नई दिल्ली – राज्यसभा में कल हुए हंगामे को लेकर आज विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। इस मार्च में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए। इस दौरान राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि विपक्ष को संसद में बोलने की अनुमति नहीं है। यह लोकतंत्र की हत्या है। इससे पहले आज राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में विपक्षी दलों के नेताओं ने बैठक की थी।
Delhi | Opposition leaders march towards Vijay Chowk from Parliament demanding repeal of Centre's three farm laws pic.twitter.com/y9E3U5PxES
— ANI (@ANI) August 12, 2021
राहुल गांधी ने कहा- सरकार ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं करवाई, जासूसी कांड पर भी चर्चा नहीं करवाई। सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है। देश की 60 प्रतिशत जनता की आवाज नहीं सुनी गई। जनता की आवाज का अपमान हुआ है। हम किसानों के मुद्दे संसद के अंदर नहीं उठा सके, इसलिए बाहर आए हैं। यह लोकतंत्र की हत्या से कम नहीं है।
It's unfortunate how Congress & other Opposition parties are protesting on road. Democracy has been shamed. I would say that not just VP Venkaiah Naidu cried but democracy also cried. Opposition ensured washout of the whole session, & this is height of anarchy: Sambit Patra, BJP pic.twitter.com/hBVaNXGv2y
— ANI (@ANI) August 12, 2021
बताया जा रहा है कि 15 पार्टियों के नेता और संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च कर रहे हैं। पैदल मार्च करने के बाद विपक्ष के नेता राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से भी मिलेंगे। कल जनरल इंश्योरेंस बिल को लेकर राज्यसभा में ज़बरदस्त हंगामा हुआ था। विपक्ष ने सरकार पर मार्शलों के ज़रिए बदतमीजी का आरोप लगाया तो सरकार ने विपक्षी सांसदों पर मार्शल से मारपीट का आरोप लगाया।
पैदल मार्च पर BJP ने किया पलटवार –
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘’जिस प्रकार का व्यवहार आज कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य विपक्षी पार्टियां सड़क पर उतरकर कर रही हैं। जिस प्रकार अराजकता संसद के अंदर विपक्षी पार्टियों और खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने दिखाया है, उससे पूरा देश और लोकतंत्र शर्मसार हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘’एक सुरक्षाकर्मी भी हताहत हुई है. वो भी अस्पताल में है। ये वही विपक्षी हैं जो कह रहे थे कि संसद का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए, मगर जब सत्र चल रहा था, कोरोना पर एक दिन भी चर्चा नहीं होने दी।’’