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क्या है पोलियो की बीमारी,जानिए इसके शुरुआती लक्षण और बचाव का तरीका


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नई दिल्लीः हर साल 24 अक्टूबर को वर्ल्ड पोलियो डे मनाया जाता है। पोलियो एक गंभीर बीमारी है जिससे ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चे संक्रमित होते हैं। इसलिए पोलियो के वैक्सीनेशन के महत्व के बारे में इस दिन जागरूकता फैलाई जाती है और पोलियो को समाप्त करने के लिए कैम्पेन चलाए जाते हैं। जानें क्या है वर्ल्ड पोलियो डे का इतिहास और पोलियो के लक्षण और बचाव का तरीका।

पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खरनाक बीमारी

पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खरनाक बीमारी है। ये पोलियो वायरस से होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तक फैलता है। साथ ही ये जिस व्यक्ति को हुआ है उसकी मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से हानि पहुंचाता है। जिससे लकवा हो सकता है यानि आगे जाकर शरीर हिलाने में भी आपको दिक्कत हो। भारत में पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल और गुजरात में रिपोर्ट हुआ था। 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था।

क्या है पोलियो?

पोलिया को पोलियोमाइलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह पोलियो वायरस से संक्रमित होने की वजह से होता है, जो स्पाइनल कॉर्ड की नसों को प्रभावित करता है। इस वजह से पैरालिसिस या मृत्यु भी हो सकती है। क्लैवरलैंड क्लीनिक के अनुसार, पोलियो वायरस पहले आपके गले को इन्फेक्ट करता है और फिर आपकी आंतो को। इस वजह से फ्लू जैसे लक्षण देखने मिलते हैं। इसके बाद यह इन्फेक्शन आपके दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल सकता है।

क्या है वर्ल्ड पोलियो डे का इतिहास?

वर्ल्ड पोलियो डे की शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल ने की थी। इस दिन को जोनास साल्क के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। जोनास साल्क ने पोलियो की वैक्सीन खोजने वाली पहली टीम को लीड किया था। 1988 में वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली ने पोलियो को दुनिया के सभी देशों से खत्म करने का मिशन शुरू किया। इस मिशन के जरिए बच्चों को इस भयंकर बीमारी से बचाने के लिए सभी बच्चों को वैक्सीन देने पर जोर दिया गया। वर्ल्ड पोलियो डे इसी पहल का हिस्सा है।

क्या है इसका महत्व?

पोलियो एक भयंकर बीमारी है, जिससे संक्रमित होने पर पैरालिसिस होने तक की संभावना भी होती है। यह ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है, इसलिए बच्चों को सभी वैक्सीन वक्त पर लगाने बेहद जरूरी होते हैं। इस दिन पैरेन्ट्स जो बच्चों को पोलियो वैक्सीन वक्त पर लगवाते हैं और सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की सराहना की जाती है। भारत 2014 में पोलियो मुक्त देश बना।

कैसे फैलता है पोलियो?

टॉयलेट जाने के बाद हाथों को अच्छे से न धोना
गंदा पानी पीना या उसमें खाना बनाना
संक्रमित व्यक्ति के थूक, लार या मल के संपर्क में आना
गंदे पानी में तैरने से
गंदा खाना खाने से

इसके लक्षण क्या होते हैं?

गले में खराश
बुखार
सिर दर्द
पेट दर्द
उल्टी
डायरिया
थकावट
गर्दन और पीठ में अकड़न
मांसपेशियों में दर्द
पैरों या हाथों को हिलाने में तकलीफ
पैरालिसिस

क्या है बचाव का तरीका?

पोलियो से बचाव का एक मात्र तरीका उसकी वैक्सीन है। भारत में ओरल पोलियो वैक्सीन दी जाती है। पोलियो ड्रॉप्स हर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पिलाई जाती हैं।

इतने दिन में दिखते हैं पोलियो के लक्षण

पोलियो के लक्षण इन्फेक्शन के 3 से 21 दिन बाद दिखने लगते हैं। हालांकि, कई पोलियोवायरस मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता भी नहीं चलता है। बुखार, थकान और कमजोरी, सिरदर्द, मतली और मांसपेशियों में अकड़न इसके मामूली संकेत हैं।

पोलियो का जोखिम

यदि आपको पोलियो का टीका नहीं मिला है, तो आपको पोलियोवायरस से संक्रमित होने का सबसे अधिक खतरा है। वहीं, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले छोटे बच्चे खासकर बचाव के तरीके अपनाएं।

मरीज की देखभाल के दौरान भी खतरा

टीका ना लगवाए हुए पोलियो के मरीज के साथ रहना या उसकी देखभाल करने के दौरान भी स्वस्थ व्यक्ति को इस इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। इसलिए सावधानी से देखभाल करें।

साल 2014 भारत पोलियो मुक्त देश बन गया है

जैसा कि हम सभी को पता है पोलियो एक खतरनाक बीमारी है. जिससे संक्रमित होने पर शरीर के किसी एक अंग या पूरे अंग में लकवा मार देता है. खासकर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को इस बीमारी का ज्यादा डर रहता है. इसलिए बच्चे को पोलियो के सभी टीके समय पर लेना जरूरी होता है. साल 2014 में भारत पोलियो मुक्त देश बन गया है.

