मुंबई – रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) इन दिनों अपनी लेटेस्ट रिलीज ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. इस फिल्म में ना केवल रणदीप ने एक्टिंग की बल्कि उनके प्रोडक्शन हाउस की ये पहली फिल्म है जिसका निर्देशन भी इन्होंने खुद किया है. हाल ही में एक्टर ने इंटरव्यू के दौरान अपनी जिंदगी के उस दौर के बारे में बताया जब उनके पास बिल्कुल भी काम नहीं था. इन्होंने घर, कार यहां तक कि किचन में रखा माइक्रोवेब तक बेच दिया था.
पॉकेट में नहीं थे पैसे
रणदीप हुड्डा ने ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’ से बात की. इस दौरान एक्टर ने कहा- ’23 साल के करियर में एक वक्त ऐसा आया कि मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं थे. ऐसी हालत हो गई थी कि मैंने अपना घर, कार और माइक्रोवेब तक बेच दिया था. लेकिन कभी भी मैंने हॉर्स नहीं बेचे.’ अरेबिक में एक कहावात है- ‘अपनी तनख्वाह बढ़ाओ, खर्चा कम करने से कुछ नहीं होगा.’
एक फिल्म की वजह से हुई ऐसी हालत
रणदीप ने कहा- ‘एक बार मैंने कुछ पैसे के लिए अपने घोड़े को बेच दिया था. लेकिन मेरी हालत ऐसी हो गई थी मैंने चेक वापस किया और हॉर्स को वापस लेकर आया. ‘द बेटल ऑफ सारागढ़ी’ फिल्म के लिए तकरीबन तीन साल तक तैयारी की. जिस तरह से सिख दाढ़ी रखते हैं वैसी फुल दाढ़ी बढ़ाई लेकिन ये फिल्म पूरी नहीं हो पाई. ये वक्त मेरी जिंदगी का सबसे बुरा वक्त था और काफी डिप्रेस्ड था. लेकिन बाद में मैं गुरुद्वारा गया और माफी मांगी. उसके बाद फिर से जिंदगी में आगे बढ़ने का सोचा.’
रणदीप हुड्डा ने झेली थी आर्थिक तंगी
अपनी पहली होम प्रोडक्शन फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ के साथ निर्देशन की दुनिया में कदम रखने वाले रणदीप हुड्डा ने हाल ही में अपने करियर के बुरे दौर के बारे में बात की। ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ के साथ बातचीत में, एक्टर ने आर्थिक संकट के बारे में बात की। बताया कि जब उनके पास कोई काम नहीं था, तब वह इससे कैसे निपटे।
घर-गाड़ी के साथ घोड़ा भी बेचा
रणदीप हुड्डा ने इंटरव्यू में अपने बुरे दौर के बारे में बात करते हुए कहा, ‘कई बार मेरे पास एकदम पैसे नहीं होते थे और मुझे नहीं पता होता था कि मैं आगे क्या करने जा रहा हूं। मैंने अपना घर, कार, माइक्रोवेव और सब कुछ बेच दिया लेकिन मैंने कभी अपने घोड़े नहीं बेचे। एक अरबी कहावत है- अपनी तनख्वाह बढ़ाओ, खरचा कम करने से कुछ नहीं होगा। एक बार, मैंने अपना घोड़ा रणजी कुछ पैसों में बेच दिया और लेकिन बाद में मैंने चेक लौटा दिया और अपना घोड़ा वापस ले लिया।’
गुरु ग्रंथ साहिब पर खाई थी ये कसम
रणदीप ने आगे कहा, ‘द बैटल ऑफ सारागढ़ी’ के लिए तैयारी के बीच मैंने तीन साल तक पूरी सिख दाढ़ी बढ़ाई थी, लेकिन वो फिल्म पूरी नहीं हुई. वो समय मेरे लिए सबसे बुरा था और मैं डिप्रेशन में रहता था. ऐसा लग रहा था जैसे मेरी आधी जिंदगी बीत गई हो, मैंने ‘एक्सट्रैक्शन’ लगभग छोड़ दिया था, लेकिन फिर मैं गुरुद्वारे गया और सॉरी कहा. क्योंकि मैंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब पर प्रतिज्ञा की थी कि ‘सिखों ने इतने बलिदान दिए हैं, जब तक यह फिल्म अपने अंजाम तक नहीं पहुंच जाती, मैं अपना केश नहीं काटूंगा.’ फिर मैंने मूव ऑन किया, मेरे पास तीन साल तक कोई काम नहीं था और मेरा वजन बढ़ गया था. मैंने खुद से कहा कि ठीक है फिर एक टाइम पर एक स्टेप. मेरे माता-पिता काफी टेंशन में थे.’
पूरी ही नहीं हुईं ये दो फिल्में
रणदीप ने आगे बताया, ‘मानसिक सहनशक्ति इस बात से आती है कि इसके अलावा और क्या है। क्या किया जा सकता है। द बैटल ऑफ सारागढ़ी जैसी फिल्मों के लिए, जहां मैंने तीन साल तक पूरी सिख दाढ़ी बढ़ाई थी, गटका के लिए तैयारी की थी। वो फिल्में पूरी ही नहीं हुई।’
हॉलीवुड फिल्म ‘एक्सट्रैक्शन’ में किया काम
उन्होंने आगे कहा, ‘वो समय मेरे लिए बहुत ही मायूसी भरा था। बिलकुल ऐसा था जैसे मेरी जिंदगी आधी कट गई हो क्योंकि मुझे उन फिल्मों को छोड़ना पड़ा। मैंने इसके लिए हॉलीवुड पिल्म एक्सट्रैक्शन को भी लगभग छोड़ ही दिया था। लेकिन फिर मैं गुरुद्वारा गया और सॉरी कहा। क्योंकि मैंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब पर प्रतिज्ञा ली थी कि सिखों ने इतने बलिदान दिए हैं, जब तक यह फिल्म अपने अंजाम तक नहीं पहुंच जाती, मैं अपना बाल नहीं काटूंगा
रणदीप हुड्डा वर्क फ्रंट
आपको बता दें, रणदीप हुड्डा ने मीरा नायर की फिल्म ‘मानसून वेडिंग’ में पहली बार स्क्रीन पर दिखे थे. इसके बाद राम गोपाल वर्मा की ‘डी’फिल्म थी. इसके बाद रणबीर ने बॉक्स ऑफिस पर कई बेहतरीन फिल्में दी. फिलहाल एक्टर अपनी हाल ही में रिलीज फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ में वेट लॉस को लेकर चर्चा में हैं.