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Joshimath Sinking: डूब सकता है जोशीमठ,इतिहास बन जाएगा जोशीमठ

नई दिल्ली – जोशीमठ क्यों डूब (Joshimath Sinking) रहा है? उनके नेतृत्‍व वाली 18 सदस्यीय समिति द्वारा इस बाबत एक रिपोर्ट पेश की गई. इसमें साफ तौर पर बताया गया कि उत्‍तराखंड (Uttarakhand) में जोशीमठ एक पुराने भूस्खलन क्षेत्र (Joshimath landslide) पर स्थित है और अगर विकास जारी रहा तो यह डूब सकता है. रिपोर्ट में सिफारिश की गईं कि जोशीमठ में निर्माण प्रतिबंधित किया जाए, वरना यह डूब जाएगा. रिपोर्ट इससे अधिक भविष्यसूचक नहीं हो सकती थी.

एनवायरनमेंट एक्सपर्ट विमलेंदु झा ने कहा कि जोशीमठ को कभी रिपेयर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में जो मौजूदा हालात हैं, उसे रिवर्स गियर में नहीं ले जाया जा सकता. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के इंजीनियरों पूरे जोशीमठ को तबाह कर रख दिया. झा ने आगे कहा कि हाइडेल प्रोजेक्ट को जोशीमठ से नहीं नहीं गुजरना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहाड़ों को जिस तरह से खोदा जा रहा है वही जोशीमठ आपदा का परिणाम है.

जोशीमठ एक प्राचीन भूस्खलन पर स्थित है, जो चट्टान नहीं बल्कि रेत और पत्थर के जमाव पर टिका है. अलकनंदा और धौली गंगा नदियां.. नदी के किनारों और पहाड़ के किनारों को मिटाकर भूस्खलन को ट्रिगर करने में अपनी भूमिका निभाती हैं. निर्माण गतिविधि में वृद्धि और बढ़ती आबादी क्षेत्र में लगातार भूस्खलन में योगदान देंगी.“जोशीमठ रेत और पत्थर का जमाव है – यह मुख्य चट्टान नहीं है – इसलिए यह एक बस्ती के लिए उपयुक्त नहीं था. ब्लास्टिंग, भारी यातायात आदि से उत्पन्न कंपन से प्राकृतिक कारकों में असंतुलन पैदा होगा…”

हर मिट्टी समतल मिट्टी नहीं होती है, जिसे खोदा जाए. इंजीनियर्स को मिट्टी के प्रकार को समझने की दरकार है. इंजीनियरिंग कॉलेजों में इसे पढ़ाए जाने की जरूरत है. जलोढ़, लेटराइट, रेगिस्तान, काली कपास, पीट, और बहुत कुछ. झा ने कहा कि हिमालय उच्च भूकंपीय क्षेत्र में सबसे कम उम्र की पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है. यहां की मिट्टी को खोदने का परिणाम लोगों को पता चल रहा है.

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