तंबाकू कंपनियों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार
नई दिल्ली – सिगरेट, तंबाकू और पान-मसाला से होने वाले जानलेवा नुकसान से तो आप वाकिफ ही होंगे, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस जहर से अपनी जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों की सिगरेट पीने की संख्या में इजाफा हुआ है. हालांकि आने वाले दिनों में सिगरेट और तंबाकू और भी महंगा हो सकता है. जी हां, सीएनबीसी-आवाज की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार, तंबाकू इंडस्ट्री में विदेशी निवेश (FDI) पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सिगरेट निर्माता कंपनियों के लिए एफडीआई प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है, और प्रौद्योगिकी गठजोड़ में विदेशी निवेश को प्रतिबंधित कर सकती है.
स्वास्थ्य से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों
नये नये तरीके अपनाने से रोकने निष्प्र्रभावी है. सीएटी के चेयरमैन विंसेट नजारेथ ने कहा, स्वास्थ्य से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच इस बात को लेकर आम सहमति है कि देश में तंबाकू की खपत कम करने के लिये साहसिक कदम उठाने की जरूरत है. तंबाकू नियंत्रण नीतियों के लिये समान अवसर उपलब्ध कराने को लेकर तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध पूर्व शर्त है. प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त तथा वाणिज्य मंत्रालय को लिखे पत्र में सीएट के चेयरमैन ने कहा है कि मौजूदा नीति में सिगरेट विनिर्माण में एफडीआई पर प्रतिबंध जरूर लगाया गया है लेकिन इसमें कुछ ऐसी कमियां छोड़ दी गयी हैं जिनका दुरपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा, इन खामियों की वजह से बड़ी विदेशी तंबाकू कंपनियों की भारतीय तंबाकू बाजार में रूचि बनी हुई है. इससे उनको भारत में तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को धीमा कराने के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास जारी रखने का मौका मिलता है। पत्र में केंद्र से तंबाकू के मामले में एफडीआई नीति में खामियों को तत्काल दूर करने का अनुरोध किया गया है ताकि व्यापक रूप से प्रतिबंध सुनिश्चित हो सके.
बजट में भी तंबाकू इंडस्ट्री पर टैक्स में बढ़त की उम्मीद
अभी ये स्पष्ट नहीं है कि सिगरेट और तंबाकू इंडस्ट्री के लिए नियमों में बदलाव से दिग्गज कंपनियों के कारोबार पर क्या असर पड़ेगा, तम्बाकू उद्योग को अक्सर नियामक दबावों का सामना करना पड़ता है, जिसमें विशेष रूप से केंद्रीय बजट से पहले संभावित कर वृद्धि भी शामिल है. गौरतलब है कि स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताएं और धूम्रपान के खिलाफ जागरूकता अभियान भी समय के साथ सिगरेट की खपत को कम कर सकते हैं. विश्लेषकों ने बताया है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 23 तक वीएसटी इंडस्ट्रीज के लिए सिगरेट की मात्रा में मामूली गिरावट आई है, जो 8556 मिलियन यूनिट से बढ़कर 8253 मिलियन यूनिट हो गई है.