पैरालिटिक पोलियो

पैरालिक्टिक पोलियो के कई प्रकार हैं जो आपके शरीर के प्रभावित होने वाले हिस्से के आधार पर होते हैं। आपकी रीढ़ की हड्डी, दिमाग या दोनों पर पोलियो मार सकती है। ऐसे में एक सप्ताह के भीतर हालांकि लकवाग्रस्त पोलियो के विशिष्ट लक्षण और संकेत दिखाई देने लगते हैं। जिनमें निम्न लक्षण शामिल हुए।

पोलियो के प्रकार

रीढ़ की हड्डी में पोलियो: यह रोग रीढ़ की हड्डी प्रणाली को प्रभावित करता है| यह रोग रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क का प्रभावित नही करता है| यह ज्यादा गंभीर नही है| यह प्रभावित व्यक्ति में किसी भी लक्षण का कारण नही बनती|

बुल्बर पोलियो: यह रोग मस्तिष्क तंत्र या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है| यह शरीर के पक्षघात का कारण नही है|

बल्बोंस्पाइनल: यह रोग रीढ़ की हड्डी के साथ साथ मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है| यह पोलोमाइलाइटिस परिणाम शरीर के विभाजन के पक्षघात और गंभीर विकार परिणाम होते है| इस रोग को पोलियो के पैरालिटिक के रूप में भी जाना जाता है| डॉक्टर केवल लक्षणों का इलाज कर सकते है, जबकि संक्रमण उसके पाठ्यक्रम से चलता है। लेकिन चुकी कोई इलाज नही है इसलिए पोलियो के इलाज का सबसे अच्छा तरीका यह है, टिकाकरण से इससे रोकना|

पोलियो के कारण

  • पोलियोवायरस दूषित पानी और भोजन या वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है। पोलियो इतना संक्रामक है कि संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने वाले व्यक्ति को भी हो जाता है।
  • अत्यधिक संक्रमण वायरस के रूप में पोलियो संक्रमित मल के सम्पर्क के माध्यम से संचार करता है| संक्रमित मल के पास आने वाले खिलोनो की तरह ऑब्जेक्ट भी वायरस प्रसारित कर सकते है| कभी कभी यह छींक या खासी के माध्यम से भी संचार कर सकता है|क्यूंकि वायरस गले और आंतो में रहता है| यह कम है लेकिन आम है|
  • चलने वाले पानी या फ्लश शौचालयों तक सिमित पहुच वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग अक्सर संक्रमित मानव कचरे से दूषित पिने के पानी से पोलियो का अनुबन्धं करते है| मेयो क्लिनिक के मुताबिक यह वायरस इतना संक्रमण है की यदि किसी व्यक्ति को कोई वायरस है तो वह पास वाले व्यक्ति को भी लग सकता है|
  • गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग जैसे एचआईवी पॉजिटिव है, तो छोटे बच्चे पोलियोमाइलाइटिस के लिए अतिसंवेदनशील होते है|
  • यदि आप को पोलियो का टिका नही लगाया गया है, और आप इस रोग से ग्रस्त क्षेत्र का दौरा कर रहे है, पोलियो रोगी की देखभाल कर रहे है या पोलियो प्रयोगशाला में काम कर रहे है, तो यह आप को भी हो सकता है|

सबसे सामान्य सहायक उपचार इस प्रकार है:

  • बिस्तर पर आराम और दर्दनिवारक
  • मांसपेशियों को आराम करने के लिए Antispasmodic दवा का प्रयोग
  • मूत्र पथ के संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग
  • सांस लेने में मदद करने के लिए पोर्टेबल वेंटिलेटर का उपयोग
  • चलने में मदद करने के लिए शारीरिक उपचार या सुधारक ब्रेसिज का इस्तेमाल
  • मांसपेशियों में दर्द और ऐठन को कम करने के लिए हिटिंग पैड या गर्म तौलिए का उपयोग
  • भौतिक चिकित्सा प्रभावित मांसपेशियों में दर्द का इलाज करने के लिए
  • श्वांस और फुफ्फुसिय समस्याओं से निपटने के लिए शारीरिक उपचार
  • फेफड़े की धीरज को बढ़ाने के लिए फुफ्फुसीय पुनर्वास

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