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दिल्ली शराब नीति मामले में के कविता के खिलाफ आरोपों से किया इनकार,गोवा से एडवोकेट विनोद चौहान को किया गिरफ्तार


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नई दिल्ली – दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक और गिरफ्तारी की है। इस मामले में ईडी की टीम ने एडवोकेट विनोद चौहान को गोवा से गिरफ्तार किया है। इस मामले की जांच और ईडी द्वारा कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि आबकारी नीति में थोक विक्रेताओं के लिए लाभ मार्जिन 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया ताकि इस मार्जिन में से एक हिस्सा किकबैक के रूप में वापस लिया जा सके।

दिल्ली शराब नीति मामले

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को दिल्ली शराब नीति मामले में अपनी बेटी के.कविता के खिलाफ सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह “घोटाला” केंद्र द्वारा आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पर भाजपा के प्रभाव को मजबूत करने के लिए बनाया गया था।केसीआर ने कहा कि उनकी बेटी “निर्दोष” है, उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े नेताओं को इतने लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, बीआरएस प्रमुख ने कहा, “उन्होंने (भाजपा) देश के हर सीएम को परेशान किया है… लेकिन वे अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव को पकड़ने में असमर्थ थे, वे मजबूत नेता थे और सरकारें चला रहे थे। ”

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। दिल्ली सरकार ने इस पॉलिसी से राजस्व में 95000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था। इस पॉलिसी के लागू होने पर सरकार शराब के कारोबार से बाहर हो गई थी और इसे प्राइवेट कंपनियों के हवाले कर दिया गया था।इस पॉलिसी के मुताबिक दिल्ली में कुल 32 जोन बनाए गए और हर जोन में शराब की अधिकतम 27 दुकानों को खोलने की मंजूरी दी गई। उस समय दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार को इसमें कुछ गड़बड़ी लगी तो उन्होंने ले. गवर्नर वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी। बाद में एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। इस मामले में सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को पहली बार केस दर्ज किया। इस बीच दिल्ली सरकार ने इस पॉलिसी को रद्द कर दिया।इसके बाद सीबीआई और ईडी ने इस घोटाले की परतें खोलनी शुरू कर दी। कई ठिकानों पर छापे मारे गए और आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू हो गई। दोनों एजेंसियों ने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की है। आरोपों के मुताबिक इस पॉलिसी से दिल्ली सरकार को कथित तौर पर 2873 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। हालांकि आम आदमी पार्टी इन आरोपों को नकार रही है।

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