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चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित है या नहीं -जानें


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नई दिल्लीः चंद्रग्रहण यानी चांद को लगने वाला ग्रहण. ये ग्रहण एक तरह की खगोलीय घटना है. खगोलविज्ञान और ज्योतिष, दोनों में ही ग्रहण को काफी महत्व दिया जाता है. लोगों को ग्रहण के सकारात्मक और नकारत्मक प्रभाव बताए जाते हैं. इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसे लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा रहती है. 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण लग रहा है. इस दौरान चांद को लेकर भी कई तरह की बातें सामने आती हैं. कई मिथक फैले हुए हैं. इसमें एक सबसे अहम है ग्रहण के दौरान चांद को देखना.कई लोग ऐसा मानते हैं कि ग्रहण के दौरान चांद को नहीं देखना चाहिए. अगर किसी ने ऐसा किया तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाएगी. इस मिथक को कई लोग सच मानते हैं. यही वजह है कि ग्रहण के दौरान लोग घर के अंदर कैद होते हैं और भूल से भी आसमान की तरफ नहीं देखते हैं.

ये रही सच्चाई

मिड नॉर्थ कोस्ट एस्ट्रोनॉमी एंड साइंस सेंटर के डेविड ने ग्रहण के दौरान चांद को देखने की असलियत बताई. डेविड रेनेके के मुताबिक़, चंद्रग्रहण एक खूबसूरत घटना होती है. इसे देखने से किसी को वंचित नहीं रहना चाहिए. अगर चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जाए तो कोई नुकसान नहीं होता. आपकी आंखें एकदम सुरक्षित रहती है. चंद्रग्रहण देखने के लिए आपको आंख पर कोई फ़िल्टर भी नहीं चाहिए. सिर्फ नंगी आंखों से ही आप डायरेक्ट ग्रहण को देख सकते हैं.

चंद्र ग्रहण को हम कैसे देख सकते हैं

सूर्य ग्रहण की तुलना में चंद्र ग्रहण देखना सुरक्षित होता है। कोई भी व्यक्ति बिना आई प्रोटेक्शन और स्पेशल इक्विपमेंट के इसे देख सकता है। आप बिना बाइनॉकुलर्स या टेलिस्कोप के सीधे अपनी आंखों से चंद्रग्रहण देख सकते हैं।

चंद्र ग्रहण क्या है, यह क्यों होता है

पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह गुरुत्वाकर्षण बल यानी ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। सूर्य के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्र ग्रहण होता है।चंद्र ग्रहण की घटना तभी होती है जब सूर्य, पृथ्‍वी और चंद्रमा एक सीध में हों, खगोलीय विज्ञान के अनुसार ये केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होता है। इसी वजह से चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होते हैं।

सूरज को देखना है मना

दरअसल, सूर्यग्रहण के दौरान सूरज को देखने की मनाही होती है. विज्ञान के मुताबिक़, अगर सूर्यग्रहण में सूरज को देख लें, तो आंखों की रोशनी जा सकती है. ग्रहण के दौरान सोलर रेडिएशन से आंख की टिशू डैमेज हो सकती है. इस कारण सूर्यग्रहण में सूरज को नहीं देखना चाहिए. इसे रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं. लेकिन चांद के साथ ऐसा कोई इश्यू नहीं होता. इस कारण आप आराम से चंद्रग्रहण की तस्वीर ले कर उसे भर आंख देख सकते हैं.

चंद्र ग्रहण कितनी तरह के होते हैं

चंद्र ग्रहण आम तौर पर 3 तरह के होते हैं। इन्हें पूर्ण, आंशिक और उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इनमें से हर तरह के ग्रहण के लिए अलग खगोलीय स्थिति जिम्मेदार है..

