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राजनीति

क्या है और कैसे कराया जाता Exit Poll,एग्जिट और ओपिनियन में क्या अंतर है -जानें


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नई दिल्लीः तेलंगाना में आज (30 नवंबर) मतदान प्रक्रिया पूरी होते ही एग्जिट पोल का दौर शुरू हो जाएगा. एग्जिट पोल में पांच राज्यों में हुए चुनाव को लेकर किस पार्टी का पलड़ा भारी है और कौन मात खा रहा है, किसी कितनी सीटें मिलेंगी, इसे लेकर आंकड़े जारी किए जाएंगे. तीन दिसंबर को आने वाले नतीजों से पहले तक इसी पर चर्चा होगी. कई बार एग्जिट पोल सही भी साबित होते हैं.एग्जिट पोल को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी होते हैं. यहां हम आपको बताएंगे इससे जुड़े हर सवालों के जवाब. हम बताएंगे कि आखिर कैसे होता है एग्जिट पोल, इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है, क्यों चुनाव आयोग इस पर चुनाव के दौरान प्रतिबंध लगा देता है.

सबसे पहले जानिए क्या है एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे की तरह होता है जिसे अलग-अलग कंपनियां वोटिंग वाले दिन करती हैं. इस प्रक्रिया में कंपनी की टीम अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में मौजूद होती है और वोट डालकर बाहर आए लोगों से जानती है कि उन्होंने किसे वोट दिया. इस तरह टोटल डेटा को जुटाकर एक अनुमान लगाया जाता है कि किसे कितनी सीटें मिल सकती हैं.

फिर क्या होता है ओपिनियन पोल?

ये चुनावी सर्वे वोटिंग से कुछ दिन पहले करवाया जाता है. इसमें अलग अलग जगहों पर जाकर सर्वे एजेंसी ये जानने की कोशिश करते हैं कि इस बार लोग किस पार्टी को ज्यादा वोट देने वाले हैं. उनके मुद्दे क्या हैं और इस बार का चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. इसमें चुनाव से पहले जनता का मूड जानकर ये बताने की कोशिश की जाती है कि इस बार किसकी सरकार बनने वाली है.

कैसे कराया जाता एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल सर्वे के तहत वोटरों से कुछ सवाल पूछे जाते हैं कि उन्होंने किसे वोट दिया? यह सर्वे मतदान वाले दिन ही कराया जाता है। मीडिया हाउस और एजेंसियां एक टीम बनाकर पोलिंग बूथ पर भेजती हैं, जो वोट करके जाने वाले लोगों से बात करके उनके विचार जानती हैं। इस आधार पर डाटा इकट्ठा करके एनालिसिस किया

कैसे लगाया जाता है आइडिया?

दरअसल, ये सर्वे किसी एक स्थान की राय के आधार पर निर्भर नहीं होते हैं. पहले तो सर्वे कंपनियां एक सैंपल साइज लेकर चलती है यानी अगर विधानसभा में 4 लाख वोट हैं तो वो 10 हजार, 20 हजार लोगों से इसके बारे में बात करती है, इस संख्या को ही सैंपल साइज कहा जाता है. इसके अलावा इस सैंपल साइज में हर वर्ग के लोग शामिल किए जाते हैं, जिसमें ग्रामीण, शहरी, व्यापारी, नौकरीपेशा, स्टूडेंट, बुजुर्ग, युवा, सरकारी नौकरीपेशा, प्राइवेट नौकर, 10 लाख कमाने वाले लोग, 5 लाख तक कमाने वाले लोग, 2 लाख तक कमाने लोग आदि शामिल है.इससे समाज के हर वर्ग की राय जानने को मिलती है और उनकी राय को एक जगह करके डेटा को रीड किया जाता है और उसके बाद नतीजे आता है कि इस बार किसकी सरकार बनने वाली है. कई बार एग्जिट पोल सटीक बैठते हैं तो कई बार इनकी गलत तस्वीर सामने आ जाती है.

