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प्रेगनेंसी में हल्‍दी का दूध माना जाता है पौष्टिक


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नई दिल्ली – हल्‍दी की जड़ सूजन-रोधी प्रभाव देती है और एंटीऑक्‍सीडेंट से युक्‍त होती है। शरीर पर लगने वाले घावों और सूजन को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-कैंसर गुण होते हैं. यह मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होती है. हल्दी की मौजूदगी की वजह से ‘हल्दी वाले दूध’ को पौष्टिक माना जाता है।

शरीर पर लगने वाले घावों और सूजन को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-कैंसर गुण होते हैं. यह मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होती है. हल्दी की मौजूदगी की वजह से ‘हल्दी वाले दूध’ को पौष्टिक माना जाता है.

रोजाना खाए जाने वाले खाने में कम मात्रा में हल्दी डालना स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है. प्रेग्नेंसी के दौरान हल्दी का सेवन करने से ‘प्रीक्लेम्पसिया’ को रोकने में मदद मिल सकती है, जो एक ऐसी गंभीर स्थिति है जो प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते के दौरान या शिशु को जन्म देने के बाद पैदा हो सकती है. डॉक्टर ने कहा, ‘हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान हल्दी वाला दूध पीने की सलाह मैं आमतौर पर नहीं देती. उन्होंने यह भी कहा कि प्रेग्नेंसी के दौरान हल्दी वाला दूध बॉडी में एस्ट्रोजन के हार्मोन को बदल सकता है, जिससे गर्भाशय संकुचन या ब्लीडिंग की दिक्कत पैदा हो सकती है.

सर्दी-जुकाम : हल्‍दी में एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैा जो सर्दी-जुकाम से राहत दिलाती है। हल्‍दी का दूध पीने से सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश ठीक होती है।
इम्‍यून सिस्‍टम : हल्‍दी एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करती है जो फ्री रेडिकल्‍स को हटाकर इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करती है।

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