x
भारत

महाराष्ट्र में हिंसक हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन ,प्रदर्शनकारियों ने विधायकों-पूर्व मंत्री के घर जलाये


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन सोमवार को हिंसक होता दिखाई दिया। दो विधायकों के घरों और कार्यालयों पर तोड़फोड़ की गई। नगर निगम की एक इमारत को आग लगाने का प्रयास किया गया। आरक्षण के समर्थन में एक भाजपा विधायक और शिवसेना शिंदे गुट के एक सांसद ने त्यागपत्र देने की घोषणा भी की है।

विधायकों के घर फूंके

छत्रपति संभाजी महाराज नगर के गंगापुर में भाजपा विधायक प्रशांत बंब के कार्यालय में आंदोलनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ की और एक अन्य विधायक प्रकाश सोलंके के घर पर पथराव किया और आग लगा जी। इसके बाद बीड के माजलगांव नगर निगम की इमारत की पहली मंजिल में आग लगा दी। इस आगजनी में नगर निगम के फर्नीचर को नुकसान पहुंचा है, जिस जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मनोज जरांगे पाटिल का अनशन चल रहा है, वहां के नगर मुख्यालय स्थित सभी सरकारी कार्यालयों में मराठा आंदोलनकारियों ने ताले लगा दिए।

सोलंके के घर पर क्यों हुआ हमला?


प्रकाश सोलंके के नाम से वायरल हो रही एक ऑडियो क्लिप को हमले के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। इस ऑडियो क्लिप में प्रकाश सोलंके कथित तौर पर मनोज जारांगे पर टिप्पणी करते सुनाई देते हैं। मराठा आरक्षण के लिए मनोज जरांगे ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी।उस वक्त महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे से मामला सुलझाने के लिए 30 दिन का समय मांगा था। जरांगे ने वादा किया था कि वह अगले 40 दिनों तक विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे।

आदोलनकारियों ने सोमवार शाम एनसीपी के एक और विधायक के आवास पर आग लगा दी। बीड में एनसीपी विधायक संदीप क्षीरसागर के आवास पर आग लगा दी। इसके बाद पूर्व मंत्री जय क्षीरसागर का घर भी फूंक दिया। बीड में एनसीपी के दफ्तर में भी आगजनी की खबर है। बीड के कुछ हिस्से में धारा 144 लगाई गई है।

लातूर में मेडिकल स्टूडेंट्स भी भूख हड़ताल पर बैठे

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लातूर में कई मेडिकल स्टूडेंट्स भी भूख हड़ताल पर बैठ गए। एक्टिविस्ट मनोज जरांगे की अपील पर रविवार 29 अक्टूबर को मराठा क्रांति मोर्चा के 6 कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे।वहीं, सोमवार 30 अक्टूबर तक बीते 48 घंटे में महाराष्ट्र राज्य परिवहन की 13 बसों को नुकसान पहुंचाया गया है। इसे देखते हुए राज्य परिवहन निगम ने 250 में से 30 डिपो से ऑपरेशन बंद रखने का फैसला लिया है।

सीएम की सभा में भी हंगामा

हंगामे का सिलसिला यवतमाल में आयोजित मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम में भी जारी रहा। यहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ‘शासन आपके द्वार’ कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। वहां उनकी सभा में शिवसेना उद्धव गुट के समर्थकों ने हंगामा करने की कोशिश की, जिन्हें शांत करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

शिंदे बोले- 11 हजार पुराने दस्तावेजों में कुनबी का जिक्र

सोमवार 30 अक्टूबर को सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि 11 हजार 530 पुराने रिकॉर्ड्स में कुनबी जाति का जिक्र है। उन्होंने 31 अक्टूबर को नए सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे। शिंदे ने ये बात तब कही, जब मराठा समुदाय कुनबी की तरह ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहा है।शिंदे ने ये भी कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे 3 सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी, जो राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने को लेकर सलाह देगी। कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस संदीप शिंदे (रिटायर्ड) होंगे।शिंदे ने बताया कि मंगलवार 31 अक्टूबर को एक्टिविस्ट मनोज जरांगे से बात करेंगे। राज्य सरकार को कुछ वक्त की जरूरत है, उन्हें (जरांजे) भी हमें समय देना चाहिए।

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मसला क्या है?

महाराष्ट्र में एक दशक से मांग हो रही है कि मराठाओं को आरक्षण मिले। 2018 में इसके लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया और मराठा समाज को नौकरियों और शिक्षा में 16% आरक्षण दे दिया।
जून 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे कम करते हुए शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% आरक्षण फिक्स किया। हाईकोर्ट ने कहा कि अपवाद के तौर पर राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा पार की जा सकती है।
जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो इंदिरा साहनी केस या मंडल कमीशन केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच ने इस पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि इस मामले में बड़ी बेंच बनाए जाने की जरूरत है।

विधायक, सांसद का इस्तीफे का एलान

राज्य में मराठा आरक्षण के कारण अशांति की आशंका को देखते हुए कई स्थानों पर राज्य परिवहन की बसों का आवागमन रोक दिया गया है। इसी बीच, परभणी से सांसद हेमंत पाटिल एवं भाजपा विधायक लक्ष्मण पवार ने मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन के समर्थन में अपने पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की है। लक्ष्मण पवार बीड के गेवराई विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार हैं।

क्या है इंदिरा साहनी केस, जिससे तय होता है कोटा?

1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10% आरक्षण देने का आदेश जारी किया था। इस पर इंदिरा साहनी ने उसे चुनौती दी थी।
इस केस में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षित सीटों, स्थानों की संख्या कुल उपलब्ध स्थानों के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है।
तब से ही यह कानून बन गया। राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल जब भी आरक्षण मांगते तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आड़े आ जाता है।

Back to top button