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2100 तक 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा धरती का तापमान, इंसान के लिए बच पाना होगा मुश्किल : यूएन रिपोर्ट


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नई दिल्ली – वैज्ञानिकों ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी। अब ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल’ (IPCC) ने चेतावनी दी है कि पृथ्वी दो दशकों में 1.5 डिग्री तक गर्म हो सकती है। इस वजह से मौसम में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे। पैनल ने मानव गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया है। ये रिपोर्ट 2013 के आकलन की उत्तराधिकारी है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभाव को दिखाया गया है।

ताजा रिपोर्ट में चेताया है कि वर्ष 2100 तक धरती के औसत तापमान में पूर्व औद्योगिक काल के मुकाबले 2 डिग्री से ज्यादा का इजाफा हो सकता है। अन्यथा बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन तत्काल कम किया जाए। आईपीसीसी ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) का पहला भाग, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का ताजा मूल्यांकन, परिवर्तन और ग्रह पर इनका प्रभाव और जीवन रूपों को जारी किया है। पृथ्वी की जलवायु की स्थिति पर यह रिपोर्ट व्यापक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक राय है।

आकलन रिपोर्ट का पहला भाग क्लाइमेट चेंज को लेकर अपनी दलीलों के पक्ष में वैज्ञानिक साक्ष्य सामने रखता है और 1850 से 1900 के बीच वैश्विक तापमान पूर्व इंडस्ट्रियल टाइम के मुकाबले पहले से 1.1 डिग्री बढ़ चुका है। साथ ही रिपोर्ट में आईपीसीसी ने चेताया है कि 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री का और इजाफा हो सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के तापमान में 2 डिग्री से ज्यादा का इजाफा पृथ्वी की जलवायु को हमेशा के लिए बदल देगा और इंसान तथा अन्य प्राणियों के लिए खुद को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़े पैमाने पर कटौती भी जाए तब भी धरती के तापमान में इजाफा 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर 1.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। हालांकि बाद में यह 1.5 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस तक की सीमा में रोक पाना मुमकिन नहीं होगा, अगर तत्काल, बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों में कटौती नहीं की जाती है।

पृथ्वी का भविष्य और भी गंभीर नजर आ रहा है। अत्यधिक तापमान में वृद्धि का मतलब है कि हर एक या दो साल में हीटवेव देखने को मिलेगा। इस रिपोर्ट में पाया गया है कि इस दौरान पृथ्वी के जमीन के नीचे जमी बर्फ पिघलने लगेगी। ग्लेशियर और आइस शीट भी पिघलने लगेगी। इस वजह से आर्कटिक में भी बदलाव देखने को मिलेगा।

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