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जानिये कब है करवा चौथ एवं पूजा मुहूर्त?


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मुंबई – करवाचौथ का दिन हर महिला के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिला सज संवरकर 16 श्रंगार करती है, इसके बाद पूजन आदि संपन्न करती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी करक अर्थात् करवा चौथ महापर्व के नाम से पुराण शास्त्र में वर्णित है। रात में चांद का दीदार करने और चलनी से पति का चेहरा देखने के के बाद महिलाएं यह व्रत तोड़ती है।

इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने अटल-अखण्ड सौभाग्य एवं परिवार की सुख-समृद्धि की उत्तम कामना से सूर्योदय से रात्रि में चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रहती है। पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस बार का करवा चौथ व्रत महिलाओं के लिए सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान लेकर आ रहा है। इस वर्ष करवा चौथ दिनांक 24 अक्टूबर दिन रविवार को होगी। शनिवार की रात्रि 12 बजकर 42 मिनट से चतुर्थी तिथि लगेगी, जो अगले दिन रविवार की रात्रि 02 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।

इस पवित्र पर्व पर महिलाएं अखण्ड निर्जला व्रत रहकर रात्रि में चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा को शुद्ध पात्र में जल, दूध, सफ़ेद चन्दन, सफ़ेद फूल, इत्र एवं मिश्री डालकर नगवल्ली अर्थात् छुट्टापान, खड़ी सुपारी तथा अपने केश का कोना पकड़कर अर्घ्य देती है। इस वर्ष 24 अक्टूबर दिन रविवार को चन्द्रोदय शाम 7 बजकर 52 मिनट पर होगा। इस वर्ष करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का चन्द्रमा समस्त सुख-समृद्धि, सौभाग्य को प्रदान करने वाला होगा। चंद्रमा को अर्घ्य देने से पूर्व आपको गौरी-गणेश की विधि विधान से पूजा करना होता है। देवी पार्वत ही मां गौरी या चौथ माता है। उनको महिलाएं श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित करती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर त्योहार के पीछे कुछ न कुछ कहानी या कथा अवश्य होती है। इसी प्रकार करवा चौथ से संबंधित भी एक कहानी है। जिसके मुताबिक किसी जमाने में तुंगभद्रा नामक नदी के किनारे करवा नाम की एक प्रतिव्रता धोबिन रहती थी। कहते हैं कि उसका पति बहुत बूढ़ा और निर्बल था। वह एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था उसी वक्त अचानक वहां मगरमच्छ आ गया। जिसके बाद मगरमच्छ उसके पैरों को दबाकर उसे ले जाने लगा। इसी क्रम में वह अपनी पत्नी का नाम लेकर चिल्लाया।

पति की चिल्लाहट की आवाज सुनकर करवा वहां पहुंची तबतक मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने वाला था। जिसे देखकर करवा मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांधकर यमलोक पहुंची और अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई। इसके अलावा करवा ने यमराज से यह भी कहा कि उस मगरमच्छ को कठोर से कठोर दंड दें। इतना ही नहीं करवा ने यमराज से यह भी कहा की अगर आप इस मगरमच्छ को दंड नहीं देते है तो मैं आपको शाप दे दूँगी और नष्ट कर दूंगी। कहते हैं कि करवा के इस वचन को सुनकर यमराज भी डर गए और मगरमच्छ को नरक का रास्ता दिखा दिया और करवा के पति को लंबी आयु का वरदान दिया। मान्यता है कि जिस दिन यह घटना घटी वह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। तब से लेकर करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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