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भारत और ईरान के बीच होगा बड़ा समझौता,चाबहार बंदरगाह विवाद ख़तम


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नई दिल्ली – ईरान मकरान तट पर स्थित पोर्ट के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया से चाय, खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण सामग्री और भारी उपकरण जैसे सामानों का ट्रांस-शिपमेंट कर सकता है.यह पोर्ट भारत के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पश्चिम एशिया और मध्य एशियाई देशों तक भारत की पहुँच मुमकिन करता है.

भारत में ईरान के राजदूत बैठक

समझौते पर अगस्त में तेहरान में एक बैठक में ईरानी विदेश मंत्री और भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही के बीच चर्चा हुई थी.तेहरान ईरानी विदेश मंत्री ने ईरान की “लुक ईस्ट पॉलिसी” में भारत के महत्व पर ज़ोर दिया था और आशा जतायी थी कि चाबहार पोर्ट के विस्तार के लिए भारत के साथ एक “निर्णायक सौदा” जल्द हो सकता है.वोस्ट्रो खाते में ईरानी पक्ष के रुपये के भंडार में कमी ने ईरान की बासमती चावल और चाय जैसी चीज़ों को आयात करने की क्षमता को पहले ही प्रभावित कर दिया है.सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ईरान 2014-15 से भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा आयातक रहा है और उसने 2022-23 में 998,879 मीट्रिक टन चावल ख़रीदा था.

क्या था दोनों देश का विवाद

चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक समझौता मध्यस्थता के क्षेत्राधिकार से संबंधित एक क्लाज पर मतभेद के अलावा कुछ अन्य मुद्दों के कारण रुका हुआ है। अब सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के प्रमुख मुद्दों पर अंतर को कम कर लिया गया है और अन्य मामलों में प्रगति की जा रही है। सूत्र ने बताया कि दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए दोनों पक्षों से राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता है। हम अभी के लिए संतुष्ट हो गए हैं क्योंकि चाबहार बंदरगाह में शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल पर भारत के संचालन के लिए प्रारंभिक समझौते को इस साल के लिए नवीनीकृत कर दिया गया है।

भारत और ईरान के बीच क्या -क्या ख़रीदा और लिया जाता है

भारत, ईरान को चावल के अलावा चीनी, मानव निर्मित स्टेपल फ़ाइबर, इलेक्ट्रिक मशीनरी और कृत्रिम आभूषण निर्यात करता है. वहीं भारत कच्चे तेल के अलावा ईरान से सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन ख़रीदता है.

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