विज्ञान

शनि ग्रह का ‘संकट’,2025 में गायब हो सकते है ग्रह के छल्ले -जानें


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नई दिल्लीः शनि ग्रह के बारे कहा जाता है कि वो एक क्रूर ग्रह है. उसकी अपनी कुछ खासियत है जो उसे दूसरे ग्रहों से अलग करती है.शनि हमारे सौर मंडल में सूर्य से छठा ग्रह अपने शानदार और प्रतिष्ठित छल्लों के लिए प्रसिद्ध है. मुख्य रूप से अनगिनत बर्फीले कणों और छोटे चट्टान के टुकड़ों से बने ये छल्ले प्राकृतिक सुंदरता के मंत्रमुग्ध कर देने वाले इस ग्रह को चारों ओर से घेरते हैं. आश्चर्यजनक संरचनाएं, जो दूरबीनों के माध्यम से प्रमुखता से दिखाई देती हैं, ने सदियों से खगोलविदों और अंतरिक्ष प्रेमियों को आकर्षित किया है.अब इन्हीं छल्लों के बारे में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये छल्ले 2025 में गायब हो जाएंगे.

गायब हो सकता है ग्रह का वलय

हाल के अध्ययनों में दावा किया गया है कि ये छल्ले गायब हो जाएंगे. हालांकि ऐसा लाखों साल बाद होगा. लेकिन मेट्रो की एक रिपोर्ट ने एक अलग ही दावा किया है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में प्रसिद्ध छल्लों की तस्वीरें लेने के इच्छुक लोगों को यह चौंकाएगा क्योंकि यह छल्ले ऑप्टिकल भ्रम के कारण सार्वजनिक दृश्य से गायब हो जाएंगे.

छल्लों का निर्माण कैसे हुआ

अंतरिक्ष रहस्यों से भरा हुआ है। वैज्ञानिक इन रहस्यों को समझने की कोशिश में लगे हुए हैं। शनि ग्रह के विशाल छल्ले भी इन रहस्यों में से एक है। सदियों से चले आ रहे इस रहस्य को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। शनि ग्रह के छल्ले का निर्माण कैसे हुआ, इस रहस्य से वैज्ञानिकों ने पर्दा उठाया है। उन्होंने बताया कि शनि ग्रह के चक्कर लगाने वाले दो चंद्रमा के बीच टक्कर हुई, जिसके बाद इन छल्लों का निर्माण हुआ है। उन्होंने बताया कि शनि ग्रह की परिक्रमा करने वाले दोनों ही चंद्रमा बर्फ से ढंके हुए थे।

शनि ग्रह हमेशा से लोगों का आकर्षण ग्रह है

ब्रह्मांड में शनि ग्रह हमेशा से लोगों के आकर्षण रहा है। शनि ग्रह को चारों ओर से घेरे हुए उसके सात छल्ले प्रमुख वजह है। सबसे बड़ी बात यह है कि शनि ग्रह के पास चंद्रमा की एक पूरी टीम है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शनि ग्रह के कुल 245 चंद्रमा हैं। बृहस्पति के बाद शनि ग्रह सबसे बड़ा है। नए शोध में शनि ग्रह के छल्लों के रहस्य से पर्दा उठ गया है। दर्जनों कंप्यूटर पर सिमुलेशन के बाद इस शोध को तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों ने इसमें नासा के कैसिनी मिशन के आंकड़ों का प्रयोग किया था।

छल्लों को धूल प्रदूषित नहीं कर पाया

साल 2004 से लेकर 2017 के बीच कैसिनी स्पेसक्राफ्ट ने शनि ग्रह का चक्कर लगाया था। नासा के इस स्पेसक्राफ्ट ने पता लगाया कि जिस मैटेरियल से इस छल्ले का निर्माण हुआ है, उसमें बर्फ के कण मौजूद हैं और वह बहुत प्राचीन हैं। उन्हें धूल प्रदूषित नहीं कर पाया है।

