मंगल पर ज्यादा मात्रा में पानी होने का अनुमान
नई दिल्ली – मंगल का वायुमंडल भी काफी पतला है ऐसे में वहां पानी का गैसीय रूप में होना भी मुश्किल ही है. ऐसे में अब वैज्ञानिकों की एकमात्र उम्मीद यही है मंगल की सतह के नीचे हिस्से में पानी की उपस्थिति (Underground Water) हो सकती है. ग्रह पर मौजूद पानी का आंकलन काफी पहले से होता रहा है. नए अध्ययन में पता चला है कि मंगल पर पानी पिछले अनुमान से काफी कम है.
वैज्ञानिकों को इस बात के बहुत सारे प्रमाण मिले हैं कि मंगल पर कभी पानी बहा करता था. कुछ आंकलनों के मुताबिक मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध का अधिकांस हिस्सा कभी महासागर के नीचे था. नया प्रतिमान सुझा रहा है कि वैज्ञानिकों ने पुरातन मंगल पर पानी की मात्रा का अनुमान ज्यादा ही लगा लिया है.
इस बेसिन में पानी का विशाल भंडार था और टकराव के बाद उसी पानी की बर्फ आज भी वहीं मौजूद है. इस अध्ययन में मोम्मद अफजदल शादाब और उनकी टीम ने एक गणितीय सूत्र निकाला जिससे वे यह पता लगा सकें कि मंगल पर भूमिगतजल का स्तर कितना ऊंचा है.
भूमिगत जल की बहाव गतिकी का उपयोग किया और दक्षिणी उच्च भूमि के नीचे के असीमित भूमिगतजल के स्रोत के लिए विश्लेषणात्मक समाधान निकाले. जिससे जमीन के नीचे पानी के बहाव की स्थिति स्पष्ट हो सके. शोधकर्ताओं ने एक प्रतिमान का भी उपयोग किया जिससे वे बारिश, वर्षण और जलीय चालकता के संयोजनों का अन्वेषण किया. उन्होंने पाया कि पिछले सभी प्रकाशित आंकलनों में रीचार्ज की दर का मान शुरुआती मंगल की क्षमता के हिसाब से था. दक्षिणी उच्च भूमि में पहाड़ी इलाकों की भरमार थी. यहां की जमीन के नीचे पानी के स्रोतों से ही दक्षिणी के महसागरों में पानी पहुंचता था. यह शोध बताता है कि मंगल पर पानी का इतिहास एक जटिल विषय है और आने वाले समय में इस पर और अध्ययन होते रहेंगे.
एक काल्पनिक महासागर को भूमिगत जलीय चट्टानी पर्त के जरिए दक्षिणी उच्च भूमि से जोड़ा गया. जबकि इससे पहले के प्रतिमान दूसरी तकनीक का उपयोग करते थे. लेकिन वे गोलाकार प्रतिमान की तुलना में कमजोर थे क्योंकि गोलाकार प्रतिमान में जटिल गणित का उपयोग होता था.