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विज्ञान

WHO ने ऑक्सफोर्ड-सीरम इंस्टीट्यूट की नई मलेरिया वैक्सीन को दी मंजूरी


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नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को मलेरिया के दूसरे टीके R21/Matrix-M को मंजूरी दे दी है. यह फैसला देशों को मलेरिया के पहले टीके से अधिक सस्ता और प्रभावी विकल्प उपलब्ध करा सकता. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी दो विशेषज्ञ समूहों की सलाह पर नये मलेरिया टीके को मंजूरी दे रही है . विशेषज्ञ समूहों ने मलेरिया के जोखिम वाले बच्चों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश की.विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को बच्चों में मलेरिया की रोकथाम के लिए एक नए टीके की सिफारिश की। “अत्यधिक प्रभावी” मलेरिया वैक्सीन, आर21/मैट्रिक्स-एम, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है।

WHO के 75% एफीकेसी टारगेट पूरा करना वाली ये मलेरिया की पहली वैक्सीन

दुनियाभर में बढ़ते मलेरिया के मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक और वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. मैट्रिक्स-एम वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई है. ये मलेरिया की ऐसी दूसरी वैक्सीन है जिसकी सिफारिश WHO ने की है. ये कितनी प्रभावी है ये इस बात से पता लगाया जा सकता है कि WHO के 75% एफीकेसी टारगेट को इसने पूरा किया है. और इस टारगेट को पूरा करना वाली ये मलेरिया की पहली वैक्सीन है. इस वैक्सीन की डोज भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार होने वाली हैं.एक प्रेस बयान के अनुसार, यह सिफारिश डब्ल्यूएचओ की सलाह के बाद आई है: टीकाकरण पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह (एसएजीई) और मलेरिया नीति सलाहकार समूह (एमपीएजी) और इसकी नियमित द्विवार्षिक बैठक के बाद डब्ल्यूएचओ महानिदेशक द्वारा इसका समर्थन किया गया था। 25-29 सितंबर को आयोजित किया गया। पहले जैब, आरटीएस, एस/एएस01 के बाद यह दूसरा मलेरिया टीका है, जिसे 2021 में डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित किया गया था।

मलेरिया से हर साल होती हैं कई मौतें

दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, मलेरिया, एक मच्छर जनित बीमारी है, जो अफ्रीकी क्षेत्र में बच्चों पर विशेष रूप से अधिक बोझ डालती है, इस बीमारी से जहां हर साल लगभग पांच लाख लोगों की जान चली जाती है । इसमें ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं प्रभावित होती हैं. R21/Matrix-M वैक्सीन को लेकर डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, “एक मलेरिया शोधकर्ता के रूप में, मैं उस दिन का सपना देखता था जब हमारे पास मलेरिया के खिलाफ एक सुरक्षित और प्रभावी टीका होगा. अब हमारे पास दो हैं, ”“दोनों टीकों को बच्चों में मलेरिया को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी दिखाया गया है और जब व्यापक रूप से लागू किया जाता है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उच्च प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

हर साल बढ़ रही है वैक्सीन की मांग

पिछले कुछ सालों में वैक्सीन की मांग बहुत बड़ी है. हालांकि, 2021 में WHO ने जिस वैक्सीन को लॉन्च किया था वो पहली मलेरिया वैक्सीन थी. WHO के डॉ. टेड्रोस एडनोम कहते हैं WHO के डॉ. टेड्रोस एडनोम कहते हैं, “डब्ल्यूएचओ ने जिस वैक्सीन को लेकर बात की है वह मलेरिया का दूसरा टीका है. . ये बच्चों की तेजी से रक्षा करेगा और हमें मलेरिया मुक्त भविष्य के हमारे दृष्टिकोण के करीब लाएगा.” डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मलेरिया वैक्सीन की “अभूतपूर्व” मांग है, हालांकि, आरटीएस, एस की उपलब्ध आपूर्ति सीमित है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय ने यह भी कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित मलेरिया टीकों की सूची में आर21 को शामिल करने से उन क्षेत्रों में रहने वाले सभी बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए पर्याप्त टीके की आपूर्ति होने की उम्मीद है जहां मलेरिया एक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है।

मलेरिया के खतरे वाले बच्चों में इस वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया की दूसरी वैक्सीन R21/Matrix-M को मंजूरी दे दी है. यह वैक्सीन कई देशों में मलेरिया से लड़ने में मदद कर सकती है, जो पहले वैक्सीन से सस्ती और अधिक प्रभावी है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की स्वास्थ्य एजेंसी ने दो विशेषज्ञ ग्रुप की सलाह पर इस वैक्सीन को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि मलेरिया के रिसर्चर के रूप में मैं उस दिन का सपना देखता था, जब हमारे पास मलेरिया के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी टीका हो. अब हमारे पास दो वैक्सीन हैं. एक्सपर्ट ने मलेरिया के खतरे वाले बच्चों में इस वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की है.