साल 1610 में गैलिलियो ने छल्लों की थी खोज

साल 1610 में गैलिलियो ने सबसे पहले शनि ग्रह के इन छल्लों की खोज की थी। कैसिनी के डेटा से जानकारी मिली है कि शनि ग्रह के इन छल्लों का अभी बहुत कम समय पहले निर्माण हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इनकी उम्र कुछ लाख साल हो सकती है।

9 डिग्री पर झुका है शनि

शनि ग्रह अपने अक्ष पर 9 डिग्री झुका हुआ है, 2024 तक इसके झुकाव में कमी होगी और उसकी वजह से ऐसा लगने लगा कि शनि के चारों तरफ जो छल्ले हैं वो गायब हो गए हैं. 2025 में शनि और धरती के बीच की दूरी और बढ़ जाएगी. और इसकी वजह से रिंग वर्टिकल पोजीशन में नजर आएंगे. इस तरह से जब आर टेलीस्कोप के जरिए जब शनि को देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि पेपर की कोई शीट खड़ी कर दी गई हो यानी कि वो दीवार की तरह लगेंगे. लेकिन इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि हम उन छल्लों के अंदर वाले हिस्से को भी देख सकने में कामयाब होंगे.

गायब होने के पीछे यह कारण

गौरतलब है कि शनि पृथ्वी के साथ पूर्ण संरेखण में नहीं है. यह लगभग 9 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है. साल 2024 तक कोण घटकर लगभग 3.7 डिग्री रह जाएगा. एक साल बाद, पृथ्वी से दूर जाने के कारण, शनि की धुरी अपनी वर्तमान झुकी हुई स्थिति से सीधी स्थिति ग्रहण कर लेगी, जिससे छल्ले पृथ्वी के समानांतर एक पतली क्षैतिज पट्टी की तरह दिखेंगे. इससे ये संरचनाएं देखने में बहुत पतली हो जाएंगी. इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, यह हमारी आंखों के समानांतर कागज की एक शीट रखने जैसा है. यह घटना 2032 तक चलेगी जब छल्लों के नीचे का भाग सामने आ जाएगा.

इन चीजों से बने हैं छल्ले

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि यह छल्ले कैसे बने. सामान्य धारणा है कि हमारे सौर मंडल का निर्माण 4.6 बिलियन साल पहले हुआ था. लेकिन अमेरिकन स्पेस एजेंसी के मुताबिक शनि के चारों तरफ जो छल्ले बने हुए हैं वो नए हैं, जब हम नया कहते हैं कि तो इसका अर्थ यह नहीं कि शनि के चारों तरफ नजर आने वाले छल्ले 2, 4 और हजार साल पहने के हैं. इसकी भी उम्र बिलियन में ना सही मिलियन में है. नासा के मुताबिक शनि के चारों तरफ नजर आने वाले छल्ले धूमकेतु और एस्टेरॉयड से मिलकर बने हुए हैं. इनमें करोड़ों की संख्या में बर्फ और चट्टानों के टुकड़े हैं जो धूल से सने हैं, यही नहीं ये छल्ले शनि ग्रह से करीब दो लाख 82 हजार किमी तक फैसले हुए हैं. छल्लों के बीच की दूरी करीब 30 फीट है.

ये छल्ले कैसे बने?

हमारा सौर मंडल और उसके ग्रह लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले बने थे, लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ये संरचनाएं अपेक्षाकृत नई हैं. NASA के अनुसार शनि के छल्लों को धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों के टुकड़े माना जाता है जो ग्रह पर पहुंचने से पहले ही इसके शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के कारण टूट गए. वे धूल जैसी अन्य सामग्रियों से लिपटे बर्फ और चट्टान के अरबों छोटे टुकड़ों से बने हैं. शनि के यह छल्ले ग्रह से 282,000 किलोमीटर तक फैली हुई है, फिर भी सात मुख्य छल्ले में सीधी ऊंचाई आमतौर पर लगभग 30 फीट है.

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