप्ताह कथित तौर पर दूतावास से एक संचार प्राप्त हुआ था, जो दर्शाता है कि वह सितंबर के अंत में परिचालन निलंबित करने का इरादा रखता था.

भारत में अफगानिस्तान के लोगों को मिलता रहेगा सपोर्ट

विदेश मंत्रालय ने ये भी कन्फर्म किया कि भारत सरकार ने इस बात पर ध्यान दिया है कि कुछ समय से अफगानिस्तान के ज्यादातर लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। बागची ने ये भी कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत में छात्रों सहित बड़ी संख्या में अफगान नागरिक आवश्यक कांसुलर समर्थन प्राप्त करना जारी रख सकेंगे। हम अपनी ओर से अफगानिस्तान के लोगों की सहायता करना जारी रखेंगे।

राजदूत की लंबे समय से अनुपस्थित

उन्होंने यह भी कहा है कि बेशक, ऐसा निर्णय एक विदेशी मिशन का आंतरिक मामला है. हालांकि हमने नोट किया है कि मुंबई और हैदराबाद में अफगान महावाणिज्य दूतावासों ने उस निर्णय या ऐसे निर्णय पर अपनी आपत्ति जताई है. हम यह भी जानते हैं कि राजदूत की लंबे समय से अनुपस्थित हैं और हाल के दिनों में बड़ी संख्या में अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया है.असल में, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के पश्चात अफगान दूतों ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत सरकार द्वारा दिल्ली में मौजूद अफगानिस्तान दूतावास को बंद नहीं किया जायेगा। और दोनों वाणिज्य दूतावास अपना काम सामान्यतः करते रहेंगे।दूतों ने विदेश मंत्रालय से दूतावास और वाणिज्य दूतावासों को कथित रूप से बंद करने के विषय में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई के दावों को अनसुना करने का भी निवेदन किया है। बयान में कहा गया है कि हम इस बात पर बल देते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयां अफगान कानूनों और वियना कन्वेंशन के प्रावधानों के मुताबिक़ राजदूत के दायरे से बाहर हैं।

आपको बता दें कि अफगानिस्तान दूतावास ने अपने बयान में मिशन को प्रभावी तरीके से नहीं चला पाने के कुछ कारण गिनाए थे। उसने आरोप लगाया था कि उसे मेजबान देश से अहम सहयोग की कमी महसूस हो रही है, जिसकी वजह से वह प्रभावी तरीके से अपना काम नहीं कर पा रहा। हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

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