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क्या है हीट वेव?,अप्रैल में ही क्यों चलने लगे लू के थपेड़े? जान लीजिए इसके पीछे की वजह


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नई दिल्लीः इन दिनों देश के कई हिस्से हीट वेव (लू) की चपेट में हैं। इस लू के चलते देश के तीन राज्यों में कई लोगों की मौत का दावा किया गया है। जिन राज्यों में ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा शामिल हैं। इस बीच, हीट वेव के प्रभाव को देखते हुए कई राज्यों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश की तारीखों में बदलाव किया है।जानलेवा बन चुकी लू सामान्य जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि हीट वेव क्या है? यह कब घोषित किया जाता है? भारत में हीट वेव की अवधि क्या है? देश में हीट वेव से प्रभावित राज्य कौन से हैं? हीट वेव का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? अभी क्यों चर्चा में है हीट वेव? इसका असर क्या पड़ रहा है? क्या पहले भी ऐसे हालात पैदा हुए हैं? आइये जानते हैं…

हीट वेब क्या है?

हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। लू की घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म होती जा रही है, वैसे-वैसे दिन और रात सामान्य से अधिक गर्म होते जा रहे हैं और हीट वेव की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे मौतों और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

कब चलती है लू?

लू तब चलती है जब किसी केंद्र का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो सामान्य से कम से कम 5 डिग्री अधिक रहता है.

लू कब घोषित किया जाता है?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की परिभाषा के अनुसार, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो यह खतरनाक लू की श्रेणी में कही जाती है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो लू चलने लगती है।

भारत में हीट वेव की अवधि क्या है?

यह मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है। भारत में इन गर्म हवाओं का चरम महीना मई है।

अप्रैल में लू चलने की वजह क्या है?

मौसम विभाग (IMD) ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत में इस साल अधिक गर्मी और अधिक लू वाले दिनों का अनुभव होगा, क्योंकि अलनीनो की स्थिति के कम से कम मई तक बरकरार रहने की संभावना है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 2024 के मई-जून में गर्मी के सारे पुराने रिकॉर्ड टूट सकते हैं. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक भू मध्य रेखीय प्रशांत महासागर में अलनीनो की परिस्थिति बनी हुई है. वहीं प्रशांत महासागर की सतह औसत से अधिक गर्म है. प्रशांत महासागर का तापमान बढ़ा होने की वजह से भीषण गर्मी होने वाली है.

देश में लू से प्रभावित राज्य कौन से हैं?

हीट वेव आमतौर पर मार्च से जून के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत, मध्य, पूर्व और उत्तर प्रायद्वीपीय भारत के मैदानी इलाकों में होती है। इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्से, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। कभी-कभी यह तमिलनाडु और केरल में भी होता है। गर्म हवाएं मानव और पशु जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। हालांकि, मई के महीने में मुख्य रूप से राजस्थान और विदर्भ क्षेत्र में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक देखा गया।

हीट वेव का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, हीट वेव के स्वास्थ्य प्रभावों में आमतौर पर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), ऐंठन, उष्माघात आदि शामिल होते हैं। 39 डिग्री सेल्सियस से कम बुखार, सूजन और बेहोशी आमतौर पर ऐंठन के लक्षण होते हैं। थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियां ऐंठन और पसीना लू लगने के संकेत देते हैं। उष्माघात के लक्षणों में शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, दौरे या कोमा शामिल हैं। यह एक घातक स्थिति मानी जाती है।

लू कैसे है जानलेवा?

लेडी हार्डिंंग हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. एल एच घोटेकर बताते हैं कि हीट वेव से मौत के कई कारण हैं. हीट वेव की वजह से हार्ट फेल हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादा गर्मी की वजह से शरीर के तापमान को मेंटेन करने के लिए बॉडी को अधिक ब्लड पंप करना पड़ता है. इस दौरान बीपी को मेंटेन करने के लिए हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है. इससे हार्ट पर प्रेशर पड़ता है. इस दौरान हार्ट बीट प्रति मिनट 100 की दर को पार कर जाती है. हार्ट बीट के अचानक तेजी से बढ़ने की वजह से हार्ट फेल हो जाता है. जो मौत का कारण बन सकता है.

हीट स्ट्रोक

हीट वेव से मौत होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण हीट स्ट्रोक है. ज्यादा गर्मी की वजह से शरीर का तापमान अचानक तेजी से बढ़ने लगता है. पसीना उस हिसाब से नहीं निकल पाता है और शरीर खुद को ठंडा नहीं रख पाता है. इस दौरान 10 से 13 मिनट के भीतर ही शरीर का तापमान 106°F से ज्यादा हो जाता है. इस वजह से हीट स्ट्रोक आता है और कई मामलों में व्यक्ति की मौत तक हो जाती है.

किडनी का फेल होना

डॉ. घोटेकर बताते हैं कि अधिक गर्मी की वजह से पसीना ज्यादा निकलता है और शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है. अगर इस दौरान कोई व्यक्ति पानी नहीं पीता है तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है. इससे किडनी के फंक्शन पर असर पड़ने लग जाता है और किडनी फेल हो जाती है.

लू लगने पर कैसे लक्षण आते हैं नजर?

हीट वेव की चपेट में आने से ऐसे लक्षण नजर आते हैं.

अचानक सिर में तेज दर्द होना

पसीना बहुत ज्यादा आना या बिलकुल न आना

चक्कर आना

मांसपेशियों में दर्द

हीट वेव से बचाव कैसे करें

तेज धूप में बाहर जाने से बचें

हर एक घंटे में पानी पीते रहें

सिर को कवर करके रखें.

हल्के, ढीले और कपड़े पहनें

ज्यादा गर्मी होने ओआरएस का घोल पिएं

संतरा, तरबूज जैसे फल खाएं

क्या होता है अलनीनो

अलनीनो एक जलवायु संबंधी घटना है जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का प्रतिनिधित्व करती है. भारत में अलनीनो इफेक्ट आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून (Monsoon) के सामान्य से अधिक शुष्क मौसम और पूरे देश में बढ़ी हुई गर्मी और सूखे के लिए जिम्मेदार होता है.

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