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टेक्नोलॉजी

अंतरिक्ष में कचरा: स्पेस से गिरने वाला कचरा पृथ्वी के लिए है खतरा

नई दिल्लीः अंतरिक्ष में ढेरों सैटेलाइटों का मलबा जमा है। यह मलबे धरती का चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में अगर कोई नया सैटेलाइट इन मलबों के ढेर से टकराएगा तो ना सिर्फ करोड़ों का नुकसान होगा बल्कि रिसर्च प्रोजेक्ट भी अधूरा रह जाएगा। मानव निर्मित मलबों के ये टुकड़े विभिन्न उपग्रहों और अंतरिक्षयानों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। हालांकि, इन मलबों की सफाई में जापान की चार कंपनियां तेजी से काम कर रही हैं और बेहतर व्यापार के अवसर देख रही हैं। वे उन समाधानों को विकसित करने में जुटी हैं जिनकी बदौलत आने वाले दिनों में अंतरिक्ष यात्रा अधिक सुरक्षित हो सकेगी।

पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे करोड़ों पुराने राकेट और उपग्रह

यदि हम अंतरिक्ष में मौजूद तमाम मानव जनित पदार्थों की बात करें, तो एक अनुमान के मुताबिक छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 17 करोड़ पुराने राकेट और बेकार हो चुके उपग्रहों के टुकड़े आठ किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। आपस में टक्कर होने से ये और भी टुकड़ों में बंट रहे हैं जिससे इनकी संख्या में दिनों-दिन बढ़ोतरी ही हो रहा है।

प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबा क्या है?

यह सौभाग्य की बात है कि ऐसा बहुत कम होता है कि किलोमीटर के आकार की वस्तुएं सतह तक आएं। लेकिन अगर ऐसा हो तो इससे मृत्यु और विनाश हो सकता है, कभी पृथ्वी पर घूमने वाले डायनासोर का विलुप्त होना ऐसी ही एक घटना का परिणाम था। ये प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबे के उदाहरण हैं, जिसका अनियंत्रित आगमन अप्रत्याशित है और कमोबेश पूरे विश्व में समान रूप से फैला हुआ है।

पैठ बनाने की कोशिश में अंतरिक्ष में कूड़ा फैला रहे देश

गौरतलब है कि सभी देश अंतरिक्ष में अपनी गहरी पैठ बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसके चलते वे अंतरिक्ष में अपने ज्यादा से ज्यादा सैटेलाइट छोड़ रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में स्पेस में इन मलबों की मात्रा और बढ़ेगी। बता दें, अंतरिक्ष में मानव निर्मित मलबे आठ किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से धरती का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, सैटेलाइटों के टकराने से बना मलबा 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चक्कर काटता है। इतनी रफ्तार से चक्कर काटता एक मूंगफली का दाना भी टकराने पर ग्रेनेड जैसा असर करता है। अंतरिक्ष का कचरा पृथ्वी में पलने वाले जीवन के लिए भी खतरा है। अगर कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में दाखिल होते समय पूरी तरह नहीं जला तो काफी तबाही मचा सकता है।

जापानी कंपनी एस्ट्रोस्केल स्पेस में फैले कूड़े को कर रही साफ

जापानी कंपनी एस्ट्रोस्केल साल 2013 में बनाई गई थी और इसकी चार शाखाएं ब्रिटेन, अमेरिका, इस्राइल व सिंगापुर में हैं। इस कंपनी ने इसी साल 22 मार्च को कजाखस्तान के बाइकोनुर कॉस्मोड्रोम से छोड़े गए सोयुज रॉकेट में भेजे अपने एल्सा-डी डिमॉन्स्ट्रेशन क्राफ्ट के जरिये अपनी ‘एंड ऑफ लाइफ सर्विसेज’ शुरू कर दी। एल्सा-डी दो उपग्रहों से मिलकर बना है जो एक के ऊपर एक जुड़े हुए हैं। इसमें एक 175 किलोग्राम वाला सर्विसर सैटेलाइट है और दूसरा 17 किलो वाला क्लाइंट सैटेलाइट है। इसमें एक चुंबकीय डॉकिंग मकैनिजम भी लगा है और खराब पड़ चुके उपग्रहों और मलबे के बड़े टुकड़ों को हटाने का काम इसी उपग्रह के जरिये होता है।

कहां गिर सकता है अंतरिक्ष का मलबा?

उन्होंने पाया कि आने वाले दशक में इसी तरह के टुकड़ों के फिर से वातावरण में प्रवेश करने का एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण जोखिम है। लेकिन उत्तरी अक्षांशों की तुलना में दक्षिणी अक्षांशों पर ऐसा होने की अधिक संभावना है। वास्तव में, अध्ययन ने अनुमान लगाया कि रॉकेट के टुकड़े गिरने की संभावना इंडोनेशिया में जकार्ता, बांग्लादेश में ढाका या नाइजीरिया में लागोस के अक्षांशों पर अमेरिका में न्यूयॉर्क, चीन में बीजिंग या रूस में मास्को की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है।

