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जानलेवा हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर,ऐसी गल्‍तियां करने वाली महिलाओं जल्‍द आ जाती है चपेट में -जानें शुरुआती लक्षण


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नई दिल्लीः ब्रेस्ट कैंसर काफी खतरनाक माना जाता है. दुनियाभर की महिलाएं के लिए यह चिंता का विषय है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में कैंसर के कुल जितने भी मामले आते हैं, उनमें 30% से ज्यादा तो ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के ही मामले हैं. यह काफी जानलेवा बीमारी है. बाकी कैंसर की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण काफी पहले दिखाई देने लगते हैं. ऐसे में अगर समय रहते इन पर ध्यान दे दिया जाए तो मौत का खतरा कम किया जा सकता है. इसलिए ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों (Breast Cancer Early Symptoms) को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए.

​ब्रेस्ट कैंसर की पहचान क्या है

ब्रेस्ट कैंसर भारत सहित दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। विश्वभर में हर साल लगभग 17 लाख नए ब्रेस्ट कैंसर के मामलों का निदान होता है। वहीं भारत में हर साल आने वाले ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की संख्या 2 लाख है। इनमें से लगभग 1 लाख महिलाओं की इस कैंसर की वजह से मौत हो जाती है।

ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं

निपल्स में जलन

वैसे तो निप्पल में जलन के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन निप्पल में जलन महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का भी लक्षण हो सकता है. वहीं, निपल्स का पीछे होना, निप्पल पर खुजली और लाल रंग के चकत्ते पड़ना भी ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य लक्षण हो सकते हैं.

ब्रेस्ट में गांठ

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत स्तन में गांठ बनने से होती है. इसलिए अगर आपको निप्पल पर गांठ महसूस हो रही है तो बिना समय गंवाए डॉक्टर से संपर्क करें और जांच कराएं.

ब्रेस्ट का साइज बदलना

अगर स्तन में अचानक से बदलाव नजर आए तो यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है. ब्रेस्ट का चपटना होना, साइज में असमानता, स्तन का साइज कम हो जाना और स्तन के सुडौलपन में कमी भी ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है.

ब्रेस्ट में दर्द या छूने में अजीब लगना

स्तन छूने पर अगर किसी तरह का दर्द महसूस हो रहा है या थोड़ा अटपटा लग रहा है तो यह ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है. इसलिए बिना देरी किए डॉक्टर के पास पहुंचे और जांच करवाएं.

निप्पल का डिस्चार्ज होना

अगर स्तन से बिना गर्भावस्था के पानी या किसी तरह का तरह पदार्थ निकलता है तो यह ब्रेस्ट कैंसर के खतरे का साइन हो सकता है. अगर इस तरह का डिस्चार्ज समझ आता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर उन्हें अपनी समस्या बताएं और जरूरी इलाज करवाएं.

​ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

ब्रेस्ट कैंसर में आमतौर पर कीमोथैरेपी, सर्जरी, सर्जरी, रेडियोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी, हार्मोनल थैरेपी , एंडोक्राइन थैरेपी, इम्यूनो थैरेपी से इलाज किया जाता है। डॉ जामरे कहती हैं कि सर्जरी करने का मतलब यह नहीं कि सभी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज का ब्रेस्ट निकाल दिया जाएगा। अगर महिलाएं शुरूआती स्टेज में इस पर ध्यान दें , तो सही इलाज करके ब्रेस्ट बचाया भी जा सकता है। उनके अनुसार, सभी मरीजों में सभी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती। मरीज की बीमारी की गंभीरता, स्टेज, उम्र , बायोलॉजिकल प्रोफाइल और मरीज के इलाज के सहन करने की क्षमता के आधार पर इलाज तय किया जाता है।

​ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचें

100 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर का बचाव करना असंभव है। लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।हर महिला को हफ्ते में 4 दिन तक 20-30 मिनट फिजिकल एक्सरसाइज करनी चाहिए।
इसके साथ ही डाइट पर ध्यान दें। डाइट ऐसी हो जिससे न तो मोटापा बढ़ें और न ही ये बहुत ज्यादा शुगर और फैट युक्त हो। डाइट में फल और सब्जी की मात्रा को संतुलित रूप से लें।महिलाओं को हर महीने अपने स्तन की जांच खुद कैसे कर सकते हैं, यह सीखना चाहिए। ऐसा करने से अगर वह स्तन में कुछ बदलाव महसूस करती है, तो तुंरत डॉक्टर से इस बारे में चर्चा कर सकती है।महिलाओं को चाहिए कि ब्रेस्ट कैंसर डायगनोज होने के बाद तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, लापरवाही न बरतें। इससे समय पर इलाज किया जा सकता है और फिजूल का पैसा खर्च होने से भी बचाया जा सकता है।

​ब्रेस्ट कैंसर का खतरा किन महिलाओं को ज्यादा है

जिन महिलाओं में मोटापा होता है
कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं
मेनोपॉज में देरी
जिन्हें बच्चा पैदा करने में मुश्किल आती है
जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती।
बिना डॉक्टर की सलाह के हार्मोन्स का सेवन करती हैं
धूम्रपान करने वाली महिला या फिर शराब का सेवन करने वाली महिलाएं
लगभग 5-10 प्रतिशत महिलाओं में यह कैंसर अनुवांशिकी होता है

मृत्युदर के जोखिम को कम करने के लिए महिलाओं को कैंसर के लक्षणों के प्रति जागरूकता और स्क्रीनिंग की जरूरत है। डॉक्टर कहती हैं कि शुरूआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर के मरीज सौ प्रतिशत तक ठीक हो सकते हैं और अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं।

इलाज में न करें देरी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में और आसपास के इलाकों से ऐसे मामले अक्सर आते रहते है. ब्रेस्ट कैंसर के इन शुरुआती लक्षणों से आप इसकी पहचान कर सकते हैं, जैसे स्तन में किसी तरह की गांठ होना. अगर आपको इस तरह का कोई लक्षण दिखाई दे, तो आप तुरंत अस्पताल पहुंचे. दून अस्पताल समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता रहता है और इसी के साथ ही दून अस्पताल में कीमोथेरेपी आदि जैसी सुविधाओं से कैंसर के मरीजों को राहत भी मिल रही है.

