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होली 2023: होली का धार्मिक महत्व,जाने कब है होली


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नई दिल्ली – रंग और उल्लास का त्योहार होली का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। पंचाग के अनुसार फागण मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है। लोग इस साल होली की तारीख को लेकर असमंजस में हैं। आइए जानें होलिका दहन की तिथि और कब होगी दिशति।

पंचांग के अनुसार फागन मास की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 7 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी. होलिका दहन इस वर्ष 7 मार्च 2023 को है। इस दिन होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 06:31 से 08:58 तक रहेगा।

हर साल होली से कुछ दिन पहले मथुरा और ब्रज में लट्ठमार होली खेली जाती है। लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। इस बार लट्ठमार होली 28 फरवरी 2023 को खेली जाएगी। द्वापर युग में राधा-कृष्ण लठमार होली खेलते थे, यह परंपरा आज तक निभाई जाती है। इसमें गोपियों (महिलाओं) ने नंदगाँव से आने वाले ग्वालों (पुरुषों) को लाठियों से पीटा और पुरुष ढाल के सहारे भागने की कोशिश करते हैं।

होलाष्टक के दिन अशुभ माने जाते हैं और इन दिनों में कुछ कामों की मनाही होती है। इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू होकर 7 मार्च 2023 तक रहेगा। उसके बाद मंगलवार को होलिका दहन होगा और होलाष्टक पूर्ण होगा। वहीं धुलेटी 8 मार्च को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में होलाष्टक के आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। इसके पीछे का कारण ग्रहों की अशुभ स्थिति और पौराणिक कथाएं हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार होली का संबंध होलिका और प्रह्लाद की कहानी से है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जब होलिका भगवान श्री विष्णु के भक्तों को जलाने के लिए आग में बैठी तो भगवान हरि की कृपा से प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होलिका उसी आग में जलकर मर गई। हिंदू मान्यता के अनुसार पौराणिक काल में होली से 8 दिन पहले प्रह्लाद को सताना शुरू कर दिया था। इसलिए होलिका दहन के आठ दिन पहले होलिका मनाई जाती है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन आठ दिनों में सभी ग्रह अस्त और रुद्र अवस्था में होते हैं। अत: ये अशुभ फल प्रदान करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है।

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