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विज्ञान

Isro XPoSat: नए साल पर ISRO लॉन्च करेगा पहला पोलरिमेट्री मिशन


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नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने सफल मिशनों से दुनिया में एक अलग आयाम बना रहा है. हाल ही में चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था और इस बार फिर से इसरो कुछ ऐसा ही करने जा रहा है, जिससे पूरी दुनिया की नजरें इसरो पर होंगी. इसरो अब चंद्रमा और सूर्य के बाद अतंरिक्ष की रहस्यों को सुलझाने जा रहा है यानी साल 2024 में इसरो सभी को हैरान करने की योजना बना रहा है. इसरो अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच के लिए पहले एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत करने के लिए तैयार है.

नया मिशन X-ray Polarimeter Satellite

नए साल के मौके पर ISRO अपना नया मिशन X-ray Polarimeter Satellite, XPoSat को लांच करने जा रहा है. यह मिशन सिर्फ भारत का पहला डेडिकेटिज पोलारिमेट्री मिशन ही नहीं, बल्कि 2021 में लॉन्च किए गए नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) के बाद दुनिया का दूसरा है. इस मिशन के जरिए isro अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच करेगा.

न्यूट्रॉन तारों की स्टडी करेगा

यह मिशन एक्स किरणों का डेटा कलेक्ट करके ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारों की स्टडी करेगा. XPoSat सेटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है, जिसमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरिज़, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, न्यूट्रॉन सितारे और गैर-थर्मल सुपरनोवा अवशेष शामिल हैं. यह स्पेक्ट्रोस्कोपिक और टाइमिंग डेटा को ध्रुवीकरण की डिग्री और कोणसे जोड़ देगा.XPoSAT को 500-700 किमी की गोलाकार निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसका जीवनकाल कम से कम 5 वर्ष का होगा. XPoSat सेटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है. इस मिशन के जरिए isro अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच करेगा.

XPoSaT को 1 जनवरी 2024 को लॉन्च किया जाएगा

XPoSaT को 1 जनवरी 2024 को लॉन्च किया जाएगा. यह भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है. इसरो ने घोषणा की है कि XPoSaT मिशन ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान का उपयोग करके सुबह 9:10 बजे लॉन्च होगा.माना जा रहा है कि यह मिशन इसरो के लिए बेहद अहम है और इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने दिन-रात मेहनत की है. खगोलीय स्रोतों द्वारा एक्स-रे की पोलारिमेट्री ने खगोलविदों के बीच बहुत रुचि पैदा की है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मिशन न केवल भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है, बल्कि नासा के लिए साल 2021 में लॉन्च किए गए इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर के बाद दुनिया का दूसरा मिशन है.

यह मिशन महत्वपूर्ण क्यों है?

जब गभग 650 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा में लियो स्थापित हो जाएगा, तो यह अगले पांच वर्षों के लिए डेटा देगा. उपग्रह में दो मुख्य पेलोड होंगे, एक बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट आरआरआई द्वारा विकसित किया गया है और दूसरा इसरो के यू ए राव सैटेलाइट सेंटर, इसरो द्वारा तैयार किया गया है.अब सवाल यह है कि यह मिशन महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसे मिशन ब्रह्मांड की कुछ सबसे दिलचस्प घटनाओं, जैसे सुपरनोवा विस्फोट के आसपास के रहस्यों को उजागर करने में भी सहायक होते हैं.ऐसे में इसरो अपने इस मिशन के जरिए कई इस तरह की घटनाओं से पर्दा उठाना चाहता है.

सफल लैंडिंग हुई थी चंद्रयान-3 की

भारत का मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 को सफल लैंडिंग किया था. 23 अगस्त शाम 5.45 बजे लैंडिंग हुई थी. हालांकि लैंडिंग में कई चुनौतियां भी थी. पहली चुनौती लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना. दूसरा लैंडर उतरते समय सीधा रहे. बता दें कि विक्रम जिस समय उतरेगाउस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड थी.

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