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विज्ञान

कुछ ही मिनटों अपना रंग कैसे बदलता है गिरगिट -जाने


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नई दिल्ली – आपके मन में ये सवाल कभी न कभी तो जरूर आया होगा कि आखिर गिरगिट रंग बदलने में कैसे सक्षम है और वह रंग बदलता क्यों हैं? सामान्यतौर पर गिरगिट बाहरी तापमान से अपने शरीर के तापमान को समायोजित करने के लिए रंग बदलता है. डर या खतरा देखकर भी गिरगिट अपना रंग बदलता है. रंग बदलने के दौरान गिरगिरट के शरीर में कुछ अहम बदलाव होते हैं.

गिरगिट के रंग बदलने के पीछे का मुख्य कारण खुद की सुरक्षा है. जब भी वह किसी तरह का खतरा महसूस करता है तो अपने बचाव के लिए वह रंग बदलता है. इसके अलावा शिकार करने और मादा गिरगिट को आकर्षित करने के लिए नर गिरगिट के द्वारा भी रंग बदला जाता है. गिरगिट सिचुएशन के हिसाब से अपना रंग बदलता है.वह हरे पत्तों के बीच अपनी सुरक्षा के लिहाज से हरा रंग धारण कर लेता है जिससे वह शिकारी जीव या अपने शिकार की नजर से बच जाता है. यही कारण है कि प्रकृति ने गिरगिट को रंग बदलने की अनोखी क्षमता दी है.

गिरगिट अपनी त्वचा कोशिकाओं में बदलाव करता है, जिससे रंग बदल जाते हैं. यह क्रिया इरिडोफोरस कही जाती है. गिरगिट की कोशिकाओं में कई नौनौक्रिस्टल होते हैं, जो अलग-अलग रंगो के तरंग दैर्ध्य (Wavelengths) छोड़ते हैं. इसी दौरान हमें गिरगिट के शरीर पर अलग-अलग रंग नजर आते हैं. वैज्ञानिकों का एक वर्ग मानता है कि गिरगिट रंग नहीं, बल्कि अपनी चमक बदलता है जो हमें बाहरी तौर पर नजर आता है. गिरगिट, अपने समुदाय से बातचीत और प्रेम दर्शाने के लिए भी अलग-अलग रंग बदलता है.

गिरगिट की बहुरंगी कोशिकाओं की दो परतें होती हैं. इरिडोफोर्स, इसमें कई पिगमेंट्स और नैनोक्रिस्टल होते हैं, जो अलग-अलग रंग के तरंग दैर्ध्य को छोड़ते हैं. यही रंग में बाहर नजर आता है. गिरगिट अपनी त्वचा में इरिडोफोरस की ऊपरी परत के घनत्व को बदलकर अपना रंग बदलता है.जब गिरगिट आराम के मूड में होता है तब उसका रंग नीला होता है. जब वह डरा हुआ होता है या ज्यादा उत्तेजित होता है तब उसका रंग लाल, नारंगी या पीला हो जाता है. ज्यादातर गिरगिट इन्हीं रंगों में नजर आता है. गिरगिट का असली रंग हरा और भूरा है. जब गिरगिट को कहीं मिट्टी या पेड़ों पर छिपना होता है तो यह अपना रंग भूरा कर लेता है.

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