x
बिजनेस

Retail Inflation:नवंबर में बढ़ी महंगाई दर ,5.5 प्रतिशत पर पहुंचा आंकड़ा


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः बीते 3 महीने से जारी गिरावट के बाद भारत की रिटेल महंगाई दर एक बार फिर बढ़ सकती है. रॉयटर्स के पोल में ये अनुमान दिया गया है. सर्वे के मुताबिक नवंबर के महीने में खाद्य कीमतों में आई बढ़त के वजह खुदरा महंगाई दर में एक बार फिर बढ़त का अनुमान है और ये रिजर्व की 2 से 6 फीसदी की तय सीमा के ऊपरी स्तर के करीब पहुंच सकती है. सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों ने कहा कि खाद्य कीमतों खासतौर पर प्याज, टमाटर और दालों की कीमतों में नवंबर के दौरान बढ़त देखने को मिली है और इसका महंगाई दर पर खाद्य महंगाई दर असर अच्छा खासा होने की वजह से खुदरा महंगाई दर में बढ़त देखने को मिल सकती है.

भारत की रिटेल महंगाई दर

प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से नवंबर में खुदरा महंगाई में तेजी आई है. नवंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.55 फीसदी पर पहुंच गई है. अक्टूबर में यह 4.7% थी. खाद्य महंगाई दर 6.66% से बढ़कर 8.70% हो गई. शहरी महंगाई दर 4.62% से बढ़कर 5.62% और ग्रामीण महंगाई दर 5.12% से बढ़कर 5.85% रही. वहीं अक्टूबर में IIP ग्रोथ 16 महीने के हाई पर रहा. अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन 11.7% बढ़ा, एक साल पहले इसमें 4.1% की गिरावट आई थी.भारत की रिटेल महंगाई तीन महीने की गिरावट के बाद नवंबर में बढ़कर 5.55% पर पहुंच गई है। इसका कारण सब्जियों और अनाजों की ऊंची कीमतें हैं। अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87% रही थी। वहीं सितंबर में ये 5.02% रही थी।डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में प्याज की कीमतें महीने दर महीने (MoM) 58% बढ़ीं, जबकि टमाटर की कीमतें 35% बढ़ीं। इसके अलावा आलू की कीमतों में भी नवंबर में 2% की बढ़ोतरी देखी गई।

नवंबर में तेजी से बढ़कर 5.55 प्रतिशत हो गई

सरकार की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर महीने के चार महीने के निचले स्तर 4.8 प्रतिशत पर आने के बाद नवंबर में तेजी से बढ़कर 5.55 प्रतिशत हो गई। खुदरा महंगाई दर में यह इजाफा खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी के लिए खाद्य कीमतों में तेज वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया गया है। उल्लेखनीय है कि नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 8.70 प्रतिशत रही।

रिटेल महंगाई 4% पर रखने का टारगेट

RBI की महंगाई को लेकर रेंज 2%-6% है। आदर्श स्थिति में RBI चाहेगा कि रिटेल महंगाई 4% पर रहे। बीते दिनों हुई मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग में RBI ने FY24 के लिए रिटेल महंगाई के अनुमान को 5.40% पर बरकरार रखा था।

क्या है एक्सपर्ट्स का अनुमान

रॉयटर्स के पोल में 5 से 7 दिसंबर के बीच 41 अर्थशास्त्रियों से महंगाई दर को लेकर सवाल पूछे गए थे. जवाब से मिले अनुमानों के औसत के मुताबिक नवंबर के महीने में खुदरा महंगाई नवंबर में 5.7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. जो कि अक्टूबर में 4.87 फीसदी थी.

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

CPI से तय होती है महंगाई

एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।

16 महीने के उच्चतम स्तर 11.7% पर पहुंची इंडस्ट्रियल ग्रोथ

उधर, अक्टूबर में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 16 महीने के उच्चतम स्तर 11.7% पर पहुंच गई है। अक्टूबर 2022 में भारत का औद्योगिक उत्पादन 4.1% घट गया था। मैन्यफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ के कारण इंडस्ट्रियल आउटपुट बढ़ा है।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

शुक्रवार को पॉलिसी समीक्षा के नतीजे

शुक्रवार को ही रिजर्व बैंक अपनी पॉलिसी समीक्षा के नतीजे जारी करेगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक दिसंबर समीक्षा में दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा और संभव है कि दरें जुलाई तक स्थिर रहें. इससे पहले लगातार 4 समीक्षा में दरें स्थिर रखी गई हैं. रिजर्व बैंक के दरों पर फैसले सीपीआई से प्रभावित होते हैं. रिजर्व बैंक का लक्ष्य कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई को 2 से 6 फीसदी के बीच रखना है.

Back to top button