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जाने सुनीता विलियम्स धरती से कितनी दूर हैं, स्पेस में एक दिन में होता है 16 सूर्योदय

नई दिल्ली – अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स सुरक्षित हैं। सुनीता विलियम्स बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर सवार होकर 5 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंची थीं। उनका मिशन मात्र 10 दिनों का था, लेकिन वह पिछले एक महीने से अपने एक साथ अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसी हुई हैं। अब नासा ने बताया है कि सुनीता विलियम्स की सेहत अच्छी और वह सुरक्षित हैं। नासा ने यह भी कहा कि सुनीता विलियम्स अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अनुसंधान और रखरखाव में मदद करना जारी रखेंगी। वह 10 जुलाई को रात 8.30 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से लाइव संबोधन में चालक दल के मिशन पर चर्चा करेंगी।

कैसा है अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन?

स्पेस में स्थित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक घर की तरह है। इसमें पांच बेडरूम, दो बाथरूम, एक जिम और एक खिड़की भी है। अगर अंतरिक्ष स्टेशन में लगे सोलर पैनल के किनारों से मापा जाए, तो यह एक फुटबाॅल मैदान के बराबर है। अंतरिक्ष स्टेशन पर छह लोग रह सकते हैं, लेकिन कई बार इसकी संख्या अधिक हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मई 2022 तक 20 देशों के 258 अंतरिक्ष यात्री जा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक अमेरिका के 158 और रूस के 54 अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। यह पृथ्वी से करीब 400 किमी ऊपर है। यह 28, 000 किमी की रफ्तार से धरती के चारों तरफ घूमता है। 90 मिनट में अंतरिक्ष स्टेशन धरती का एक चक्कर पूरा करता है। इसका मतलब यह है कि एक दिन में अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं।

सुनीता विलियम्स की पृथ्वी से दूरी की बात करें तो

सुनीता विलियम्स की पृथ्वी से दूरी की बात करें तो वो फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन धरती में लगभग 300 किलोमीटर की ऊंचाई में मौजूद हैं।जब कोई यान धरती से करीब 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती के वायुमंडल में एक खास गलियारे से एंट्री करता है, तभी वो सफलतापूर्वक धरती पर लौट पाएगा।यदि इसमें जरा सी भी चूक हुई तो यान ब्रह्मंड में लौट जाएगा और उसका चक्कर लगाता रह सकता है। इसे रीएंट्री कॉरिडोर कहा जाता है।

किस मिशन पर हैं सुनीता विलियम्

इस मिशन की जानकारी देते हुए बता दें कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को ले जाने वाले विमान को 5 जून को लॉन्च किया गया था. बोइंग अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण में लॉन्च से पहले गड़बड़ियों देखी गई थीं। इसमें इन्हीं सब कारणों से कई बार देरी हुई. हालिया अंतरिक्ष प्रक्षेपण शुरू में एक सप्ताह की अवधि के लिए तय किया गया था। लेकिन बाद में इसे लेकर सर्विस मॉड्यूल बढ़ा दिया गया।

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