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बिजनेस

सरकार की बजाए व्यापारियों को किसानों ने बेचा 2.42 लाख मीट्रिक टन गेहूं

नई दिल्ली – गेहूं के घटते भंडार को बढ़ाने और कीमत पर काबू पाने के लिए भारत 6 साल बाद एक बार फिर गेहूं का आयात शुरू करने को तैयार है। फसल 3 साल से निराशाजनक रहने के कारण गेहूं के दाम बढ़े हैं और सरकार का भंडार कम हुआ है। सूत्रों ने कहा कि आम चुनाव खत्म होने को हैं, जिससे इस फैसले का प्रमुख व्यवधान दूर हो जाएगा।अधिकारियों व अन्य सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि उम्मीद है कि भारत इस साल गेहूं के आयात पर लगने वाला 40 फीसदी आयात शुल्क खत्म कर देगा, जिससे निजी कारोबारियों और फ्लोर मिल मालिकों द्वारा रूस जैसे शीर्ष गेहूं निर्यातकों से गेहूं खरीदने की राह आसान हो जाएगी।

अन्य राज्यों की बात करें तो राजस्थान के किसानों को 2062.71 करोड़ रुपये तो उत्तर प्रदेश के किसानों को 1766 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश के किसानों को 9706.98 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।बिहार को 20.62 करोड़ रुपये भुगतान किए गए हैं।इस तरह पंजाब और हरियाणा ने इस बार भी गेहूं के एमएसपी भुगतान के मामले में बाजी मार ली है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो एमएसपी पर 125 रुपये बोनस देने पर भी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है।

सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘विचार यह है कि गेहूं आयात शुल्क जून के बाद हटाया दिया जाए, जिससे निजी कारोबारी गेहूं आयात कर सकते हैं।’ नाम न जाहिर किए जाने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘और हमारे किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए अक्टूबर में गेहूं की बोआई शुरू होने के पहले आयात कर फिर बहाल किया जा सकता है।’कारोबारियों का कहना है कि अगर सरकार 40 फीसदी शुल्क खत्म करती है तो वे आयात शुरू कर देंगे। नई दिल्ली के कारोबारी राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि करीब 30 लाख टन आयात पर्याप्त होगा, जिसमें रूस संभावित आपूर्तिकर्ता हो सकता है।उन्होंने कहा, ‘सरकार के शुल्क हटाने के बाद निजी कारोबारी गेहूं का आयात शुरू कर सकते हैं।’अप्रैल में गोदामों में गेहूं का भंडार घटकर 75 लाख टन रह गया है, जो पिछले 16 साल में भंडारण का सबसे निचला स्तर है।

सरकार ने पिछले रबी सीजन 2023-24 में 53,456.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।इस साल अब तक 55041.59 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।यह भी बता दें कि 2022-23 में केवल 177.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो पाई थी और बदले में सरकार में 35,553 करोड़ रुपये भुगतान किया था. इस बार सरकार 2275 रुपये प्रति क्विंटल के रेट से गेहूं की खरीद कर रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जा रहा है।

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