देश में सबसे पहला एग्जिट पोल?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (IIPU) चीफ एरिक डी कोस्टा ने एग्जिट पोल की शुरुआत की थी, लेकिन सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने 1996 में सबसे पहला एग्जिट पोल कराया था। इसका प्रसारण दूरदर्शन पर हुआ था। इसमें अनुमान लगाया गया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव जीतेगी। यह एग्जिट पोल सही साबित हुआ और BJP ने चुनाव जीता। इसके बाद भारत में एग्जिट पोल होने लगा। 1998 में प्राइवेट चैनलों ने एग्जिट पोल प्रसारित करना शुरू किया।

दुनिया में सबसे पहला एग्जिट पोल?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1936 में सबसे पहले अमेरिका में एग्जिट पोल हुआ। 1937 में ब्रिटेन में और 1938 में फ्रांस में सबसे पहला एग्जिट पोल हुआ। इससे भी पहले 1967 में नीदरलैंड के सोशलिस्ट और नेता मार्सेल वॉन डैम ने एग्जिट पोल कराया था, जो बिल्कुल सटीक रहा।

एग्जिट पोल को लेकर नियम-कानून?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एग्जिट पोल के लिए देश में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 बना है, जिसकी धारा 126 ए के तहत मतदान पूरी तरह खत्म होने के आधे घंटे बाद तक भी एग्जिट पोल जारी नहीं किया जा सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो कानून के तहत 2 साल की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है। जेल-जुर्माना दोनों भी हो सकता है। चुनाव आयोग ने 1998 में पहली बार एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइंस बनाई थी।

कितने चरणों में पूरी होती है यह प्रक्रिया?

भारत में एग्ज़िट पोल विभिन्न संगठनों के जरिये किए जाते हैं, इनमें समाचार मीडिया, निजी सर्वेक्षणकर्ता और एजुकेशन इंस्टिट्यूट शामिल हैं. एग्ज़िट पोल आम तौर पर कई चरणों में पूरा होता है.

  1. सैंपल का सेलेक्शन : किसी भी एग्जिट पोल के लिए पहला स्टेप वोटर्स के वर्ग का चयन होता है. इसमें वोट डालकर निकले कई लोगों से बात की जाती है और उसे उस वर्ग का सैंपल माना जाता है. वोटर्स की कैटेगरी का चयन उम्र, लिंग, जाति, धर्म और सामाजिक आर्थिक स्थिति के आधार पर चुना जाता है. उदाहरण के लिए किसी निर्वाचन क्षेत्र में टीम ने अलग-अलग वर्ग के 100 लोगों से बात की और उस सैंपल को उस खास वर्ग का डेटा मान लिया जाता है.
  2. सैंपलिंग प्रक्रिया : एग्जिट पोल में अलग-अलग सैंपलिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे कि रैंडम यानी अचानक सैंपलिंग, स्ट्रैटफाइड सैंपलिंग यानी स्तरीकृत सैंपलिंग और सिस्टमेटिक सैंपलिंग (व्यवस्थित सैंपलिंग). रैंडम सैंपलिंग में अचानक से किसी भी वोटर से बात की जाती है. यह किसी भी वर्ग के हो सकते हैं. वहीं स्तरीकृत सैंपलिंग में अलग-अलग उप-समूहों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की कोशिश होती है. इन दोनों से अलग सिस्टमेटिक सैंपलिंग में वोटर लिस्ट से बीच-बीच में मतदाताओं का चयन करके सवाल पूछा जाता है.
  3. इंटरव्यू लेने वाला या सवाल पूछने वाले की ट्रेनिंग: एग्जिट पोल के लिए फील्ड पर उतरने से पहले सवाल पूछने वाले को ट्रेनिंग दी जाती है. इसके तहत उन्हें सिखाया जाता है कि वे कैसे मतदाताओं से विनम्रतापूर्वक संपर्क करेंगे और एग्जिट पोल के उद्देश्य को समझाते हुए तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से सवाल पूछेंगे.
  4. डेटा कलेक्शन : एग्जिट पोल का यह सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है. इसमें सवाल पूछने वाला वोट डालकर निकले मतदाताओं से तुरंत बात करता है और उनसे पूछता है कि किसे वोट दिया, क्यों वोट दिया, उस वोटर की राजनीतिक प्राथमिकता क्या थी.
  5. डेटा एंट्री और क्लीनिंग : जब एग्जिट पोल के लिए इंटररव्यू लेने वाली टीम वोटर्स से बात करके डेटा ले आती है तो उस डेटा को एक डेटाबेस में दर्ज किया जाता है. इसके बाद अगर उस डेटा में कोई कमी दिखती है तो उसे सही किया जाता है. इसमें ये भी देखा जाता है कि कोई डेटा मिस तो नहीं है, किसी में कोई कमी तो नहीं है.
  6. डेटा विश्लेषण : एग्जिट पोल के इस आखिरी चरण में प्रत्येक पार्टी या उम्मीदवार के वोट शेयर का अनुमान लगाने के लिए सांख्यिकीय तरीकों (statistical methods) का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण किया जाता है. इसके बाद फाइनल सैंपल को उस वर्ग का प्रतिनिधि मानकर निचोड़ निकाला जाता है.

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