भारत में होगी तैयार

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, डोज के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता – – सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया – पहले से ही एक साल में 10 करोड़ से ज्यादा डोज बनाने के लिए तैयार है और इसे 20 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है. प्रत्येक खुराक की कीमत $2 और $4 के बीच है; प्रति व्यक्ति चार खुराक की जरूरत है. यह RTS-S (मलेरिया की पहली वैक्सीन) की लगभग आधी कीमत है. RTS-S की केवल 18 मिलियन डोज हैं.

वैक्सीन की एक खुराक की कीमत

टेड्रस ने कहा, ‘‘मलेरिया के अनुसंधानकर्ता के रूप में मैं उस दिन का सपना देखता था जब हमारे पास मलेरिया के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी टीका हो. अब हमारे पास दो टीके हैं.’’ .ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भारतीय सीरम इंस्टिट्यूट (SII) की मदद से एक नई वैक्सीन विकसित किया है, जिसमें तीन खुराक हैं. इस रिसर्च से पता चला कि यह टीका 75 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है और एक बूस्टर खुराक के साथ, सुरक्षा को कम से कम एक और साल तक बनाए रखता है. एसआईआई ने कहा कि टीके के ‘प्री-क्लिनिकल’ और ‘क्लिनिकल’ टेस्ट से संबंधित आंकड़ों के आधार पर यह मंजूरी दी गई है. टेस्ट के दौरान चार देशों में यह टीका काफी कारगर साबित हुआ है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन की एक खुराक की कीमत लगभग 2 से 4 डॉलर (160 से 320 रुपये) तक होगी और यह अगले साल कुछ देशों में उपलब्ध हो सकती है.

80 प्रतिशत तक देगा सुरक्षा

आपको बता दें कि R21/Matrix-M वैक्सीन को RTS,S/AS01 भी कहा जाता है, जो मलेरिया के खिलाफ 70 से 80 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करता है. यह वैक्सीन बच्चों को मलेरिया के गंभीर रूपों से बचाने में विशेष रूप से प्रभावी है. WHO ने कहा कि R21/Matrix-M वैक्सीन उन देशों में उपयोग के लिए उपलब्ध होगा जहां मलेरिया एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है.

ज्यादा लोगों को बचाया जा सकेगा

अफ्रीका के लिए डब्ल्यूएचओ के रीजनल डायरेक्टर डॉ मत्शिदिसो मोइती ने कहा, “यह दूसरा टीका भारी मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने की क्षमता रखता है. दोनों टीके मलेरिया की रोकथाम और उसे कंट्रोल करने में मदद करेंगे. इसके साथ इस घातक बीमारी से अफ्रीका में सैकड़ों हजारों युवाओं की जान बचाई जा सकती है.”

घाना और बुर्किना पहले ही दे चुके हैं मंजूरी

घाना और बुर्किना फासो ने इस साल की शुरुआत में मलेरिया के नए वैक्सीन को मंजूरी दी थी. डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स में काम करने वाले जॉन जॉनसन ने कहा कि यह वैक्सीन एक महत्वपूर्ण उपकरण है, लेकिन यह मलेरिया को पूरी तरह से रोकने में सक्षम नहीं है. मच्छरदानी और मच्छर नाशक स्प्रे जैसे अन्य उपायों की अभी भी आवश्यकता होगी. यह टीका मलेरिया को रोकने वाला नहीं .’’ डब्ल्यूएचओ ने 2021 में मलेरिया के पहले टीके को इस खतरनाक बीमारी को समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कोशिश करार दिया था.डॉ. मोइती ने कहा, “बड़े पैमाने पर वितरित और व्यापक रूप से पेश किए गए, दोनों टीके मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण प्रयासों को मजबूत करने और अफ्रीका में सैकड़ों हजारों युवद कर सकते हैं।”अफ्रीका के लिए डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मात्शिदिसो मोइती के अनुसार, यह दूसरा टीका भारी मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने की वास्तविक क्षमता रखता है।

सीरम इंस्टिट्यूट का साल में 20 करोड़ टीके बनाने की क्षमता का दावा

जीएसके द्वारा निर्मित ‘मॉस्क्विरिक्स’ नामक यह टीका केवल करीब 30 प्रतिशत प्रभावी है और इसमें चार खुराक देनी होती है, वहीं इसका सुरक्षा घेरा कुछ ही महीनों में कमजोर पड़ जाता . बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पिछले साल मॉस्क्विरिक्स के लिए वित्तीय सहयोग देने से हाथ पीछे खींच लिए थे और कहा था कि यह कम प्रभावी है और धन का इस्तेमाल कहीं और उचित जगह किया जाएगा। जीएसके ने कहा है कि वह एक साल में अपने टीके की करीब डेढ़ करोड़ खुराक तैयार कर सकता है, वहीं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि वह एक साल में ऑक्सफोर्ड के टीके की 20 करोड़ तक खुराक तैयार कर सकता.

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