कई अन्य देश भी अंतरिक्ष में मौजूद मलबे को साफ करने की कर रहे तैयारी


बता दें, जापान के अलावा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) भी अंतरिक्ष में मौजूद कूड़े को साफ करने के लिए काम कर रही है। वह 2023 में एक गारबेज रोबोट को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। इस स्पेस रोबोट में एक हाथ होगा जो सैटेलाइट को पकड़ कर वापस धरती पर ले आएगा। अंतरिक्ष में मौजूद कूड़े को साफ करने के लिए कई उपायों पर काम किया रहा है। वैज्ञानिकों का यह विचार है कि कचरे को अंतरिक्ष में ही जला दिया जाए। जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर इसके लिए एक लेजर तकनीक विकसित कर रही है। लेजर शॉट से मलबे को वहीं भस्म कर दिया जाएगा।

मानव जाति के लिए खतरनाक

अंतरिक्ष का कचरा मानव जाति और इस पृथ्वी के समस्त जीव जगत के लिए घातक है। अगर ये अनियंत्रित लाखों डिग्री सेल्सियस ताप पर दहकते टुकड़े घनी बस्तियों पर गिरते हैं तो जान-माल की बड़ी हानि हो सकती है। वर्ष 2001 में कोलंबिया स्पेस शटल की दुर्घटना में भारतीय मूल की कल्पना चावला समेत सात अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की जान चली गई थी। इस दुर्घटना के अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन कुछ रिपोर्टों में यह आशंका जताई गई थी कि अंतरिक्ष में भटकते एक टुकड़े से टकराने की वजह से यह भीषण त्रसदी हुई थी।

इलेक्ट्रो नेट पर काम कर रही नासा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी एक इलेक्ट्रो नेट पर काम कर रही है। यह जाल एक बड़े इलाके में मौजूद कचरे को बांधेगा और फिर से धरती के वायुमंडल में लाएगा। पृथ्वी के वायुमंडल से दाखिल होते समय ज्यादातर कचरा खुद जल जाएगा, लेकिन इस विचार पर अभी ठोस काम होना बाकी है। इसके अलावा जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के पास इलेक्ट्रोडायनैमिक माइन का प्रपोजल है। 700 मीटर लंबी इलेक्ट्रोडायनैमिक सुरंग स्टेनलैस स्टील और एल्युमीनियम से बनाई जाएगी। यह सुरंग कचरे की तेज रफ्तार को धीमा करेगी और उसे धीरे-धीरे वायुमंडल की तरफ धकेलेगी।

बचाव संभव लेकिन बहुत महंगे

ऐसी कई प्रौद्योगिकियां हैं जो मलबे के पुन: प्रवेश को नियंत्रित करना पूरी तरह से संभव बनाती हैं, लेकिन उन्हें लागू करना महंगा है। उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष यान को ‘निष्क्रिय’ किया जा सकता है, जिससे अप्रयुक्त ऊर्जा (जैसे ईंधन या बैटरी) को अंतरिक्ष यान का जीवनकाल समाप्त होने के बाद संग्रहीत करने के बजाय खर्च किया जा सकता है। उपग्रह के लिए कक्षा का चुनाव भी मलबे के उत्पादन की संभावना को कम कर सकता है।

इंसानों के हताहत होने की संभावना कितनी?

लेखकों ने अगले दशक में अनियंत्रित रॉकेटों के वातावरण में पुन: प्रवेश करने के परिणामस्वरूप इससे लोगों के हताहत होने का भी अनुमान लगाया है। यह मानते हुए कि प्रत्येक पुनः प्रवेश दस वर्ग मीटर के क्षेत्र में घातक मलबा फैलाता है, उन्होंने पाया कि अगले दशक में इससे औसतन एक या अधिक लोगों के हताहत होने की संभावना 10 प्रतिशत है। आज तक, उपग्रहों और रॉकेटों के मलबे से पृथ्वी की सतह (या वायुमंडल में हवाई यातायात) को नुकसान पहुंचने की संभावना को नगण्य माना गया है।

आबादी की रक्षा के लिए साथ आएं सभी देश

अध्ययन का तर्क है कि उन्नत प्रौद्योगिकियों और अधिक विचारशील मिशन डिजाइन करने से अंतरिक्ष यान के मलबे के अनियंत्रित पुन: प्रवेश की दर कम हो जाएगी, जिससे दुनिया भर में खतरे का जोखिम कम हो जाएगा। पांच साल में, अंतरिक्ष में पहले उपग्रह के प्रक्षेपण को 70 साल हो जाएंगे। यह उस घटना का एक उपयुक्त उत्सव होगा यदि इसे अंतरिक्ष मलबे पर एक मजबूत और अनिवार्य अंतरराष्ट्रीय संधि द्वारा चिह्नित किया जा सकता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाए। अंततः, इस तरह के समझौते से सभी देशों को लाभ होगा।

स्पेस बिजनस में तेजी से बढ़ रहा खतरा

ऐसे अंतरिक्ष मलबे के अधिकांश अध्ययनों ने निष्क्रिय उपग्रहों द्वारा कक्षा में उत्पन्न जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है जो कार्यशील उपग्रहों के सुरक्षित संचालन में बाधा डाल सकता है। अप्रयुक्त ईंधन और बैटरियां भी कक्षा में विस्फोट का कारण बनती हैं जो अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पन्न करती हैं। लेकिन जैसे-जैसे रॉकेट लॉन्च व्यवसाय में प्रविष्टियों की संख्या बढ़ती है – और सरकारी से निजी उद्यम की ओर बढ़ती है – यह अत्यधिक संभावना है कि अंतरिक्ष और पृथ्वी दोनों में दुर्घटनाओं की संख्या, जैसी कि चीनी लॉन्ग मार्च 5बी की लॉन्च के बाद हुई, में भी वृद्धि होगी।

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