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लाइफस्टाइल

ये आदतें बच्चों को बना सकती हैं डायबिटीज का शिकार

नई दिल्ली – डायबिटीज दुनिया भर में एक आम बीमारी बनती जा रही है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। इस बीमारी की वजह से शरीर के बाकी अंग भी प्रभावित होते हैं। इसलिए, इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप अपनी लाइफस्टाइल में और खानपान में बदलाव कर सकते हैं।

अब दुनिया भर में बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं, यहां तक कि नवजात भी इस बीमारी के चपेट में आने लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साल 1990 के मुकाबले 2019 में 10 से 14 साल के बच्चों में 52.06 फीसदी और एक से चार साल के बच्चों में 30.52 फीसदी डायबिटीज के केसेस बढ़े हैं। भारत में साल 1990 में डायबिटीज की दर 10.92 तो 2019 में 11.68 थी, जो कि अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक थी। भारत में डायबिटीज की वजह से बच्चों की मौत का आंकड़ा भी 1.86 फीसदी बढ़ा है।

आर्टिफिशियल शुगर

शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी का कहना है आजकल माता पिता बच्चों के ऐसे ड्रिंक्स पिला रहे हैं जिसमें शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। बच्चों को पोषण देने के नाम पर दूध में मिलाकर पीने वाले पाउडर मोटापा और डायबिटीज की वजह बन रहे हैं।

अनहेल्दी डाइट

शहरों में रहने वाले लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल रही है। इससे बच्चों की जीवन शैली में भी कई बदलाव हो रहे हैं। आजकल बच्चों को मीठे के नाम पर चॉकलेट, जंक फूड, अनहेल्दी स्नैक्स, हाई कैलोरी फूड खाने के लिए दिया जाता है। जिससे वजन बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है।

फिजिकल एक्टिविटी कम

आजकल बच्चे दिनभर फोन और टीवी में लगे रहते हैं। जिससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गई है। डिजिटल युग और शहरों में रहने वाले बच्चे पार्क या किसी दूसरी फिजिकल एक्टिविटी में कम शामिल होते हैं। जिससे शरीर पर मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज का रिस्क बढ़ता है।

आनुवंशिक कारण

बच्चों में डायबिटीज का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता को डायबिटीज है, तो बच्चे में भी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। आनुवंशिकता के कराण इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक हो जाती है।

गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग करना

प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करने से भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है और पैदा होने के बाद बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे बच्चे में मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। इतना ही नहीं तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से उन्हें इंसुलिन रेजिस्टेंस भी हो सकता है।

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