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विज्ञान

ISRO लैंडिंग एक्सपेरिमेंट बदल देगा युद्ध का तरीका


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नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर बहुप्रतीक्षित स्पेस शटल ‘रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल’ (RLV-TD) का लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (LEX) (जमीन पर उतारने का प्रयोग) किया जाने वाला है. इसरो के चेयरमैन डॉक्टर एस सोमनाथ (S Somanath) ने जानकारी दी कि आरएलवी का लैंडिंग एक्सपेरिमेंट आने वाले शनिवार (28 जनवरी) को होगा.

उसके बाद वहां ये खुद नीचे आएगा और खुद ही ऑटोमैटिक लैंडिंग करेगा. अगर यह एक्सपेरिमेंट सफल होता है तो भारत अंतरिक्ष में न सिर्फ सैटेलाइट लॉन्च कर पाएगा बल्कि भारत अपने आसमान की सुरक्षा में भी एक कदम आगे बढ़ जाएगा. क्योंकि ऐसी ही टेक्नोलॉजी का फायदा अमेरिका, रूस और चीन भी उठाना चाहते है. ऐसे यानों के जरिए किसी भी दुश्मन के सैटेलाइट्स को उड़ा सकते है.

इसके नाम- रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (फिर से इस्तेमाल में आने वाला वाहन) से इसकी खासियत जाहिर है, यह एक ऑर्बिटल री-एंट्री व्हीकल (ORV) (पृथ्वी की कक्षा में फिर से प्रवेश करने वाला वाहन) है. यह पूरी तरह से स्वदेशी है. माना जा रहा है कि इस वाहन यानी यान के सभी परीक्षण सफल रहने पर इसके जरिये सैटेलाइट लॉन्च करने और दुश्मनों के सैटेलाइट को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट करने का काम किया जा सकेगा.

रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की अभी जो लैंडिंग एक्सपेरिमेंट होना है, उसमें यह स्पेसक्राफ्ट खुद नेविगेट करेगा. खुद ग्लाइड करेगा. इसके बाद कर्नाटक के चल्लाकरे स्थित डिफेंस रनवे पर लैंड करेगा. यह परीक्षण इस स्पेसक्राफ्ट के एयर डायनेमिक्स को समझने के लिए जरूरी है. इसका एयरफ्रेम भी इसरो ने ही तैयार किया है. यह पूरी तरह से स्वदेशी है, इसलिए इसकी जांच हर तरह से किया जाना जरूरी है.

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