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जानिए वजह क्‍यों होती हैं दवाएं रंग-बिरंगी, जानकर आप भी रह जायेगे दंग


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मुंबई – आपने देखा होगा जब भी हम बीमार होते है और इलाज करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाते है। तब हमे वह पर अलग-अलग डिब्बियों में नीली, पीली और हल्‍की गुलाबी जैसी कई रंग-बिरंगी दवाएं अवश्य देखने को मिली होगी। लेकिन क्या हमे कभी ऐसा सवाल हुआ की आखिर दवाएं के रंग-बिरंगी होने के पीछे की वजह क्या हो सकती है?

दवाओं को हार्ट शेप, गोल और आयताकार आकार में क्‍यों बनाया जाता है। इसके पीछे भी विज्ञान है जो बताता है कि दवाओं को रंगने और इन्‍हें अलग-अलग आकार देने की खास वजह है। ज्‍यादातर टेबलेट्स का रंग सफेद होता है, लेकिन कुछ रंग‍-बिरंगी होती है। दवाएं जिस केमिकल या ड्रग से तैयार की जाती है, वही तय करता है कि दवा का रंग कैसा होगा। यानी जैसा केमिकल का रंग होगा, दवा उसी रंग की तैयार होगी। जैसे- बरबेरिन दवा का रंग पीला होता है क्‍योंकि उसमें मिलने वाले ड्रग का रंग पीला है। इसी तरह कार्बन टेबलेट्स का रंग काला होता है।

इसका सीधा सा कारण या सीधा सा उपाय यह है की गोलियों में रंग इसलिए मिलाए जाते है, ताकि उनको पहचानने में आसानी हो और रोगी को दवाई पहचानने में भी आसानी हो। यदि इन्हें अलग-अलग रंगों से रंग आ जाए तो उन्हें याद रखने में आसानी होती है और इस दवाई को लेने वाले मरीज भी इसे आसानी से पहचान पाए कि यह गोली इस बीमारी ली जाती है ।और यह गोली इस बीमारी के लिए ली जाती है यदि सभी गोलियां सफेद रंग की होती तो पहचानना बड़ा मुश्किल हो जाता और यह मुश्किल डॉक्टर के लिए और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

टेबलेट्स के रंग के बाद आपके मन में ये सवाल जरूर हुआ होगा की इसका आकर भी अलग क्यों होता है? हम आपके इस सवाल का जवाब भी जरूर बताएँगे। टेबलेट्स का आकार इसकी डोज पर निर्भर करता है। हालांकि टेबलेट्स को आकार देते समय काफी सावधानी बरती जाती है। टेबलेट खाते समय यह गले में न अटके इसलिए इसके किनारे हमेशा गोलाई के साथ बनाए जाते है। यह दवा को निगलने में मदद करते है। दवाओं को आकार देने की एक वजह फार्मा कंप‍न‍ियों की मार्केटिंग स्‍ट्रेटेजी भी है। कई ड्रग कंपनियां दवाओं की मार्केटिंग के लिए इसे अलग-अलग आकार देती है। जैसे कई फार्मा कंपनियां कुछ खास आकार और सिम्‍बल के रूप में दवा का आकार तय करती है। इसलिए वो दूसरी दवाओं से अलग दिखती है।

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