महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है ये बीमारी,PCOD की वजह से हो रहे हैं एक्ने
नई दिल्ली – PCOD की वजह से महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. PCOD के चलते शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है, इसके कारण, वजन का बढ़ना, मेटाबॉलिज्म का सुस्त होना, चेहरे पर अनचाहे बाल निकलना, एक्ने और पीरियड्स का अनियमित होना, जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं,PCOD में सही स्किन केयर के बावजूद, महिलाओं के चेहरे पर एक्ने हो जाते हैं. PCOD में सीबेसियस ग्लैंड से ऑयल प्रोडक्शन बढ़ जाता है. इसकी वजह से, स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं और एक्ने होने लगते हैं.इसे दूर करने के लिए, शरीर में हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखना स्ट्रेस से दूर रहना और डाइट में कुछ खास बदलाव जरूरी हैं.
PCOD- PCOS क्या होता है
पीसीओडी या पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के अंडाशय (Womens Ovaries) पर असर डालती है. पीसीओडी ज्यादातर हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है. बता दें, पीरियड साइकिल में हर महीने दोनों अंडाशय ( Ovaries) बारी-बारी से फर्टिलाइज अंडे (Fertilized Eggs) तैयार करते हैं. हालांकि, पीसीओडी वाले किसी व्यक्ति के लिए, अंडाशय अक्सर या तो अपरिपक्व (Immature) या केवल आंशिक रूप से परिपक्व अंडे छोड़ते हैं, जो सिस्ट (Cyst) बन जाते हैं.
PCOS में तिल के बीज के फायदे
ये बीज टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम करने और इंसुलिन के अवशोषण में मदद करते हैं। PCOS के कारण पीरियड्स में ब्लीडिंग की कमी को दूर करके हेल्दी पीरियड्स को बढ़ावा देते हैं.तिल के बीज शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को संतुलित करके PCOS में मदद करते हैं. इसका सेवन शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है, जो अनियमित पीरियड्स और एक्ने जैसे पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में फायदेमंद हो सकता है.
भारत में बढ़ता जा रहा है PCOD
मई 2022 में भारत में महिलाओं में PCOD की बढ़ती तादाद पर यूनिसेफ की रिपोर्ट सामने आई, जिसके मुताबिक दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में लगभग 9.13 प्रतिशत महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं, जबकि 22.5 प्रतिशत को पीसीओडी है. भारत के ज्यादातर इलाकों में पीसीओएस बढ़ता जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार, भारत में पीसीओएस 3.7% से 22.5% (1.3-7.9 crore) महिलाएं इस बिमारी से पीड़ित है. 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पांच में से एक महिला को पीसीओडी है. 20 से 35 साल की महिलाएं सबसे ज्यादा इस बिमारी का शिकार हो रही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 116 मिलियन महिलाएं (3.4%) पीसीओएस से प्रभावित हैं.