कम उम्र में भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर

दून अस्पताल में कैंसर विभाग के एचओडी डॉ दौलत सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि सहारनपुर, बिजनौर, चकराता, देहरादून और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से दून अस्पताल में काफी मरीज ब्रेस्ट कैंसर के आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले 45 से 50 की महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत आम होती थी लेकिन अब कम उम्र में डाइट और प्रॉपर न्यूट्रिशन न मिलने पर सैचुरेटेड फैट बॉडी में इकट्ठा होता रहता है. व्यायाम नहीं करने से वह बर्न नहीं हो पाता है, जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है. मोटापा होने से भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बना रहता है. डॉक्टर बताते हैं कि अगर इसमें सही से और वक्त पर ट्रीटमेंट ना किया जाए, तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है.

उम्र बढ़ना

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उम्र के साथ और अधिक बढ़ता है। ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में अधिकतम केसेज़ में यह देखा गया कि ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादातर मामले 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में होते हैं।

पारिवारिक इतिहास

अगर ब्रेस्ट कैंसर की समस्या कम उम्र में होती हैं तो इसका कारण जेनेटिक्स भी हो सकता है।

हॉर्मोनल थेरेपी

लंबी समय तक हार्मोनल थैरेपी या अधिक कॉन्ट्रासेप्टिव का उपयोग करने से भी ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

व्यक्तिगत इतिहास

यदि किसी व्यक्ति को पहले एक स्तन में स्तन कैंसर हुआ है, तो उन्हें दूसरे स्तन में भी कैंसर होने का खतरा काफी अधिक मात्रा में बढ़ जाता है।

रेडिएशन एक्सपोजर

यदि कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होता है तो उसके एक कारण रेडिएशन हो सकता है। हानिकारक और तेज़ रेडिएशन केे संपर्क में आने से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

शारीरिक गतिविधि और आहार

शारीरिक गतिविधियों और आहार के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, लेकिन इस कारक के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने की उम्मीदें न्यूनतम होती है।

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का लंबे समय तक उपयोग, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन के साथ, जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकता है।

रिप्रोडक्टिव फैक्टर्स

30 की उम्र के बाद बच्चा होना या बड़ी आयु की रिप्रोडक्टिव एक्टिवनेस शुरू करने के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

मेंस्ट्युरेशन और मेनोपॉज

कम उम्र में (12 वर्ष से पहले) मासिक धर्म शुरू होना या देर से उम्र में (55 के बाद) मेनोपॉज़ होना भी ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

ब्रेस्ट डेंसिटी

डेन्स ब्रेस्ट टिशू वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का कारण अधिक होता है।

शराब का सेवन

नियमित शराब का सेवन और धूम्रपान करना भी ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

स्तन कैंसर : निदान

ब्रेस्ट कैंसर के निदान में आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं .

क्लिनिकल परीक्षण

ब्रेस्ट कैंसर को पहचानने की इस प्रक्रिया में ब्रेस्ट की गाँठ या लक्षण के लिए स्तन की जांच की जाती है, जिससे इसके बारे में पता चलता है।

इमेजिंग

ब्रेस्ट टिशू को देखने और किसी भी असामान्यता की पहचान करने के लिए मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड या एमआरआई स्कैन का उपयोग किया जाता है।

बायोप्सी

यदि किसी असामान्यता का पता चलता है, तो प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए एक ब्रेस्ट टिशू की बायोप्सी की जाती है। जिसके बाद इस तरीके से पता लगाया जाता है कि ब्रेस्ट कैंसर है या नहीं और साथ ही अगर ये मौजूद है तो वह किस प्रकार का है।

स्टेजिंग

यदि ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि हो जाती है तो कैंसर की सीमा का आकलन करने के लिए पीईटी सीटी पूरे शरीर या छाती, पेट और हड्डी का सीटी स्कैन द्वारा स्टेजिंग की जाती है, जिससे उपचार निर्णय लेने में मदद मिलती है।

स्तन कैंसर : उपचार

स्तन कैंसर का उपचार प्रकार, अवस्था और व्यक्तिगत कारकों पर निर्भर करता है। इसमें अक्सर उपचारों का संयोजन शामिल होता है, जिनमें शामिल हैं:

सर्जरी

अधिकतर मामलों में ट्यूमर या पूरे स्तन को (जिसे मास्टेक्टॉमी कहा जाता है) हटा दिया जाता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर को पूरे शरीर में फैलने से रोका जाता है।

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन थेरेपी भी ब्रेस्ट कैंसर को खत्म करने के लिए प्रयोग की जाने वाला एक तरीका है, इस प्रक्रिया में हाई-एनर्जी रेज़ को कैंसर फैलाने वाले सेल्स की तरफ टारगेट किया जाता है, और उन्हें खत्म किया जाता है।

कीमोथेरेपी

इस प्रक्रिया में पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विभिन्न तरह की दवाओं का प्रयोग किया जाता है ।

हार्मोन थेरेपी

ऐसी दवाएं जो कुछ प्रकार के स्तन कैंसर को बढ़ावा देने वाले हार्मोन को अवरुद्ध या कम करती हैं।

इम्यूनोथेरेपी

यह एक तरह की थेरेपी होती है, जिस्मने कैंसर से लड़ने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को और मजनूट किया जाता है।

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