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पाकिस्तान ने छोड़ा शत्रुतापूर्ण रवैया,100 साल तक भारत के साथ बैर नहीं रखेगा- जाने क्यों ?


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नई दिल्ली – आजादी के बाद से ही भारत के साथ दुश्मनी साधने वाले पाकिस्तान को अब यह बात शायद समझ में आ गई है कि देश को प्रगति एवं विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए उसे शत्रुतापूर्ण रवैया छोड़कर नई दिल्ली के साथ शांति स्थापित करनी होगी। पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति में व्यापक बदलाव की बात सामने आई है। इस नई सुरक्षा नीति में पड़ोसी देशों के साथ तुरंत शांति कायम करने एवं आर्थिक कूटनीति पर जोर देने की बात कही गई है। पाकिस्तान इस समय महंगाई सहित कई घरेलू समस्याओं से घिरा हुआ है और उसकी अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कर्ज में डूबी हुई है।

पाकिस्‍तान ने अपने नए राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में कहा है कि भारत के साथ बैर नहीं करेंगे। पाकिस्‍तान ने कहा है कि आने वाले दिनों में देश की विदेश नीति में पड़ोसी देशों के साथ शांति और आर्थिक कूटनीति को वह प्रमुखता देगा। इस 100 पन्‍ने की गोपनीय राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में कहा गया है कि भारत के साथ बिना कश्‍मीर मुद्दे के अंतिम समाधान के व्‍यापार और बिजनस रिश्‍ते को बढ़ाया जाएगा।

परमाणु हथियार संपन्‍न भारत और पाकिस्‍तान के बीच कश्‍मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। इससे व्‍यापार और आर्थिक रिश्‍ते भी खराब हो गए हैं। सुरक्षा नीति से जुड़े एक अधिकारी ने पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून से कहा, ‘हम अगले 100 साल तक भारत के साथ बैर नहीं करेंगे। इस नई नीति में बिल्‍कुल पड़ोसी देशों के साथ शांति पर जोर दिया गया है।’ उन्‍होंने कहा कि इस मुद्दे पर अगर बातचीत और प्रगति होती है तो इस बात की संभावना है कि भारत के साथ पहले की तरह से व्‍यापार और व्‍यवसायिक संबंध सामान्‍य हो सकते हैं।

‘हम भारत के साथ अगले 100 वर्षों तक दुश्मनी नहीं निभाने जा रहे हैं। नई पॉलिसी में अपने पड़ोसी देशों के साथ तुरंत शांति स्थापित करने की मांग की गई है।’ अधिकारी ने आगे कहा कि भारत के साथ यदि बातचीत होती है और यह प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो पिछले समय की तरह दोनों देशों के बीच कारोबार शुरू हो सकता है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। पांच अगस्त 2019 के भारत सरकार के फैसले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ अपने राजनयिक संबंधों में कटौती करते हुए द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी।

दोनों देशों ने एलओसी पर संघर्षविराम को बहाल करने का फैसला किया। इसी समय भारत ने भी पीएम इमरान खान को श्रीलंका जाने के लिए अपने वायु क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति दी। इन सकारात्मक पहलों ने कुछ उम्मीद जगाई लेकिन इसके आगे दोनों देश नहीं बढ़ सके। बहरहाल, पाकिस्तान को यह बात देर से समझ में आई है कि देश की आर्थिक हालत एवं अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए उसे अपने पड़ोसी देशों खासकर भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखना होगा।

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