  1. पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total lunar eclipse): पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके कारण पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढंक लेती है, जिससे चंद्रमा पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है।
  2. आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial lunar Eclipse): जब पृथ्वी की परछाई चंद्रमा के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके, तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा के एक छोटे हिस्से पर ही अंधेरा होता है।
  3. उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral lunar Eclipse): उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के बाहरी भाग पर पड़ती है। इस तरह के चंद्र ग्रहण को देखना मुश्किल होता है।

चंद्र ग्रहण से जुड़े मिथक

ग्रहण को लेकर कई तरह के मिथक भी प्रचलित हैं. लोगों के मन में आज भी यह एक डर है कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नेत्र संबंधी रोग हो सकते है. धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बुरी शक्तियां ब्रह्मांड में प्रभावी रहती हैं जो व्यक्ति पर बुरा असर डालती है इसलिए इस दौरान चांद को देखने, घर से बाहर निकलने, भोजन करने की मनाही होती है लेकिन विज्ञान इन मिथक से परे है.

विज्ञान में चंद्र ग्रहण को लेकर अहम बातें

विज्ञान में चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना बताया है. जब चंद्र के कुछ हिस्से पर पृथ्वी की छाया पड़ती है तब आंशिक चंद्र ग्रहण लगता है. पूर्णिमा पर चंद्रमा सामान्य से थोड़ा बड़ा दिखाई देगा लेकिन ग्रहण के इसका आधा हिस्सा हल्का लाल नजर आएगा. जानकारों के अनुसार चंद्र ग्रहण को खुली आंखों देखना सुरक्षित है, जबकि सूर्य ग्रहण नंगी आंखों से देखना विज्ञान में भी नुकसानदायक बताया गया है. इसे देखने के लिए किसी प्रकार का चश्मा, एक्स-रे या आई प्रोटेक्टिव केयर का इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं पड़ती. अब जानते हैं कि 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला चंद्र ग्रहण का समय क्या रहेगा

ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास और वैज्ञानिक सच

​​​​​पहला: राहु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करता है
NASA ने इस तरह के दावों और पौराणिक कथाओं से इनकार किया है। ऐसा सिर्फ और सिर्फ तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्र ग्रहण होता है।

दूसरा: चंद्र ग्रहण की वजह से सुनामी और दूसरी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं
NASA का मानना है कि चंद्र ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता सुनामी या दूसरी प्राकृतिक आपदा आने की वजह नहीं है। दरअसल, इस वक्त पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे के काफी नजदीक होते हैं। इसलिए इस समय गुरुत्वाकर्षण बल काफी ज्यादा होता है। यही वजह है कि पृथ्वी के अंदर होने वाले भौगोलिक बदलावों के कारण भूकंप, सुनामी और दूसरी प्राकृतिक आपदाएं चंद्र ग्रहण के बाद आती हैं।

तीसरा: ग्रहण के दौरान पहले से बना खाना खराब हो जाता है
ग्रहण के दौरान खाना खराब होने की बात को मानने से NASA इनकार करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहण के दौरान खाना, पीना और दैनिक गतिविधियों को करना पूरी तरह से सुरक्षित है।

चौथा: चंद्र ग्रहण किसी अशुभ की ओर इशारा करता है
NASA इसे मानने से इनकार करता है। साइंटिस्ट इस तरह की बातों को मनोवैज्ञानिक कन्फर्मेशन बायस कहते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि हम आमतौर पर चंद्र ग्रहण को भले ही याद नहीं रखते हैं, लेकिन जब इसके साथ ही कोई घटना घटती है तो हम इसे लंबे समय तक याद रखते हैं।

उदाहरण के लिए 6 सितंबर 1979 को चंद्र ग्रहण लगा था, जिसके एक महीने बाद अक्टूबर-1979 में फिलीपींस में तूफान आया था। इसके बाद दुनिया के कई जगहों पर इस तूफान के लिए चंद्र ग्रहण को जिम्मेदार बताया गया, लेकिन चंद्र ग्रहण के बाद क्या अच्छा हुआ लोगों को ये याद नहीं है।

चंद्र ग्रहण 2023 कब से कब तक

शरद पूर्णिमा पर 29 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 06 मिनट से चंद्र ग्रहण की शुरुआत होगी. इसका समापन देर रात 02 बजकर 22 मिनन पर होगा. चंद्र ग्रहण की अवधि 01 घंटा 16 मिनट 16 सेकंड रहेगी.

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