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लाइफस्टाइल

हर रिश्ते के लिए क्यों जरूरी होता है ‘पर्सनल स्पेस’? ,जानें इसके कारण


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नई दिल्लीः क्या आपने कभी सोचा है कि खुशहाल रिश्ते में भी हमें अकेले समय की क्यों जरूरत होती है? ‘पर्सनल स्पेस’ या निजी जगह उस व्यक्तिगत स्थान को कहते हैं, जहां हम अपने विचारों, शौक और सपनों के साथ खुद में गोते लगा सकते हैं. यह एक ऐसा कोना है जहां हम बिना किसी बाहरी दखल के खुद के साथ समय बिता सकते हैं. यह आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है. आइए जानते हैं कि रिलेशनशिप में पर्सनल स्पेस क्यों बहुत जरूरी होता है..

क्या है इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप?

इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप यूं भारत जैसे देश में ज्यादा मान्यताप्राप्त नहीं पर फिर भी आज के युवा इसमें अपना भरोसा जता रहे हैं। इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप, ओपन रिलेशनशिप से थोड़ा मिलता-जुलता है पर इसमें ज्यादा दो पार्टनर्स के बीच ज्यादा स्पेस और अपने लिए वक्त निकालने का कॉन्सेप्ट होता है। इसमें कभी दो लोग एक-दूसरे पर प्यार और दोस्ती के अलावा किसी भी चीज के लिए निर्भर नहीं होते हैं। वहीं इसमें एक दूसरे की आजादी का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जाता है। वहीं इसमें एक रिश्ते को लेकर सभी तरह की बातें होती हैं, पर फिर भी इसमें हर चीज के लिए दोनों की सहमति की जरूरत और ईज्जत होती है। यहां कोई भी डोमिनेटिंग नहीं होता है, बल्कि एक-दूसरे की राय और फैसले को दोनों द्वारा माना जाता है। आइए अब जानते हैं इसकी खास बातों के बारे में।

अपनी पहचान बनाए रखना

रिश्ते में रहते हुए भी अपनी पहचान बनाए रखना जरूरी है. यह मतलब नहीं कि हम खुद को भूल जाएं. अपनी जगह होने से हम अपने शौक और पसंद को जिंदा रख सकते हैं, जो हमें खुद को बेहतर समझने में मदद करता है. यह हमें याद दिलाता है कि हम कौन हैं और हमारी अपनी खूबियां क्या हैं. इससे हम अपने रिश्ते में भी खुश रह सकते हैं क्योंकि हम अपने आप को नहीं खोते.

व्यवहार के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारियां लेना

हर व्यक्ति अपनी अच्छाई और दोषों के लिए खुद ही मालिक होता है। तो किसी भी रिश्ते में की गई गलतियों की भी जिम्मेदारी भी उसी आदमी की होती है, जिसने इस किया है। वहीं इसे फिर से नहीं दोहराने की भी जिम्मेदारी व्यक्ति को समझनी चाहिए। नहीं तो रिश्ते पर बहुत बड़ा बोझ पड़ने लगता है। कई बार गलतियों की जिम्मेदारी न लेने के कारण रिश्ते खराब होन लगते हैं। ऐसे में अपनी गलतियों को स्वीकार करना केवल आपकी समझ और आत्म-विकास में रुचि को इंगित करेगा और रिश्ते के लिए भी फायदेमंद होगा।

भरोसे का माहौल

जब हम अपने साथी को उनका निजी समय देते हैं, तो हम उनपर भरोसा जताते हैं. यह दिखाता है कि हम चाहते हैं वे भी खुश रहें और अपनी पसंद की चीजें करें. इससे दो लोगों के बीच का विश्वास मजबूत होता है. यह विश्वास रिश्ते को और गहरा बनाता है. जब हम एक-दूसरे की जगह और खुशियों का सम्मान करते हैं, तब हमारा साथ और भी मजबूत होता है.

आप अपने पार्टनर से अलग स्वस्थ समय बिताते हैं

आपको कभी-कभार अपनी छुट्टियों के दिनों में अपने साथी के साथ समय बिताने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है, तो इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप आपके लिए ही है। ये आपको अपने दोस्तों और परिवार से मिलने और उनके साथ समय बिताने के लिए पर्याप्त मौका देता है। वहीं ये आपको खुद को तैयार करने के लिए समय निकालने और अपनी खुशी के लिए जीने का मौका देता है। इस तरह आप एक रिश्ते में रह कर भी अपने आपको एक बेहतर इंसान बना पाते हैं। जब आपका मन करें, तो आप एक सोलो ट्रिप पर निकल सकते हैं, जो इसका सबसे अच्छा हिस्सा है। आपका साथी भी ऐसा ही कर सकता है। इससे आप दोनों की खुशी बनी रहती है।

तनाव से राहत

कभी-कभी सभी को अकेले में वक्त बिताने की जरूरत होती है. ये अकेला समय हमें थकान और तनाव से दूर करने में मदद करता है, जैसे बैटरी चार्ज हो जाती है. इससे हम खुद को तरोताजा महसूस करते हैं. जब हम खुश और तरोताजा होते हैं, तो हमारे रिश्ते में भी नई ऊर्जा और ताजगी आती है. इसलिए, खुद को समय देना सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने रिश्तों के लिए भी अच्छा होता है.

स्वस्थ सीमाएं निर्धारित की जा सकती हैं

हर चीज की सीमाएं होना भी जरूरी है, नहीं तो आपकी रिश्ता बीमार पड़ सकता है। स्वस्थ सीमाओं को स्थापित करने से आपके साथी अपनी पसंद की चीजें कर पाते हैं। वहीं ये आपके द्वारा अलग-अलग चीजों पर उनकी राय को स्वीकार करने के निर्णय लेने की आजादी देता है। एक-दूसरे को अपने निर्णय लेने के लिए जगह देना और उनका सम्मान करना ही रिश्ते को और बेहतर बनाता है। इसलिए आप ऐसे रिश्ते में रह कर एक अच्छा और हेल्दी रिश्ता जी सकते हैं।

एक-दूसरे के प्रति उत्साह बनाए रखना

जब हम अलग-अलग चीजों में अपना समय लगाते हैं, तो हम नई-नई बातें सीखते हैं जिसे हम अपने पार्टनर के साथ बांट सकते हैं. यह रिलेशनशिप में उत्साह और चिंगारी बनाए रखती है.

‘ना’ करने के लिए कोई डर नहीं होता

जितना जरूरी चीजों पर पारस्परिक रूप से सहमत होना है, उतना ही जरूरी है असहमत होना। इसलिए हर रिश्ते में ‘ना’ हने की जगह होनी चाहिए। इसलिए रिश्ते में तर्कों पर भी खरा उतरता जरूरी है और इससे सहमति जताना भी जरूरी है। आजादी यही है कि आपको किसी के सामने अपनी राय और भावनाओं को बताने से डर न लगे और आप खुल कर अपनी बात रख सके। इसी तरह इंडिपेंडेंट रिलेशनशिप एक बेहतर ऑप्शन हो सकती है।

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