नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 1 से रु. 2 हजार तक के नोट छापता है। इन नोटों का उपयोग करके लोग दैनिक आवश्यकताओं से लेकर अन्य सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में जीरो (0) रुपये के नोट भी छापे जाते हैं। आज हम आपको जीरो रुपये के नोट की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार विरोधी नोट में कई संदेश थे, जिनमें “भ्रष्टाचार समाप्त करें”, “यदि कोई रिश्वत मांगता है, तो हमें यह नोट दें और हमें इसके बारे में बताएं” नंबर और ईमेल आईडी मुद्रित हैं।
केवल ‘पाँचवाँ स्तंभ’ नामक संस्था ने जीरो रुपये के नोट बनाकर रिश्वत चाहने वालों को दे दिए। यह नोट भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का प्रतीक था। संस्थान के तमिलनाडु के कई जिलों में केंद्र थे। इसका मुख्यालय चेन्नई में है। संस्थान के बैंगलोर, हैदराबाद, दिल्ली और राजस्थान में पाली में भी केंद्र हैं।
जीरो रुपये के इस नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो भी छपी है और यह बिल्कुल दूसरे नोटों की तरह ही दिखता है. लेकिन आप सोच रहे होंगे कि जीरो रुपये का नोट क्यों लाया गया। आखिर इस नोट से क्या खरीदा जा सकता है। बता दें, यह नोट आरबीआई की ओर से जारी नहीं किया गया है। दरअसल, इसे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत बनाया गया था।
नोट को एक संगठन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार के रूप में पेश किया था। यह विचार 2007 में दक्षिण भारत में एक गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) से आया था। तमिलनाडु स्थित एनजीओ 5वें पिलर के नाम से इसने करीब पांच लाख रुपये के जीरो नोट छापने का काम किया। नोट चार भाषाओं हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में छपे और वितरित किए गए।