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विज्ञान

नासा के छोटे रोबोट की सेना खोजेगी पृथ्वी के बाहर जीवन होने की दिशा


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नई दिल्ली – पृथ्वी के बाहर जीवन का पनपना पूरी तरह से संभव है. नासा (NASA) की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी एक रोचक अवधारणा पर काम कर रही है जिसमें ऐसे ग्रह अभियानों में सतह के नीचे के महासागरों में जीवन के संकेत तलाश हो सकेगी.

साउथ कैलिफोर्निया में स्थित नासा के के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी के रोबोटिक्स मैकेनिकल इंजीनियर इथन स्केलर ने दी है जिसे उन्होंने सेंसिंग विद इंडिपेंडेंट माइक्रो स्विमर्स (SWIM) नाम दिया है. स्केलर की इस अवधारणा को हाल ही में नासा के इनोवेटिव एडवांस कॉन्सेप्ट्स (NIAC) कार्यक्रम के तहत फेस 2 फंडिंग के तहत छह लाख डॉलर का पुरस्कार मिला है.

नासा के मुताबिक एक दिन सेलफोन के आकार के छोटे रोबोट की सेना गुरु के चंद्रमा यूरोपा और शनि के चंद्रमा एनसेलाडस की मीलों मोटे बर्फीले खोल के नीचे के पानी में विचरण कर सकेंगे. इससे वे एलियन जीवन के प्रमाण की तलाश करेंगे. इन्हें एक पतले बर्फ को पिघलाने वाले प्रोब के अंदर पैक किया जाएगा जो जमी हुई पर्पटी में सुरंग बनाएगा और पानी के नीचे इन रोबोट के झुंड को छोड़ देगा.

स्केलर की बड़ी खोज उनके छोटे तैराक रोबोट हैं जो दूसरे ग्रहों के महासागारों में अन्वेषण करने वाले प्रस्तावित रोबोट से काफी छोटे हैं. इससे उनकी वैज्ञानिक पहुंच में बहुत विस्तार हो सकेगा. और उन्हें भारी संख्या में बर्फीले प्रोब में रखा जा सकेगा. इससे ऐसे संसारों में जीवन की तलाशने की संभावना बढ़ जाएगी और साथ ही ऐसे संसारों की आवासीयता का भी अध्ययन किया जा सकेगा.

इन रोबोट की लंबाई केवल 5 इंच या 12 सेमी की होगी, आयतन में 60-75 क्यूबिक सेमी होगा और 25 सेमी के व्यास वाले, 10 सेमी लंबे क्रायोबोट में ऐसे चार दर्जन रोबोट समाकर केवल 15 प्रतिशत आयतन घेरेंगे. नासा का यूरोपा क्लिपर अभियान साल 2024 में प्रक्षेपित होगा और 2030 में गुरु के इस चंद्रमा पर उतरेगा.लेकिन क्रायोबोट की अवधारणा आगे के समय के लिए भी तैयार की जा रही है.

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