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Russia-Ukraine के युद्ध का भारत पर कितना पड़ेगा असर?

नई दिल्ली – रूस और यूक्रेन की जंग में अब खून भी बहने लगे हैं। रूसी हमले से नागरिकों को बचाने के लिए राजधानी कीव में शेल्टर होम बनाए गए हैं. नागरिकों से इन शेल्टर में जाने की अपील की गई है. जानकारी के मुताबिक मरियुपोल शहर में टैंक देखे गए हैं। एयरपोर्ट पर भी हमला किया गया है। यूक्रेन में लोगों की चीख-पुकार सुनाई दे रही है। यूक्रेन के राजदूत ने भारत से मदद की गुहार भी लगायी है। यूक्रेन में दुकानों, बार, मेट्रो स्टेशनों, अंडरपास, कोल्ड वार न्यूक्लियर शेल्टर और स्ट्रीप क्लब को शेल्टर होम में बदला गया है.

ऐसे में यह युद्ध की आग बढ़ती दिखाई देती है। सवाल है कि इस युद्ध का इंडिया पर क्या असर पड़ेगा? सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि इंडिया और रूस के बीच व्यापार की क्या स्थिति है। इंडिया के एक्सपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी सिर्फ 0.8 फीसदी है, जबकि इंपोर्ट में सिर्फ 1.5 फीसदी हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल के अलावा इंडिया पर इस युद्ध का ज्यादा असर नहीं पडे़गा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के सीईओ और डायरेक्टर-जनरल अजय सहाय ने कहा कि जहां तक ट्रेड की बात है तो अभी ज्यादा चिंता की बात नहीं है। इसकी वजह यह है कि हम रूस से ज्यादा आयात या निर्यात नहीं करते हैं। इंडिया रूस से पेट्रोल भी ज्यादा नहीं खरीदता है।

वित्त वर्ष 2020-21 में इंडिया ने रूस को 2.6 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया था, जबकि 5.5 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया था। इंडिया रूस को ज्यादातर दवाइयों और इलेक्ट्रिकल मशीनरी का निर्यात करता है। इनके अलावा वह चाय और कपड़ों का भी निर्यात करता है। रूस से इंडिया के इंपोर्ट में आधा से ज्यादा हिस्सेदारी पेट्रोलियम पोर्डक्ट्स की है। उसने रूस से 3.7 अरब डॉलर के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात किया। यह इंडिया के 150 अरब डॉलर के कुल पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के आयात का बहुत छोटा हिस्सा है।

ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले का इंडिया पर दो तरह से असर पड़ेगा। इस हमले से क्रूड की कीमतें बढ़ंगी, जिससे इंडिया में खुदरा महंगाई दर में इजाफा होगा। महंगाई को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इंट्रेस्ट रेट बढ़ाना पड़ सकता है। अगर सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी लाने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कमी नहीं करती है तो आरबीआई इस साल इंट्रेस्ट रेट में दो बार बढ़ोतरी कर सकता है।

उधर, भारत के एक्सपोर्ट में यूरोप की बड़ी हिस्सेदारी है। यूरोप में अस्थिरता के चलते स्टील, इंजीनियरिंग गुड्स आदिक की डिमांड बढ़ सकती है। इंडिया इन चीजों का बड़ा सप्लायर है। ऐसे में इंडिया के लिए एक्सपोर्ट बढ़ाने का बड़ा मौका होगा। कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद से इंडिया एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर दे रहा है। उसका मानना है कि चीन के प्रति अविश्वास के बढ़ते माहौल का फायदा उठाना होशियारी है।

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