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कुलदेवता मानकर जिसकी सालों से की पूजा,असल में निकला डायनासोर का अंडा


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नई दिल्ली – मध्य प्रदेश में धार जिले के पाडल्या गांव में खोदाई के दौरान मिले जिन गोलाकार पत्थरों की ग्रामीण कुल देवता मानकर पूजा कर रहे थे, वे डायनासोर की टिटानो-सौरन प्रजाति के जीवाश्म (अंडे) हैं। इनके बारे में जब विशेषज्ञों को पता चला तो उन्होंने मौके पर जाकर जांच की। इसमें उनके डायनासोर के जीवाश्म होने की जानकारी सामने आई.

परिवारों में ‘कुलदेवता’ की पूजा

भारत के ज्यादातर परिवारों में ‘कुलदेवता’ की पूजा होती है. कुछ लोग तो कई सालों से पूजा करते हुए आ रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के धार में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. मध्य प्रदेश के धार जिले में एक परिवार हथेली के आकार के “पत्थर के गोले” को कुलदेवता मानकर कई सालों से पूजा करते आ रहे थे. विशेषज्ञों ने जब उसकी जांच की तो वह जीवाश्म डायनासोर के अंडे के रूप में पहचाना गया. पडल्या गांव में रहने वाले 40 साल के वेस्ता मंडलोई अपने खेतों और जानवरों की रक्षा के लिए इन ‘पत्थर के गोलों’ की पूजा करते थे, जिन्हें उनकी पुरानी पीढ़ियां “काकर भैरव” मानती थीं.

भगवान मान पूजने लगे गाँव वाले

पाडल्या में भिल्लड़ बाबा का मंदिर बनाया और पटेलपुरा में भी इन्हें विराजित किया. वहां श्रद्धा के साथ हार-फूल, नारियल, टीका व तिलक लगाकर पूजते रहे. पाडल्या के वेस्ता मंडलोई ने बताया कि गोल पत्थर को विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नाम देकर देवता जैसे पूजा जाता रहा. भिल्लड़ बाबा पर तो लोग बलि तक देते रहे. यहां मुर्गा और बकरे की बलि की प्रथा थी। पटेलपुरा में गोवंश के रक्षक के रूप में इन्हें पूजा जाता रहा.पाडल्या के अलावा झाबा, अखाड़ा, जामन्यापुरा, घोड़ा, टकारी आदि गांव में इस तरह से पूजा की गई.बीते दिनों बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट आफ पैलियो साइंस (बीएसआइपी ) लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे.उन्होंने गांवों के भ्रमण के दौरान उन गोलाकार पत्थरनुमा आकृति का विश्लेषण शुरू किया, जिन्हें पूजा जाता था.विशेषज्ञों ने पाया कि यह ग्रामीणों के कुलदेवता नहीं हैं, बल्कि डायनासोर के अंडे हैं. इसके बाद विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को इसकी असलियत के बारे में जागरूक करना शुरू किया.

लुप्त हो चुका है डायनासोर

डायनासोर के ये अंडे लोगों को धार और आसपास के इलाकों में खुदाई के दौरान मिले थे.सच्चाई पता चलने के बाद भी कई लोग अभी भी पूजा करना जारी रखने की बात कह रहे हैं.बता दें कि डायनासोर इस धरती से लुप्त हो चुका है. 6 करोड़ साल से भी ज्यादा समय पहले वे धरती पर पाए जाते थे. तब इंसानों की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी.

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