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आयकर विभाग ने भेजे टैक्‍सपेयर्स को नोटिस,Tax विभाग ने दी जरूरी सूचना

नई दिल्ली – एन्यूअल इनफॉरमेशन स्टेटमेंट (AIS) भारत के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक जरूरी डॉक्यूमेंट है. यह किसी स्पेशल फाइनेंशियल ईयर के दौरान इंडीविजुअल टैक्सपेयर के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के ब्रॉड सारांश के तौर पर काम करता है. टैक्स सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी और जवाबदेही बढ़ाने के लिए पेश किया गया, AIS बैंकों, फाइनेंशियल इंस्टीट्यशंस और अन्य थर्ड पार्टी समेत कई स्रोतों से एकत्र किए गए अलग-अलग फाइनेंशियल डेटा बिंदुओं को कंसॉलिडेट करता है.

ऐसे मामलों में जहां असेसमेंट ईयर 2021-22 के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है, लेकिन विभाग के पास अधिक मूल्य के वित्तीय लेनदेन की जानकारी है, उनकी भी जांच की जानी चाहिए. ऐसे में ई-सत्यापन योजना-2021 के तहत विभाग बेमेल जानकारी के संबंध में करदाताओं को सूचना भेज रहा है. आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं से अपडेटेड आईटीआर दाखिल करने को कहा है.अपडेटेड रिटर्न को 2022 के बजट में इंट्रोड्यूस किया गया था अंडर सेक्शन 139(8), जिसके तहत सरकार ने टैक्सपेयर्स को ये ऑप्शन दे दिया कि वो एक स्पेसिफाइड टाइमलाइन के अंदर अपना अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं. इसका कॉन्सेप्ट है कि टैक्सपेयर को ये मौका दिया जाए कि अगर उन्होंने आईटीआर नहीं फाइल किया है, या कुछ अपडेट्स हैं तो वो अपडेटेड रिटर्न फाइल कर लें.

जिन लोगों के आयकर रिटर्न में कोई भी गलती पाई जाती है तो ऐसे में आयकर दाताओं गलती में सुधार के लिए अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल करना होता है. वित्तीय वर्ष में 2020-21 यानी असेसमेंट ईयर 2021-22 में यदि आपके भी आयकर रिटर्न में गलतियां है तो उसे सुधारने के लिए आयकर विभाग ने समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2024 कर दी है. यानी 31 मार्च 2024 तक अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल करना ही होगा.जिन लोगों के रिटर्न में गलतियां मिली है या जिनकी जानकारी मेल नहीं खाती है ऐसे लोगों को आयकर विभाग ने ई मेल के जरिये नोटिस भेजे हैं. यदि आपने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपना रिटर्न फ़ाइल नहीं किया है और आपने हाई-वैल्‍यू फाइनेंश‍ियल ट्रांजेक्‍शन के बारे में आयकर विभाग को जानकारी है तो ऐसे में अब आप अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल कर सकते हैं.

AIS सटीक आयकर दाखिल करने की सुविधा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह टैक्सपेयर्स को उनकी फाइनेंशियल एक्टिविटीज के बारे में एक कंसॉलिडेटेड व्यू प्रदान करता है, जिससे उन्हें टैक्स रूल्स का कांप्लायंस सुनिश्चित करने और मिसमैच से बचने में मदद मिलती है. AIS में दी गई जानकारी को अपने रिकॉर्ड के साथ क्रॉस-वेरीफाई करके, टैक्सपेयर किसी भी अशुद्धि को सुधार सकते हैं और एक सुचारू फाइलिंग प्रासेस सुनिश्चित कर सकते हैं.

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