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वर्षों के तनाव के बाद सऊदी अरब और ईरान बीच हुई दोस्ती


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नई दिल्ली – दोनों देश दो महीने की अवधि के भीतर दूतावास खोलेंगे और राजदूतों का आदान-प्रदान करेंगे. देश की राज्य प्रेस एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि इराक और ओमान ने रियाद और तेहरान के बीच एक नया पृष्ठ बदलने का स्वागत किया. दो दुश्मन देश सात साल के तनाव के बाद अब फिर से अपने रिश्ते सुधारने पर सहमत हुए हैं. हम बात कर रहे हैं ईरान और सऊदी अरब की जिन्होंने राजनयिक संबंध बहाल करने और दूतावासों को फिर से खोलने की बात कही है.

सऊदी अरब और ईरान दो महीने की अवधि के भीतर राजनयिक संबंध फिर से स्थापित करने, दूतावासों को फिर से खोलने और राजदूतों का आदान-प्रदान करने पर सहमत हुए हैं. एसपीए ने चीन, सऊदी अरब और ईरान के ज़रिए जारी एक संयुक्त त्रिपक्षीय बयान का हवाला देते हुए कहा कि साल 2016 में टूट गए संबंधों को फिर से स्थापित करने का यह फैसला बीजिंग में 6 से 10 मार्च तक हुई बातचीत में लिया गया है.

सऊदी अरब और ईरान के बीच पिछले 7 सालों से तनाव रहा है. दोनों देशों के बीच धर्म के आधार पर मतभेद रहे हैं. सऊदी अरब सुन्नी मुसलमान देश हैं तो वहीं ईरान शिया मुसलमान देश है. दोनों देशों के बीच रिश्ते तब और बिगड़ गए जब साल 2016 में सऊदी ने एक शिया धर्मगुरू को फांसी पर लटका दिया था. इसके बाद ईरान में हिंसा भड़क गई और प्रदर्शनकारियों ने ईरान में सऊदी के राजनयिकों पर हमले कर दिए. इसके बाद ही सऊदी ने ईरान से राजनयिक संबंध खत्म कर दिए थे.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए ईरान और सऊदी अरब के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता की मेजबानी और स्पॉन्सरिंग (आयोजन) करने की पहल की थी. सऊदी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राज्य मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुसैद बिन मोहम्मद अल-ऐबन ने किया, जबकि ईरानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शामखानी ने किया.

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