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लाइफस्टाइल

बच्चों में भी बढ़ रही है डायबिटीज की समस्या,ये लक्षण दिखते ही करा लें इलाज

नई दिल्लीः ​डायबिटीज लोगों के लिए जानलेवा बनती जा रही है। यह एक क्रॉनिक कंडीशन है, जो आजकल क्‍या बुजुर्ग क्‍या जवान सभी को प्रभावित कर रही है। टीनएजर्स और 20 साल के आसपास के युवा इस बीमारी की चपेट में ज्‍यादा आ रहे हैं। बता दें कि युवाओं में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों देखी जा रही हैं, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज जिसे डायबिटीज मेलिटस कहते हैं के लक्षण दिखाई न देने के कारण इसका निदान देर में हो पाता है।​अमेरिका के रिसर्चर्स ने 2002 से 2017 तक के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए भविष्यवाणी की है कि देश में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले युवाओं की संख्या 2017 में 213,000 से बढ़कर 2060 में 239,000 हो जाएगी। अगर यहां बताए गए कुछ संकेतों पर जल्‍दी ध्‍यान दिया जाए, तो युवाओं में डायबिटीज को बढ़ने से रोका जा सकता है।

पेशाब और प्‍यास बढ़ना

अगर एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति की पेशाब और प्‍यास में वृद्धि होने लगे, तो यह टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का संकेत है। अचानक से इन लक्षणों का अनुभव करने वाले युवा लोगों को ज्‍यादा सावधान रहने की जरूरत है। क्‍योंकि यह लक्षण हाई ब्‍लड शुगर लेवल का भी संकेत दे सकता है।

अचानक से वजन घटना

वजन बढ़ना तो सामान्‍य है, लेकिन नियमित भोजन के बाद भी आपका वजन लगातार कम हो रहा है, तो डायबिटीज का रिस्‍क है। इस दौरान डायबिटीज वालों का वजन उम्‍मीद के मुताबिक नहीं बढ़ता ऐसा होना टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वालों के लिए खतरे की घंटी है।

थकान

जरूरत से ज्‍यादा थकान होने का मतलब है कि आप डायबिटीज की गिरफ्त में हैं। इस स्थिति में हमारा शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का पर्याप्‍त उपयोग नहीं कर पाता। जिससे थकान हो सकती है। इस लक्षण को पहचानकर जल्‍द ही डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है।

आंखों की रोशनी कमजोर होना

दृष्टि में परिवर्तन हाई ब्‍लड शुगर लेवल से जोड़कर देखा जाता है। कम उम्र के लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपनी दृष्टि में बदलाव के प्रति सचेत रहें और तुरंत टेस्‍ट कराएं। खासतौर से जिन लोगों के पहले से चश्‍मा लगा हुआ है, अगर विजन में कोई प्रॉब्‍लम हो, तो लक्षण को इग्‍नोर न करते हुए आई टेस्‍ट कराना चाहिए।

भूख और प्यास बढ़ना

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों और वयस्कों दोनों में डायबिटीज के लक्षण एक जैसे ही हो सकते हैं। भूख और प्यास बढ़ना इसका एक संकेत हो सकता है। ध्यान दें यदि आपका बच्चा अत्यधिक भूख या प्यास महसूस करता है, बढ़ी हुई भूख के बावजूद बच्चे का वजन कम होता जा रहा है तो ये डायबिटीज का संकेत हो सकता है। वयस्कों की ही तरह से बच्चों में इस तरह के संकेतों पर गंभीरता से ध्यान देने और समय रहते डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता है।

मधुमेह कीटोएसिडोसिस क्या है

टाइप 1 डायबिटीज वाले लोग अगर लक्षणों पर ध्‍यान देने से चूक जाएं, तो डायबिटीज कीटोएसिडोसिस का खतरा होता है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग बंद करके फैट को तोड़ना शुरू कर देता है, जिससे कीटोन का प्रोडक्‍शन शुरू हो जाता है। इससे शरीर के पीएच लेवल में खतरनाक रूप से असंतुलन पैदा होने लगता है।

डायबिटीज कीटोएसिडोसिस के लक्षण

मतली, उल्टी, पेट में दर्द और सांस में एक अजीब गंध डायबिटीज कीटोएसिडोसिस के मुख्‍य लक्षण हैं। इन लक्षणों पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी है, क्‍योंकि इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह जीवन के लिए बड़ा खतरा है।टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बीच अंतर करने और डायबिटीज कीटोएसिडोसिस के विकास को रोकने के लिए समय पर इसकी पहचान करना बेहद जरूरी है। नियमित जांच की मदद से युवाओं में डायबिटीज को मैनेज करने में बहुत मदद मिल सकती है।

बच्चों में ये हैं डायबिटीज के लक्षण

डॉक्टर कहते हैं, मधुमेह के कारण शरीर में कई प्रकार का जटिलताएं हो सकती हैं, इसलिए जरूरी है कि कम उम्र से ही इससे बचाव के लिए प्रयास किए जाएं।मधुमेह से पीड़ित बच्चे पर्याप्त आराम करने के बाद भी थकान और सुस्ती महसूस कर सकते हैं। ब्लड शुगर बढ़ने के कारण धुंधला दिखाई देने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस हो सकती है। घाव, कट या चोट को ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगना भी मधुमेह का संकेत हो सकता है। बार-बार संक्रमण होना, विशेष रूप से मसूड़ों या मूत्र पथ में संक्रमण होना संकेत है कि आप मधुमेह के शिकार हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर आपको या बच्चे में इस तरह की कोई भी समस्या कुछ समय से बनी हुई है तो समय रहते किसी विशेषज्ञ से मिलकर स्थिति का निदान और उपचार जरूर प्राप्त कर लें।

  • रात में बिस्तर गीला करना
  • कम पानी पीने के बावजूद भी बार-बार यूरिन आना
  • हमेशा थका हुआ महसूस होना
  • भूख कम या ज्यादा लगना

यूं करें बचाव

  • बच्चों के ब्लड शुगर लेवल की जांच करें
  • अगर माता-पिता को डायबिटीज है तो जन्म के बाद बच्चे की भी जांच कराएं
  • बच्चों को डॉक्टर की सलाह के हिसाब से इंसुलिन दें
  • अगर डायबिटीज के लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत इलाज कराएं.

बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के मामले सबसे अधिक

टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर ही हमला कर देती है। परिणामस्वरूप, हमारा शरीर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हार्मोन- इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है।टाइप-1 डायबिटीज के अधिकतर मामलों में रोगी को जीवनभर इंसुलिन लेने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं टाइप-2 डायबिटीज मुख्य रूप से वयस्कों में देखी जाती है, हालांकि बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं।बच्चों में डायबिटीज के लक्षणों को पहचान और समय रहते इसका उपचार किया जाना बहुत आवश्यक हो जाता है।

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