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गुजरात में कोरोना का भयावक रूप! 71 दिनों में जारी किए 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट, लेकिन कोरोना से सिर्फ 4218 मौतें!


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अहमदाबाद – देश में कोरोना के मरीजों की संख्या धीरे धीरे घट रही है। पिछले 24 घंटों में देश में 3 लाख 43 हजार 896 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। जबकि 3 लाख 44 हजार 570 लोग ठीक हुए। वहीं 3997 मरीजों की मौत हुई है। इस महीने में यह तीसरी बार है जब नए रोगियों की तुलना में अधिक लोग स्वस्थ हुए हैं।

इधर गुजरात में भी कोरोना संक्रमण लगातार अपना कहर बरपाए हुए है। अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर वे जिलें हैं जहां राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहें हैं। इन महानगरों के श्मशानों के बाहर अंतिम संस्कार करने के लिए लाइनें लगी हुई हैं। अब एक सरकारी डिपार्टमेंट के आंकड़ों ने ही कोरोना से हो रही मौतों के सरकारी आंकड़ों को सवालों के घेरे में ला दिया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में बीते 71 दिनों में 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं जबकि इनमें से कोविड से हुई मौतों का आंकड़ा सिर्फ 4218 ही बताया जा रहा है। बीते सालों में हुई मौतों और जारी किए गए डेथ सर्टिफिकेट के आंकड़ों से इसकी तुलना करें तो ये दोगुना से भी ज्यादा नज़र आ रहे हैं। एक गुजराती अखबार में छपी खबर के मुताबिक, 1 मार्च 2021 से 10 मई 2021 तक के डेथ सर्टिफिकेट के डेटा के आधार पर एक रिपोर्ट छापी है जिसके मुताबिक राज्य के 33 जिलों और 8 निगमों द्वारा सिर्फ 71 दिनों में ही अब तक 1,23,871 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं। इस साल मार्च में राज्य में कुल 26,026 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए। अप्रैल में ये बढ़कर 57,796 और मई के शुरूआती 10 दिनों में 40,051 तक पहुंच चुके हैं।

अब पिछले साल से इन साल के डेथ सर्टिफिकेट जारी होने के आंकड़ों की तुलना करें तो मार्च 2020 में 23352, अप्रैल 2020 में 21591 और पूरे मई 2020 में 13125 मौतें दर्ज की गई थीं। आंकड़ों के मुतबिक मार्च, अप्रैल और मई 2021 के 71 दिनों में सबसे ज्यादा मौतें हायपरटेंशन से हुई हैं। इनमें से 80 प्रतिशत मृतक ऐसे हैं जो अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे। इनमें से 28 फीसदी कोरोना के मरीज डायबिटीज, किडनी और लीवर से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित थे। कोरोना मृतकों में 4 फीसदी वे मरीज भी हैं, जो कोरोना से ठीक हो चुके थे। इनकी बीमारी ठीक होने के बाद ब्लड क्लॉटिंग के चलते हार्ट अटैक से मौत हुई थी। इन कुल मौतों में से 60 फीसदी मरीज 45 साल से अधिक उम्र के थे जबकि 20 फीसदी मृतकों उम्र 25 साल से कम थी।

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